राग भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुल मिलाकर छः राग होते हैं और हर राग के भीतर पांच रागिनी। प्रत्येक राग संगीत प्रस्तुतियों के साथ गढ़ी संरचनाओं की एक सरणी है। भारतीय परंपरा में माना जाता है कि राग में मन को रंगने की क्षमता होती है जो दर्शकों की भावनाओं को प्रभावित करती है। कुछ विद्वान छः रागों को छः ऋतुओं से जुड़ा हुआ मानते हैं।
सभी संगीतकारों का मानना है कि राग वसंत, जैसा उसके नाम से ही पता चल जाता है, वसंत ऋतु से जुड़ा है और यह राग, वसंत के त्यौहारों के समय गाया जाता था। और होली वसंत ऋतु का प्रमुख त्यौहार होने के कारण स्वाभाविक रूप से होली का त्यौहार भी राग वसंत से एक गहरा जोड़ रखता है। होली मुख्यतः एक वैष्णव त्यौहार है इसलिए राग वसंत मुख्य रूप से वैष्णव भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है।
राग वसंत को दर्शाती हुई अधिकांश तस्वीरें भगवान श्री कृष्ण को वसंत ऋतु के हर्ष में मदहोश हुए ढोल मजीरे के संगीत पर नृत्य करते दर्शाती हैं। चित्र में ये ढोल मजीरे एक कुसुमित पेड़ों से घिरे घास के मैदान में दो बालाओं द्वारा बजाये जाते हैं और कभी कभी इन चित्रों में एक कमल का तालाब भी दर्शाया जाता है। फागुन महीने को दर्शाते चित्रों में श्री कृष्ण के अलावा पुरुषों और महिलाओं के समूह को होली मनाते भी देखा गया है।
प्रस्तुत चित्र भी राग वसंत का ही एक चित्रण है जिसमें होली के रंग और पुष्पों के करीब बैठे दो महिलाओं को संगीत बजाते देखा जा सकता है।
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