Post Viewership from Post Date to 25-Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1769 99 1868

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

बेरोजगारी और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को एक साथ सुलझा सकती हैं, हरित नौकरियां

रामपुर

 21-04-2022 08:33 AM
जलवायु व ऋतु

भारतीय होने के नाते आपने "एक पंथ, दो काज" या "एक तीर से दो निशाने" वाली कहावत, अवश्य सुनी होगी! आज हम आपको इस कहावत की एक अनोखी और सकारात्मक मिसाल देने जा रहे हैं, जिसके अंतर्गत हमारे पास एक ऐसा तीर अर्थात समाधान है, जिसकी सहायता से पर्यावरण पदूषण और बेरोज़गारी जैसी, दो विकट समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। इस तीर का नाम “हरित नौकरी” है! आजकल हरित नौकरियां या “ग्रीन जॉब्स (green jobs)” बड़ी सुर्खियों में हैं। हरित नौकरियां पर्यावरण की दिशा में, विनिर्माण और निर्माण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में, या अक्षय ऊर्जा जैसे उभरते हरित क्षेत्रों में अहम् योगदान अदा करती हैं। हाल ही में घोषित, केंद्रीय बजट में भी हरित रोजगार पैदा करने पर ध्यान देने के साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भू-स्थानिक प्रणाली, ड्रोन, अर्धचालक, स्वच्छ गतिशीलता प्रणाली, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों पर काफी जोर दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि, वित्त वर्ष 2023 का बजट, न केवल हरित विकास सुनिश्चित करेगा, बल्कि बड़ी संख्या में हरित रोजगार भी पैदा करेगा।
जानकार मान रहे हैं की अक्षय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित परिवहन, प्रमुख रूप से हरित नौकरियों में योगदान करते हैं। अक्षय ऊर्जा के तहत अगले कुछ वर्षों में 3.3 लाख से अधिक नौकरियां पैदा करने की उम्मीद है, जबकि पिछले 6 वर्षों में इस खंड के कार्यबल में पांच गुना वृद्धि देखी गई है। आज छत पर सौर ऊर्जा उत्पादन, सौर पैनल मॉड्यूल, इनवर्टर , एलईडी बल्ब और ऊर्जा कुशल पंपों के अंतिम उपयोग के घटकों के निर्माण हेतु, बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत है। वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए नेक्स्ट- जेन समाधान (Next-Gen Solutions) ने भारत में सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों जैसे डिजाइन, डेटा सिस्टम, बैटरी और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में नौकरी चाहने वालों के लिए एक बड़ी मांग पैदा कर दी है। 2020 की तुलना में इस वर्ष इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में लगभग 200 प्रतिशत की वृद्धि से विनिर्माण, डिजाइन और उत्पादन के क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा हुई हैं। "हरित ऊर्जा की क्रांति के माध्यम से लगभग 13% नौकरियां ग्रामीण कस्बों के भीतर ही पैदा हुई हैं, इस प्रकार बेरोजगारी की समस्या में कमी आई है।" रैंडस्टैड इंडिया के चीफ कमर्शियल ऑफिसर स्टाफिंग एंड रैंडस्टैड टेक्नोलॉजीज (Randstad India Chief Commercial Officer Staffing and Randstad Technologies), यशाब गिरी के अनुसार पर्यावरण पर व्यवसायों के प्रभाव के अनुरूप, नए जमाने के खरीदारों के बीच जागरूकता बढ़ने से, हरित प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को बनाने के लिए कौशल युक्त, पेशेवरों की मांग में वृद्धि हुई है।इसके साथ ही कंपनियां विनिर्माण और परिवहन में स्थिरता विश्लेषकों (sustainability analysts), जल अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञों, सौर डिजाइनरों, शहरी पर्यावरण प्रभाव अधिकारियों और पर्यावरण डेटाबेस प्रशासकों (environmental database administrators) की तलाश कर रही हैं, ताकि डीकार्बोनाइज्ड संचालन सुनिश्चित किया जा सके। पानी, अपशिष्ट और बिजली प्रबंधन जैसे उद्योगों में काम करने वाले स्टार्ट-अप को बड़े-बड़े निवेशकों से फंडिंग प्रोत्साहन मिल रहा है, जिससे 'कंपनियों' में काम करने की तलाश करने वाले युवा प्रतिभाओं को आकर्षित किया जा रहा है। वर्तमान अनुमानों के अनुसार, भारत वर्तमान में हरित नौकरियों की मांग और आपूर्ति के लिए दुनिया के शीर्ष तीन देशों में से एक है, और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र 2022 तक लगभग 85,000 से 100,000 नौकरियों का सृजन कर सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है की शहरों में हरित क्षेत्र, नगर निगम परिषद में 650 नौकरियों, नगर नगर पालिका परिषद में 1,875 नौकरियों और नगर निगम में 9,085 नौकरियों का सृजन कर सकता है। इनमें से शहर के आकार के आधार पर अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 150-2,500 नौकरियां, कचरा प्रबंधन में 300-2,000, हरित परिवहन में 20-125 और शहरी खेती में 80-1,700 नौकरियां पैदा की जा सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि भारत की हरित अर्थव्यवस्था में बदलाव से 2030तक अकेले अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में, 30 लाख नौकरियां जुड़ सकती हैं।
