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विभिन्न संस्कृतियों में वानर देवताओं के भिन्न भिन्न रूप

रामपुर

 16-04-2022 08:36 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

मंकी किंग (Monkey King) को मंदारिन चीन (Mandarin Chinese) में सन वुकोंग (Sun Wukong) के नाम से जाना जाता है। इन्हें 16वीं शताब्दी के चीनी उपन्यास जर्नी टू द वेस्ट (Journey to the West) और बाद की कई कहानियों में मुख्य पात्र के रूप में जाना जाता है। जर्नी टू द वेस्ट (Journey to the West) में उल्लेखित है कि सन वुकोंग एक पत्थर से उत्पन्न हुआ एक बंदर है जिन्हें ताओवादी (Taoism) प्रथाओं के माध्यम से अद्भुत शक्तियाॅं प्राप्त हुई हैं। उन्होंने एक बार स्वर्ग के खिलाफ विद्रोह कर दिया था जिस वजह से उन्हें भगवान बुद्ध (Buddha) द्वारा एक पहाड़ के नीचे कैद कर दिया गया था। सन वुकोंग में कई क्षमताएं हैं। उसके पास अद्भुत एवं अनोखी शक्तियाॅं है। उनकी तीव्रता अतुल्य है, वह एक उल्का पिंड के समान तीव्र गति से दौड़ते हुए अपने कंधों पर दो स्वर्ग के पर्वतों का भार उठाकर भागने में सक्षम है। वह बेहद तेज हैं, एक बार में ही 34,000 मील से अधिक दूरी की यात्रा करने में सक्षम है। सन वुकोंग को 72 किस्म के सांसारिक परिवर्तन की शक्ति भी प्राप्त है, जो उन्हें 72 अद्वितीय शक्तियों और अनेकों रूपों में बदलने की क्षमता प्रदान करती है। जिसमें विविध जानवरों और वस्तुओं में बदलने की क्षमता भी सम्मिलित है। वह एक सकुशल सेनानी हैं, जो स्वर्ग के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं को आसानी से पराजित करने में भी सक्षम है। इसके साथ ही उनके बालों में कई जादुई गुण स्थापित हैं, जो स्वयं के स्वरूप की अनेकों प्रतियां बनाने या स्वयं को विभिन्न हथियारों, जानवरों और अन्य चीजों में बदलने का सामर्थ्य रखती हैं। मंकी किंग रामायण के हिंदू देवता श्री हनुमान जी (Lord Hanuman) से प्रभावित थे, जो एक बंदर-भगवान थे। शास्त्रों के अनुसार ये सभी कहानियां आपस में एक दूसरे से प्रेरित हैं क्योंकि मंकी किंग की वास्तविक कहानी में एक पत्थर पर बहने वाली हवा का उल्लेख किया गया है और हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान श्री हनुमान जी पवन के देवता के पुत्र हैं।
जर्नी टू द वेस्ट के अनुसार, मंकी किंग का जन्म या उत्पत्ति एक मजबूत अलौकिक जादू के पत्थर से हुई है जो फूलों और फलों के पहाड़ की सबसे ऊपरी चोटी पर स्थित है। ताओवादी के अनुसार यह पत्थर कोई साधारण पत्थर नहीं है, इस पत्थर के भीतर स्वर्ग के कई पोषक तत्व एवं गुणों का संरक्षण है। ऐसा उल्लेखित है कि इस पत्थर में स्वर्ग के गुण होने के कारण कई प्रकार की सकारात्मक शक्तियां शामिल हैं एवं पृथ्वी में कई प्रकार की नकारात्मक शक्तियां भी शामिल हैं और इसी प्रकार यह जादुई पत्थर जीवित प्राणियों को उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। इसी प्रकार एक बार यह पत्थर एक जादुई गर्भ का विकास करता है जो कुछ समय बाद फट जाता है और वहां से एक गेंद के आकार के पत्थर का अंडा उत्पन्न होता है। प्रकृति की प्राकृतिक क्रिया के कारण तेज हवा चलती है और वो अंडे को स्पर्श करती हुई निकलती है और वह अंडा कुछ समय बाद एक बंदर में परिवर्तित हो जाता है, जो पहले से ही रेंघ और चल सकता है। इस कहानी में मंकी किंग की उत्पत्ति का उल्लेख संभवतः हिंदू धर्म के वानर-देवता भगवान श्री हनुमान जी की उत्पत्ति के बारे में संकेत दे रहा है, जिनके पिता पवन देवता को माना जाता है। सन वुकोंग को भिन्न-भिन्न संस्कृति में भिन्न-भिन्न रूपों से जाना एवं पूजा जाता है। जैसे शि हो (Shi Hou), जिसका अर्थ "पत्थर बंदर" होता है। यह नाम उनके भौतिक रूप को प्रतिबिंबित करता है जो फूल-फल पर्वत पर चट्टान के एक विशाल क्षेत्र से उत्पन्न हुआ है। मोई होउवांग (Mei Houwang), जिसका अर्थ "सुंदर बंदर-राजा" होता है। संक्षिप्त रूप से विशेषण मुई का अर्थ "सुंदर, सुंदर, सुंदर" होता है और होउ उनके "शरारती और चंचल" चरित्र को दर्शाता है। मोई होउवांग का अर्थ "स्वयं से प्रसन्न होना" भी है, जो "स्वयं पर अहंकार होने" का जिक्र करता है। सोन वेकोंग नाम उन्हें उनके पहले गुरु, कुलपति बोधि (Bodhi) द्वारा दिया गया नाम है। उपनाम सोन को बंदर के विषय में मजाक के रूप में दिया गया था, क्योंकि बंदरों को हुसन (Husun) भी कहा जाता है और इसका शाब्दिक मतलब या तो सुसज्जित बंदर या एक आलंकारिक बंदर हो सकता है। इसी तरह इन्हें कैंटोनीज़ (Cantonese) संस्कृति