भारत में पशुओं से जुड़े व्यवसाय कृषि क्षेत्र का अविभाज्य हिस्सा हैं और लोक कल्याण हेतु आवश्यक भी। इतिहास के साक्ष्य देखें जाएँ तो मनुष्य और जीव जगत का, खास करके पशुओं का मनुष्य के साथ सहजीवी रिश्ता है। मनुष्य ने खाद्य हेतु, साथ देने के लिए, और यातायात तथा बोझा ढोने हेतु विविध प्राणियों को पालतू बनाया। इस के लिए मानव ने स्थानीय उपलब्ध पशु और उसकी भौगोलिक कक्षा के बाहर से प्राणी लाकर उन्हें स्थानीय वातावरण के योग्य बनाया, मगर इसके लिए उपलब्ध भौगोलिक माहौल भी थोड़ा बहोत समरूप होना चाहिए। रामपुर में आज करीब, राज्य की सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की विज्ञप्ति के हिसाब से, डेढ लाख गायें तथा करीब चार लाख भैंसे हैं| इसके अलावा करीब एक लाख से ज्यादा बकरियां और 11 हज़ार सुअर व करीब 4.5 लाख मुर्गियाँ हैं| यहाँ प्रत्येक 8 इंसान पर एक दुधारू जानवर है और प्रत्येक 3 इंसान पर एक जानवर है| रामपुर में मांस का निर्यात भी काफी उच्च पैमाने पर होता है| इसके अलावा रामपुर-स्वार और आस पास के क्षेत्र में घोड़ों का पालन तथा व्यापार भी होता है| रोहिल्ला जिन्होंने रामपुर की स्थापना की पहले मुग़लों के लिए भाड़े के सिपाही होते थे और उसी के साथ वे मध्य एशिया से घोडे लाकर उनका अश्वदल इत्यादि के लिए व्यापार भी करते थे। रामपुर स्टेट गज़ेटियर के अनुसार रामपुर बहुत लम्बे समय तक अश्व और हाथी के व्यापार के लिए जाना जाता था। रामपुर हाउंड ये दुनिया में सबसे तेज और फुर्तीले कुत्ते की नस्ल का प्रजनन यही पर किया गया। इसी गज़ेटियर के हिसाब से यहाँ 1904 से लेकर 1908 तक सालाना मवेशियों की गणना की जाती थी और इसमें इन्होनें दर्ज किया है की हल चलाने वाले तथा दुधारू जानवर जैसे गाय भैंस बढ़ गए हैं लेकिन उसी समय जवान मवेशी की संख्या कम हो रही है। इसे बढ़ाने के लिए उन्होंने कुछ पर्याप्त योजनाएं भी बनायीं। बोझा ढ़ोने वाले प्राणी जैसे गधा, उनकी संख्या भी कम हो रही थी जिसके लिए रामपुर में गवर्नमेन्ट सिविल वेटरनरी डिपार्टमेंट से उनके प्रजनन के लिए बीजाश्व किराये पर लाया गया था। 1. सी डेप रामपुर 2007 2. टेम्ड: टेन स्पीशीज दाट चेंज्ड अवर वर्ल्ड- ऐलिस रोबर्ट्स 3. रामपुर स्टेट गज़ेटियर 1914 4. एम एस एम ई, रामपुर 5. वॉर, एक्साएल एंड द म्यूजिक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान: द एथनोग्राफर्स टेल: जॉन बैली
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