जुलाई 2018 की इंडिया स्पेंड (IndiaSpend) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र ने भारत में 2017 के दौरान 47,000 नए रोजगार सृजित किए, जिसमें आज 432,000 लोग कार्यरत हैं।बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को छोड़कर, भारत के हरित ऊर्जा क्षेत्र में नौकरियों की संख्या में केवल एक वर्ष से 2017 तक 12% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2017 में वैश्विक स्तर पर सृजित, 500,000 से अधिक नई हरित नौकरियों में से लगभग 20% भारत में थीं, जिसका अर्थ है कि, “इस क्षेत्र में 721,000 से अधिक भारतीय कार्यरत थे”। इस प्रकार हरित रोजगार एक उच्च जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) और उच्च बेरोजगारी दर वाले राष्ट्र के लिए, आगे बढ़ने का रास्ता प्रतीत होता है। 2018 के इस अध्ययन के अनुसार, एक परिपत्र अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करके लगभग 24 मिलियन नई नौकरियों का सृजन किया जा सकता है, जिसमें रीसाइक्लिंग, मरम्मत, किराया, पुन: निर्माण, और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं जैसे वायु और जल शोधन, मिट्टी नवीकरण और निषेचन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। भारत के बढ़ते अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अगले कुछ वर्षों में 330,000 से अधिक नए रोजगार पैदा करने की क्षमता है। 2017 में, कर्नाटक की नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की सौर नीति ने घोषणा की कि वह 2021 तक 6,000 मेगावाट जोड़ने का लक्ष्य रखते है, जो पिछले लक्ष्य की तुलना में 4,000 मेगावाट अधिक है।
दुनिया की एक चौथाई से अधिक ऊर्जा और वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग बराबर हिस्से का उपयोग करते हुए, परिवहन क्षेत्र बहुत सारे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसका चुनौती मुकाबला करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां गैर-मोटर चालित परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहन और बायो-सीएनजी वाहनों के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रही हैं। भारत की राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (National Electric Mobility Mission Scheme of India 2020) में देश के भीतर मोटर वाहन और परिवहन उद्योग में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाने की क्षमता है। हाल के केंद्रीय बजट में, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक अतिरिक्त उपाय के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जीएसटी को 12% से घटाकर 5% कर दिया है। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों और हरित गतिशीलता को अपनाने के लिए महत्वपूर्ण जनशक्ति की आवश्यकता होती है, और इन हरित गतिशीलता प्रणालियों के निर्माण, सेवा और रखरखाव में 100 तक हरित रोजगार सृजन करने की क्षमता है। शहरी कृषि पद्धतियों में वृद्धि से, पर्माकल्चर (permaculture), बागवानी, नर्सरी प्रबंधन, और मिट्टी तथा पोषक तत्वों की आपूर्ति में रोजगार पैदा करने में मदद मिल सकती है।
जैव विविधता के संरक्षण, आवास के नुकसान को रोकने, प्रदूषण को कम करने और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने की आवश्यकता को महसूस करते हुए, दुनिया भर की सरकारों ने कोरोना वायरस महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिए कई 'हरित' योजनाएं तैयार की हैं, तथा इन योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए भी प्रशिक्षित और कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है। छात्रों के बीच जलवायु साक्षरता विकसित करने के लिए, केंद्रीय एवं राज्य शिक्षा विभाग विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में जलवायु परिवर्तन पर अध्यायों को शामिल किया जा सकता हैं। इसे साकार करने के लिए हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) को पर्याप्त रूप से संशोधित किया जा सकता है। महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जिसने पहले से ही सिस्टम थिंकिंग (systems thinking), जनसंख्या, ज्ञान वृद्धि, संसाधन उपयोग, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित विषयों को, अपने उच्च माध्यमिक शिक्षा विषयों में शामिल किया है। आज जलवायु शिक्षा को स्कूल स्तर से आगे और विभिन्न विषयों के स्नातक पाठ्यक्रमों, विशेष रूप से तकनीकी पाठ्यक्रमों में ले जाने की आवश्यकता है। यह छात्रों को हरित-नौकरियों के लिए तैयार कार्यबल प्रदान करेगा! अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, हरित रोजगार निरंतर बढ़ रहा है, और नौकरी चाहने वाले कई युवा, पर्यावरण के प्रति जागरूक व्यवसायों में रुचि रखते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/37pwQXT
https://bit.ly/3KUfoJD
https://bit.ly/3xxBjCn

