Post Viewership from Post Date to 06-Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1976 141 2117

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

गिरमिटिया मजदूरों द्वारा विश्व में प्रसारित किया गया, भोजपुरी भाषी गीत-गवई की प्राचीन परंपरा को

रामपुर

 02-04-2022 10:02 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक धरोहरों से सम्पन्न, भारतीय संस्कृति विश्व में जहां-जहां फैली वहां-वहां अपनी सांस्कृतिक सुगंध को फैलाती रही! विषम परिस्थितियों में भी भाग्य के विपरीत जाकर, हर्षोल्लास में रहना हम भारतीयों की विशेषता रही है। हम जहां भी गए, जिन हालातों में भी रहे, हमने अपनी सांस्कृतिक संगीत विरासत को हर हालात में संजोया है। आज भी विदेशों में रह रहे भारतीय आप्रवासियों या "गिरमिटिया मजदूरों के वंशजों" द्वारा निभाई जा रही “गीत गवाई” की प्राचीन भारतीय प्रथा इस बात का ठोस प्रमाण है।
गीत-गवई या गीत गवाई, विवाह से पूर्व मनाया जाने वाला एक भारतीय समारोह है। जहां विभिन्न अनुष्ठान, प्रार्थना, गीत, संगीत और नृत्य इस परंपरा का हिस्सा होते हैं। यह मुख्य रूप से मॉरीशस (Mauritius) में रहने वाले, भारतीय मूल के भोजपुरी भाषी समुदायों द्वारा निभाई जाने वाली परंपरा है। गीत गवाई की पारंपरिक प्रथा दूल्हा या दुल्हन के घर पर होती है, और इसमें परिवार की महिला सदस्य और पड़ोसी शामिल होते हैं। इसकी शुरुआत पांच विवाहित महिलाओं द्वारा कपड़े के एक टुकड़े में वस्तुओं (हल्दी, चावल, घास और धन) को छांटने से होती है, जबकि इस दौरान अन्य प्रतिभागी हिंदू देवी-देवताओं के सम्मान में गीत गाते हैं। भूमि को पवित्र करने के बाद, दूल्हे या दुल्हन की मां और एक ढोलकिया, समारोह के दौरान बजाए जाने वाले संगीत वाद्ययंत्रों, जैसे ढोलक (दो सिर वाला ड्रम) का सम्मान करते हैं। इसके बाद उत्थान के गीत गाए जाते हैं, और समारोह में शामिल होने वाले सभी लोग गाते और नृत्य करते हैं। गीत-गवई सामुदायिक पहचान और सामूहिक सांस्कृतिक स्मृति को अभिव्यक्त करती है। यह भारतीय परंपरा, प्रतिभागियों को गर्व की भावना और रोमांच से भर देती है, तथा सभी को अधिक सामाजिक एकता में रहने, और वर्ग और जाति बाधाओं को तोड़ने का संदेश देती है।
इस प्रथा के अभ्यास और उससे जुड़े कौशल का ज्ञान पुरानी पीढ़ी द्वारा, युवा पीढ़ी को अनौपचारिक और औपचारिक आधार पर प्रेषित किया जाता है। यह परिवारों, अर्ध-औपचारिक शिक्षण गृहों, सामुदायिक केंद्रों और अकादमियों द्वारा, अवलोकन और भागीदारी के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान, गीत-गवई की प्रथा सार्वजनिक स्तर पर भी आयोजित की जाती है, जिसमें पुरुष भी भाग लेते हैं। 2016 में, इस अनुष्ठान को यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में जोड़ा गया था। यह समारोह सामूहिक सांस्कृतिक स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है। जाति और वर्ग की बाधाओं को तोड़कर, यह सहज और एकजुट सामुदायिक पहचान के निर्माण में योगदान देता है। मॉरीशस (Mauritius) में गीत गवई की परंपरा को 1834 के दौरान भारत की भोजपुरी बेल्ट से ले जाए गए गिरमिटिया मजदूरों द्वारा पहुंचाया गया। गिरमिटिया, जिन्हें जहांजिस (Jahanjis) के नाम से भी जाना जाता है , ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत से अनुबंधों में ले जाए गए मजदूर थे। जिन्हें