में सुएन एनजी-हंग (Suen Ng-hung), जापानी (Japanese) संस्कृति में सोन गोको (Son Goku), कोरियाई (Korean) संस्कृति में सोन ओह गोंग (Son Oh Gong), मिनान (Minnan) संस्कृति में सन न्गो-खोंग (Sun Ngo-Khong), वियतनामी (Vietnamese) संस्कृति में टुन न्गो खोंग (Ton Ngo Khong), जावानीज़ (Javanese) संस्कृति में सुंग घोकोंग (Sung Ghokong) या सुंग गोखोंग (Sung Gokhong), थाई (Thai) संस्कृति में सन नोगोकोंग (Sun Ngokong), मलय (Malay) और इंडोनेशियाई (Indonesian) संस्कृति में अराकनी (Arakanese) और सन गोकोंग (Sun Gokong) संस्कृति में "वू खोन (Wu Khone)" के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी को सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय देवताओं में से एक माना जाता है। उन्हें भक्ति, विश्वास, वीरता और निस्वार्थ प्रेम के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
भारत जैसे सांस्कृतिक एवं पारंपरिक देश के साथ-साथ, दक्षिण पूर्व एशिया में भी पूजा की जाने वाली रामायण और महाभारत सहित अन्य कई धार्मिक ग्रंथों में भी हिंदू भगवान श्री हनुमान जी का कई बार उल्लेख किया गया है। दक्षिण पूर्व एशिया में, वह विभिन्न रूपों में जाने जाते हैं और विभिन्न किंवदंतियों में में भी इनका उल्लेख किया गया है। हनुमान शब्द संस्कृत के दो शब्दों "हनु" और "मनुष्य" के मिश्रण से बना है। "हनु" का अर्थ मुख से संबंधित है, जबकि "मनुष्य" का अर्थ विचित्र होता है। मूल रूप से उनका नाम एक वर्णनात्मक था क्योंकि बचपन से ही उनका विचित्र मुख था। लोगों के सामने यह प्रश्न बार बार सामने आया है कि हनुमान जी को वायु के देवता वायु के पुत्र माना जाता है और हनुमान जी की माता अंजना जी स्वर्ग की एक अप्सरा थी तो फिर हनुमान जी वानर क्यों हैं? इस प्रश्न का जवाब उनकी मां अंजना जी के पास मौजूद है। अंजना जी को एक ऋषि ने श्राप दिया था और वह एक बंदर के रूप में पैदा हुई थी। जब अंजना जी ने ऋषि से स्वयं को क्षमा करने की भीख मांगी, तो ऋषि ने उन्हें एक उपाय बताया और कहा कि जब वह एक देव पुत्र, यानी किसी भगवान के अवतार को अपने पुत्र के रूप में जन्म देगी तब ही वह अपना मूल रूप प्राप्त कर सकेगी । इस प्रकार उन्हें हनुमान जी जो शिव (Lord Shiva) के अवतार थे, की माता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उसके पश्चात वे अपने मूल रूप में वापिस आ सकी। एक बच्चे के रूप में, श्री हनुमान जी के पास महान अद्वितीय शक्तियां थी, और हिंदू ग्रंथों में सुंदर के रूप में वर्णित विभिन्न देवताओं के दिलों को जीतने के साथ-साथ उन्होंने और अधिक शक्तियां इकट्ठा करना जारी रखा। उन्हें एक असाधारण शक्ति के रूप में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) द्वारा उनके महत्वपूर्ण लक्ष्यों को पूर्ण करने हेतू एक अस्त्र भेंट के रूप में दिया गया था जिसे गदा (Gada) कहा जाता है।
यह कोई साधारण गदा नहीं था बल्कि साधारण गदे के मुकाबले कई गुना ज्यादा शक्तिमान था जिसे केवल भगवान श्री हनुमान ही उठा सकते थे। इस प्रकार वह अमर हैं, आत्म-नियंत्रित हैं, इच्छानुसार अपना आकार बदल सकते हैं, असाधारण ताकत रखते हैं, अपना स्वरूप भी बदल सकते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं जो लगातार कठिन चुनौतियों का सामना करता है, जिसे अपने महान लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिकूल या मुश्किल परिस्थितियों को दूर करना पड़ता है। किसी तरह, वह उन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अभिनव और रचनात्मक तरीके खोजते हैं, और उन्हें जीत में बदल देते हैं। यही कारण है कि कई हिंदू भक्त श्री हनुमान जी नामक इस देवता की पूजा करते हैं, और इसीलिए एक पूरा त्योहार, हनुमान जयंती, उनके जन्म के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3OcyFIo
https://bit.ly/3Eg1b75
https://bit.ly/3jGdtMM

चित्र संदर्भ
1. विभिन्न संस्कृतियों में वानर देवताओं के भिन्न भिन्न रूप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia, flickr)
2. अथिएन हौ मंदिर, हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम में सन वुकोंग के मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. बंदर भगवान मंदिर | टियोंग बाहरू क्यूई तियान गोंग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. पंचमुखी हनुमान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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