चित्र संदर्भ

1. चाय चुनने वाली महिला को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
2. सोलर पैनल कर्मचारी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बाल्टीमोर में ग्रीन जॉब प्रशिक्षण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. कृषि वैज्ञानिकों को दर्शाता एक चित्रण (Excellence in Breeding Platform)
5. अक्षय ऊर्जा अभियंता को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर जानें, इनकी प्रक्रिया, कार्य व समस्याएं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     25-04-2024 09:29 AM


  • विश्व पुस्तक दिवस पर डूबिये रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के अद्भुद ज्ञान सागर में
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     24-04-2024 09:28 AM


  • क्या ब्रह्मचारी एवं चिरंजीवी हनुमानजी का विवाह हुआ था?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     23-04-2024 09:36 AM


  • आइए देखें दुनिया के अलग-अलग देशों में ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ मनाने के विभिन्न रंग
    जलवायु व ऋतु

     22-04-2024 09:55 AM


  • ये हैं दुनिया के सबसे ख़तरनाक पक्षी, जंगल का राजा शेर भी खाता हैं इनसे ख़ौफ़
    व्यवहारिक

     21-04-2024 09:44 AM


  • भगवान महावीर और प्रभु श्री राम में, क्या अनोखी समानता है?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     20-04-2024 09:59 AM


  • क्या प्राचीन भारतीय ब्राह्मी लिपि पर था, यूनानी या ग्रीक लेखन व वर्णमाला का प्रभाव?
    ध्वनि 2- भाषायें

     19-04-2024 09:35 AM


  • विश्व धरोहर दिवस पर जानें, भारत व विश्व के अनूठे धरोहर स्थलों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     18-04-2024 09:41 AM


  • राम नवमी विशेष: वैश्विक पटल पर प्रभु श्री राम की महिमा कैसे और किन कारणों से फैली?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:31 AM


  • प्राचीन ग्रीस, बेबीलोन व अन्य सभ्यताओं में हमारे देश की पहचान बना था हमारा कपास
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id