रामपुर के इतिहास के विषय में कई परतों को देखा जा सकता है, हलांकी यह कहा जा सकता है कि रामपुर शहर की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई पर रामपुर के इतिहास व तिथि निर्धारण को समझने के लिये आस-पास के क्षेत्रों का अध्ययन आवश्यक है। रामपुर के आस-पास के क्षेत्रों का इतिहास करीब 1500 ई.पू. तक जाता है जिसके कई अवशेष यहाँ से प्राप्त हुये हैं। रामपुर के पास ही स्थित अहिक्षेत्र 16 महाजनपदों में से एक पांचाल की राजधानी थी। यहाँ पर किये गये विभिन्न उत्खननों से चित्रित धूसर मृदभाँड की प्राप्ति हुई है जो यहाँ के तिथि को बहुत पहले तक ढकेलने का कार्य करती है। चित्रित धूसर मृदभाँड अपने में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रकार का मृदभाँड है जो कुछएक स्थान से प्राप्त होता है। इसके अलाँवा कृष्ण लेपित मृदभाँड, कृष्ण मृदभाँड, लाल चित्रित मृदभाँड आदि की प्राप्ति अहिक्षेत्र व इसके आस-पास के पुरास्थलों से हुआ है।
वर्तमान में अहिक्षेत्र टीला व किला अपने स्वर्णिम इतिहास का वाचन करते हैं। यहाँ पर गुप्तों के साथ-साथ कुषाणों ने भी बड़ी संख्या में निर्माण किया है। राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में भारत की सबसे बेहतरीन व उत्तम, मिट्टी की बनी गंगा और यमुना की मूर्ती की प्राप्ति अहिक्षेत्र से ही हुई है। वर्तमान काल में यहाँ पर दो पिरामिडाकार संरचनायें उपस्थित हैं जिसके विषय में कई विद्वानों में कई प्रकार के मतभेद हैं। ये संरचनायें पकी हुई मिट्टी के ईंट से बनवाये गये हैं। रामपुर व इसके आस-पास क्षेत्र में पत्थर के बने हुये प्राचीन संरचनायें नाममात्र के मिलते हैं जिसका प्रमुख कारण है यहाँ पर पत्थरों का अभाव। अहिक्षेत्र का विवरण महाभारत में विधिवत् किया गया है।
अहिक्षेत्र व आस-पास के इतिहास व तिथि के आधार पर रामपुर का तिथि निर्धारण किया जा सकता है। क्युँकी इतने बड़े क्षेत्र में फैले होने और ऐसी महत्वपूर्ण व बड़ी पुरातात्विक स्थलों की उपलब्धता इस पर संकेत देती है कि रामपुर उस वक्त तक मानव बसाव व उसके आवागमन का अनुभव ले चुका था। अभी तक किसी प्रकार का उत्खनन इस जिले मे नही हो सका है जिससे किसी प्रकार का पुरातात्विक तिथि यहाँ से नही मिल पायी है।
1. हिस्ट्री ऑफ़ अर्ली स्टोन स्कल्पचर एट मथुराः सीए. 150 बी.सी.ई-100 सी.ई., सोन्या रे क्विंटानिल्ला
2. इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ऐन्सियन्ट इंडियन जियोग्राफी, वाल्युम 1, एडिटेड बाय- सुबोध कपूर
3. आर्केयोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया, भाग 1, कनिंघम
4. पाँचाल और उनकी राजधानी अहिच्छत्र, बी.सी. लॉ
5. ऐंशिऐंट इंडिया, भाग 1, के.सी. पाणिग्राही
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