रामपुर में कोसी प्रमुख नदी है। इसके अलावा नहाल, रामगंगा तथा उनके अलग-अलग प्रवाहों से रामपुर को पानी मिलता है। इसीतरह रामपुर में भूजल और नहार, पोखरा इत्यादि उपलब्ध हैं। रामपुर जिले से और ख़ास कर के जिनके पानी को अवरुद्ध किया है तथा झीलों, तालाबों में पहले बहुत प्रकार की मछलियाँ मिलती थीं। बजरिया, भुर, शिंगी और रोहू ये सबसे ज्यादा तौर पर मिलने वाली मछलियाँ थीं। रामपुर स्टेट गज़ेटियर के अनुसार यहाँ पर भटियारा, कहार और जुलाहा ये प्रमुख मछ्वारों की जाती थी। मछली पकड़ने के लिए अलग अलग तरीके इस्तेमाल किये जाते थे। मछली पकड़ने के लिए डोरी से बंधे अंकुडे के साथ-साथ सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता था पटसन या रुई के धागे से बने जाल का। इसके अलावा उथले पानी में मछ्वारी करने के लिए फाँसने वाले जाल का भी इस्तेमाल किया जाता था जैसे बांस के ढांचे से बंधे टप्पर और कोनेदार टोकरी जो दोनों अंगो पे खुली रहती है। इनके अलावा रामपुर में एक अनोखे तरीके से भी मछली पकड़ी जाती थी जो बस यहीं इस्तेमाल की जाती थी। इसे तालाब और झीलों में उपलब्ध बड़ी मछलियाँ पकड़ने के लिए उपयोग में लाया जात था। दो-तीन चटाईयां एकसाथ बांधी जाती थी और उनसे बड़ा फांसने वाला जाल, जिसके काज एक इंच के अंतर पर रहते हैं, लटकाया जाता था। इसका निचला हिस्सा चिकनी मिट्टी से लड़ा हुआ रहता था जिससे वजन बना रहे। इसे फिर तालाब और झील के पाने में घसीटा जाता था, मछलियाँ जाल से बहार निकलने की कोशिश में चटाइयों पे जा गिरती थी, इससे उन्हें पकड़ने में आसानी होती थी। रामपुर स्टेट गज़ेटियर में एक ख़ास टिप्पणी दी गयी है की कुछ आरक्षित तालाबों को छोड़कर किसी भी गाँव के तालाब और झीलों में मछ्वारी करने का हक गाँव के मुस्तजीर मतलब किसान को रेहता था और वह चाहे तो दुसरे लोगों को पैसे या वस्तु के एवज़ में वहाँ पर मछ्वारी करने की इजाज़त दे सकता था। इससे ये पता चलता है की मछ्वारी का व्यवसाय प्रमुख व्यवसायों में शामिल था। आज रामपुर में ख़ास कर रामपुर शहर में मछ्वारी का व्यवसाय लगभग ख़तम हो चूका है। उत्तर प्रदेश सरकार सी डेप 2007 के तहत और मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश के निर्देशानुसार, रामपुर में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे प्रावधान अधोरेखित किये हैं। इसके लिए मछली के खेत और उनके प्रजनन को शुरू करने तथा बढ़ाने के लिए उस प्रजाति के बच्चे भी उपलब्ध कराये जायेंगे। इनके साथ ही तालाबों का नवीकरण भी कराया जायेगा और साथ ही 10 वर्ष के लिए तालाब आवंटन और प्रशिक्षण शिविर भी आयोजीत कराया था। प्रस्तुत चित्र में कुछ बच्चे मच्छवारी करते दिखायें हैं तथा दुसरे चित्र मध्यकालीन समय के मछली भरे तलाब का है। 1.रामपुर स्टेट गज़ेटियर 1911 https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.17099/2015.17099.Gazetteer-Of-The-Rampur-State_djvu.txt 2.मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश http://fisheries.up.nic.in/ 3.सी डेप 2007 4.मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश https://www.nabard.org/demo/auth/writereaddata/tender/2410162138Rampur.split-and-merged.pdf
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