किसी भी स्थान की महत्ता वहाँ के मौसम और भुगोल पर आधारित होती है, जैसा की रामपुर अत्यन्त उर्वर स्थान पर स्थित है तो यहाँ पर विभिन्न प्रकार की वानस्पतिक विविधितता देखने को मिल जाती है। रामपुर शहर की स्थापना करीब 300 वर्ष पहले हुई थी, पर उससे पहले यह क्षेत्र अत्यधिक घने जंगल के रूप में था। आज भी यहाँ की वानस्पतिक विविधितता को देख कर जंगली वनस्पति के कई प्रमाण प्राप्त होते हैं। रामपुर में मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है तथा यहाँ पर फूलों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। यहाँ पर मुख्य रूप से गेंदा, गुलाब, व अन्य सजावटी फूलों का उत्पादन किया जाता है। यहाँ से फूलों को इत्र बनाने के लिये व सजावटी कार्य के लिये फूलों को विभिन्न मंडियों में भेजा जाता है। रामपुर में यदि देखा जाये तो प्रथम बार पुष्पों को बड़े पैमाने पर रामपुर किले के निर्माण के बाद लगाया गया था जिसमें कई विदेशी पुष्पों को भी शामिल किया गया था। तभी से अब तक यहाँ पर भारतीय व विदेशी दोनो प्रकार के फूल यहाँ बोये जाते हैं। रामपुर किले में भी वर्तमान काल में विभिन्न प्रकार के पुष्पों को देखा जा सकता है। फूलों की खेती एक फायदे का सौदा है तथा यह रोजगार बढाने में भी कारगर है। यहाँ पर किसानों ने पॉली हाउस का भी निर्माण किया है जिसमें फूल बढियाँ रूप से उत्पादित होते हैं तथा उनपर मौसम की मार नही पड़ती। पुष्प की कृषी में सरकार की तरफ से भी कई योजनायें चलाई जा रही हैं जो वैज्ञानिक पुष्प कृषी को प्रोत्साहित करती हैं। 1. https://www.india.gov.in/topics/agriculture/floriculture 2. http://uphorticulture.gov.in/pages/en/top-menu/schemes/main-schemes/en-midh 3. http://www.apeda.gov.in/apedawebsite/SubHead_Products/Floriculture.htm
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