प्राकृतिक आपदाएं जहां कहीं भी किसी भी रूप में आती हैं वहाँ काफी व्यापक रूप से क्षति पहुंचाती हैं। हालांकि प्राकृतिक आपदाओं को आने से ना कोई एकदम से रोक सका है और ना ही इनके आने का कोई सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसे ही हवा का हिंसक तेज झोंका बवंडर का एक सिरा गरज वाले बादलों में होता है तो दूसरा जमीन पर तथा यह एक शक्तिशाली घूर्णन रूप में चलते हुए, ठोस निर्मित संरचनाओं को पूरी तरह से नष्ट करने, पेड़ों को उखाड़ने और घातक मिसाइलों की तरह हवा के माध्यम से वस्तुओं को फेंकने में सक्षम होते हैं। बवंडर तब उत्पन्न होते हैं जब गर्म, नम हवा ठंडी, शुष्क हवा से टकराती है। घनी ठंडी हवा आमतौर पर आंधी के साथ गर्म हवा के ऊपर धकेल दी जाती है। गर्म हवा ठंडी हवा के माध्यम से ऊपर उठती है, जिससे अपड्राफ्ट (Updraft) उत्पन्न होता है। यदि हवा की गति या दिशा में तेज परिवर्तन होता है, तो अपड्राफ्ट घूमना शुरू हो जाता है। भारत में 1838 से 2001 के बीच बंगाल क्षेत्र में कुल 86 बवंडर आए। इसके विपरीत, उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान ने वर्ष 1903 और 2012 के बीच केवल 15 बवंडर देखे हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3Fa2gOn
https://bit.ly/3ksNGbh