पलाश (जंगल की आग)

रामपुर

 19-01-2018 02:39 PM
निवास स्थान

भारत की वानस्पतिक विविधितता अत्यन्त महत्वपूर्ण है यहाँ की वानस्पतिक विविधितता ही भारत को एक पहचान प्रदान करता है। भारत के विभिन्न प्रदेशों की अपनी एक विशिष्ट वनस्पति है जो की वहाँ के प्रदेश के वनस्पति के रूप में जानी जाती है। उत्तर प्रदेश का प्रादेशिक वृक्ष पलाश है जो कि कई विभिन्न नामों से जाना जाता है। पलाश को पलास, परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू व अंग्रेजी के फ्लेम ऑफ फॉरेस्ट के नामों से जाना जाता है। भारतीय डाकतार विभाग द्वारा डाकटिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है। भारतीय साहित्य और संस्कृति से घना संबंध रखने वाले इस वृक्ष का चिकित्सा और स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। पलाश वृछ वैसे तो पूरे भारत में पाया जाता है पर तराई के क्षेत्र में पलाश का पेड़ अपनी पूरी सुन्दरता को प्रदर्शित करता है। पलाश के पुष्प युँ दिखते हैं जैसे की जंगल में लालिमा फैल गयी है और यही कारण है कि यह वृक्ष जंगल के आग के रूप में जाना जाता है। रामपुर तराई क्षेत्र में बसा है जिसके कारण यहाँ पर पलाश के पेड़ बड़ी संख्या में पाये जाते हैं। यदि पलाश के धार्मिक महत्वों व इसके विभिन्न साहित्यिक साक्ष्यों को देखा जाये तो यह पता चलता है कि- पलाश वृक्ष हिंदुओं के पवित्र माने हुए वृक्षों में से हैं। इसका उल्लेख वेदों तक में मिलता है। श्रोत्रसूत्रों में कई यज्ञपात्रों के इसी की लकड़ी से बनाने की विधि है। गृह्वासूत्र के अनुसार उपनयन के समय में ब्राह्मणकुमार को इसी की लकड़ी का दंड ग्रहण करने की विधि है। संस्कृत और हिंदी के कवियों ने इस समय के इसके सौंदर्य पर कितनी ही उत्तम उत्तम कल्पनाएँ की हैं। इसका फूल अत्यंत सुंदर तो होता है पर उसमें गंध नहीं होते। इस विशेषता पर भी बहुत सी उक्तियाँ कही गई हैं। पलाश का पेड़ मध्यम आकार का, करीब 12 से 15 मीटर लंबा, होता है। इसका तना सीधा, अनियमित शाखाओं और खुरदुरे तने वाला होता है। इसके पल्लव धूसर या भूरे रंग के रेशमी और रोयेंदार होते हैं। छाल का रंग राख की तरह होता है। इसकी विकास दर बहुत धीमी होती है। छोटा पलाश का पेड़ प्रति वर्ष लगभग एक फुट तक बढ़ जाता है। पूरी तरह खिलने के बाद जब यह अपने सारे पत्ते गिरा देता है तब ये चटक फूल प्रकृति की अनूठी रचना बनकर इस प्रकार खिल उठते हैं। पलाश के ऐततिहासिकता पर अगर नज़र डाला जाये तो पता चलता है कि 11वीं शताब्दी में इस वृक्ष की कटाई बड़े आकार पर किया गया था जिससे इनकी संख्या काफी कम हो गयी। 1. https://goo.gl/zNaU54 2. https://goo.gl/sDyqAD 3. https://goo.gl/zwP71u



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id