दुनिया के विभिन्न देशों के परमाणु हथियारों का नियंत्रण कैसे होता है?

हथियार और खिलौने
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दुनिया के विभिन्न देशों के परमाणु हथियारों का नियंत्रण कैसे होता है?

शीत युद्ध के बाद से परमाणु हथियारों के शस्त्रागार को कम करने के बावजूद‚ दुनिया के परमाणु हथियारों की संयुक्त सूची बहुत उच्च स्तर पर बनी हुई है। नौ देशों के पास 2022 की शुरुआत में लगभग 12‚700 परमाणु हथियार हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States America) अभी भी अपने परमाणु भंडार को धीरे-धीरे कम कर रहा है। फ्रांस (France) और इज़राइल (Israel) के पास अनुमानित स्थिर सूची है। लेकिन चीन (China)‚ भारत‚ उत्तर कोरिया (North Korea)‚ पाकिस्तान‚ यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) और रूस (Russia) सभी अपने परमाणु हथियारों के भंडार को बढ़ा रहे हैं।
अधिकांश परमाणु-सशस्त्र राज्य अपने परमाणु भंडार के आकार के बारे में अनिवार्य रूप से कोई जानकारी नहीं देते हैं। प्रत्येक देश के पास कितने परमाणु हथियार उपलब्ध हैं इस बात की बिल्कुल सटीक जानकारी का होना एक राष्ट्रीय रहस्य है‚ इसीलिए हम केवल अनुमान लगा सकते हैं कि किस देश के पास कितने परमाणु शस्त्रागार व उन शस्त्रगारों में कितने परमाणु हथियार उपलब्ध हैं। फरवरी 2019 में‚ पुलवामा (Pulvama) में आतंकवादी आत्मघाती बमबारी के बाद गतिरोध की ऊंचाई के समय‚ भारतीय नौसेना ने कई जहाजों को तैनात किया था‚ जिनमें संभवतः एक परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बी भी शामिल थी। भारतीय परमाणु बलों की लामबंदी इस बात पर सवाल उठाती है कि आखिरकार इन हथियार प्रणालियों को कौन नियंत्रित करता है और यह नियंत्रण कैसे किया जाता है।
यह लेख भारतीय परमाणु बल संरचना में हुए विकासों का दस्तावेजीकरण करता है और पहले परमाणु हथियार विकसित करने वाले राज्यों की तुलना में भारत में परमाणु हथियारों को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है‚ इसके बीच कुछ समानताओं और कुछ भिन्नताओं का स्पष्टीकरण देता है। यह विशेष रूप से कुछ प्रासंगिक बुनियादी ढांचे और क्षमताओं की जांच करता है‚ जैसे कि सैन्य कमांड सेंटर (Military Command Center)‚ सैटेलाइट और वितरण वाहन‚ जिन्हें पिछले दो दशकों में विकसित किया गया है जो परमाणु कमान और नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में‚ एक जटिल परमाणु कमान और नियंत्रण प्रणाली (Nuclear Command and Control System (NCCS)) के माध्यम से परमाणु बलों को फैसले बताए जाते हैं। परमाणु कमान और नियंत्रण (Nuclear Command and Control (NC2))‚ परमाणु हथियारों से संबंधित किसी भी प्रकार की क्रियाओं को नियंत्रण करने की एक प्रणाली है। अमेरिकी सेना की “न्यूक्लियर मैटर्स हैंडबुक 2015” (Nuclear Matters Handbook 2015) ने इस प्रणाली को “उपयुक्त सैन्य कमांडरों और सहायक कर्मियों द्वारा संपादित गतिविधियों और प्रक्रियाओं के रूप में परिभाषित किया है‚ जो कमांड की श्रृंखला के माध्यम से‚ परमाणु हथियारों के रोजगार पर वरिष्ठ स्तर के निर्णयों की अनुमति देते हैं।”