भारतीय अनुबंध प्रणाली के हिस्से के रूप में फिजी (Fiji) , मॉरीशस , दक्षिण अफ्रीका और कैरिबियन (Caribbean) (ज्यादातर त्रिनिदाद और टोबैगो (Trinidad and Tobago) , गुयाना (Guyana) , सूरीनाम (Surinam) और जमैका (Jamaica)) में बागानों पर काम करने के लिए ले जाया गया था। गीत गवाई की परंपरा को इन्ही गिरमिटिया मजदूरों द्वारा आगे की पीढ़ियों में मौखिक रूप से पारित किया गया। भारतीय डायस्पोरा(Indian Diaspora) ने गीत गवई को एक मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक अभिव्यक्ति बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया।
गुलामी के उन्मूलन के बाद, ब्रिटिश अधीन भारत से मजदूरों को मॉरीशस के गन्ने के बागानों में काम करने के लिए लाया गया। गिरमिटिया भारतीय मजदूर 1834 में भोजपुरी भाषी क्षेत्र बिहार से पोर्ट लुइस (Port Louis) पहुंचे। समय के साथ गिरमिटिया की संख्या बढ़ी और आज मॉरीशस में भारतीय प्रवासी का 54% हिस्सा भोजपुरी बोलता है।
गीत गवई, गीतों, कहावतों और कहानियों का एक संग्रह है। यह मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होता रहा है, और इस सांस्कृतिक परंपरा को जीवित रखने में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गीत गवई न केवल परिवार में एक बाध्यकारी शक्ति (binding force) रहा है, क्योंकि बच्चों को अपने माता-पिता से सीखने को मिलता है, बल्कि इसने समुदायों को भी एक ही धागे में पिरोये रखा है। हालांकि गीत गवई परंपरा को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। दरअसल पिछले 1970 के दशक में देखा गया कि, मॉरीशस और अन्य गिरमिटिया देशों जैसे फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो में, महिलाएं पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति से दूर जा रही थीं और आधुनिक प्रवृत्तियों को अपना रही थीं, साथ ही गीत गवई से जुड़ी महिलाओं की संख्या भी निरंतर कम होती जा रही थी। इससे उभरने के लिए 1982 में मॉरीशस में सार्वजनिक गीत गवई परंपरा की शुरुआत की गई, और इसके पीछे मूल विचार मौखिक परंपराओं को संस्थागत बनाना था, ताकि लोग इसे गंभीरता से ले। जिसके बाद सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया गया और जल्द ही, भोजपुरी संस्थान एक आंदोलन बन गया, जहां गायकों को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया गया।
इससे आम लोगों में भी, गीत गवई के प्रति बहुत उत्सुकता पैदा हुई, और अधिक लोगों ने गीत गवई में रुचि दिखाना शुरू कर दिया। 2012 में, मॉरीशस सरकार ने विभिन्न भाषी संघों की स्थापना की, जिसमें उन्होंने भोजपुरी भाषी संघ की घोषणा भी की। हालांकि गीत गवई गाने भोजपुरी में हैं जबकि इसकी स्क्रिप्ट देवनागरी भाषा में लिखी गई है।

संदर्भ
https://bit.ly/3LxU7Fg
https://bit.ly/3tX4ZqC
https://en.wikipedia.org/wiki/Girmityas
https://en.wikipedia.org/wiki/Geet-Gawai

चित्र संदर्भ
1. एक गीत गवई समारोह को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. एक गीत गवई समारोह में ढोलक पूजा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. ब्रिटिश त्रिनिदाद, टोबैगो में 1890 के आसपास लाए गए, भारतीय गिरमिटिया मजदूरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सार्वजनिक गीत गवई परंपरा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id