वर्तमान की “न्यूक्लियर मैटर्स हैंडबुक 2020” (Nuclear Matters Handbook 2020) इस प्रणाली को “मुख्य कार्यकारी और राज्य के प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति द्वारा परमाणु हथियार संचालन पर स्थापित कमांड लाइनों के माध्यम से अधिकार और दिशा का अभ्यास” के रूप में परिभाषित करती है। एनसीसीएस (NCCS) संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति को संकट के समय में परमाणु हथियारों के उपयोग को अधिकृत करने और अनधिकृत या आकस्मिक उपयोग से रोकने का अधिकार प्रदान करता है। न्यूक्लियर कमांड एंड कंट्रोल एंड कम्युनिकेशंस (Nuclear command and control and communications‚ (NC3))‚ का प्रबंधन सैन्य विभागों‚ परमाणु बल कमांडरों और रक्षा एजेंसियों द्वारा किया जाता है। एनसीसीएस (NCCS) सुविधाओं में नेशनल मिलिट्री कमांड सेंटर (National Military Command Center‚ (NMCC))‚ ग्लोबल ऑपरेशन सेंटर (Global Operation Center‚ (GOC))‚ एयरबोर्न ई-4बी नेशनल एयरबोर्न ऑपरेशंस सेंटर (Airborne E-4B National Airborne Operations Center‚ (NAOC))‚ और ई-6बी टेक चार्ज एंड मूव आउट (E-6B Take Charge and Move Out (TACAMO)) / एयरबोर्न कमांड (Airborne Command) सम्मिलित किए गए हैं। भारत में परमाणु हथियार कार्यक्रम के संबंध में कमान‚ नियंत्रण और संचालन संबंधी निर्णयों को लेने का अधिकार परमाणु कमान प्राधिकरण (Nuclear Command Authority‚ NCA) को दिया गया है। पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की तैनाती‚ अनुसंधान और विकास‚ ऑपरेशनल कमांड तथा नियंत्रण करने के लिए भी राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण (National Command Authority) का निर्माण किया गया है। भारत के परमाणु हथियारों की कमान और नियंत्रण स्थापित करने की चुनौतियों के बारे में लंबे समय से बहस चली आ रही है।
भारत के 1999 के परमाणु सिद्धांत के मामले में प्रभावी कमान और नियंत्रण के उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं‚ जिसके बाद 2003 से अधिक आधिकारिक बयान आया जिसमें नए शस्त्रागार को नियंत्रित करने वाले कुछ संगठनों का वर्णन किया गया था। मई 1998 में भारत और पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों के परीक्षण के बाद से लगभग दो दशकों में‚ दोनों देशों में कई महीनों तक कम से कम दो प्रत्यक्ष सैन्य टकराव और एक बड़ा सैन्य संकट रहा। भारतीय परमाणु कमान और नियंत्रण पर सीमित साहित्य‚ तकनीकी विशेषताओं के विपरीत‚ संस्थागत पहलुओं पर काफी हद तक केंद्रित है। विश्लेषक आमतौर पर भारत के परमाणु हथियार विकास की तुलना अन्य परमाणु हथियार वाले देशों के ऐतिहासिक प्रक्षेपवक्र से करते हैं। हालांकि ये निश्चित रूप से महत्वपूर्ण योगदान है कि हम भारतीय परमाणु कमान और नियंत्रण प्रणाली के बारे में अपनी चर्चा को सूचित करने के लिए सैन्य कमांड सेंटर (Military Command Center)‚ उपग्रह क्षमताओं और परमाणु वितरण प्रणाली जैसे तकनीकी विकास की अच्छी तरह से जांच पड़ताल करके एक अलग दृष्टिकोण अपनाते हैं।
एक अलग युग में अपनी प्रणाली का निर्माण करने वाले अन्य परमाणु हथियार राज्यों के प्रक्षेपवक्र के साथ भारतीय कमान और नियंत्रण की तुलना करने के बजाय‚ हम परमाणु के लिए उनके संभावित प्रभावों के साथ-साथ सैन्य संचार प्रगति पर भी चर्चा करते हैं।

संदर्भ:-
https://bit.ly/3CZIYdj
https://bit.ly/3udaf8r
https://bit.ly/3ukA9Hs
https://bit.ly/3ucpJtg

चित्र सन्दर्भ

1. नियंत्रण कक्ष को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
2. सर्वाधिक परमाणु हथियार वाले देश को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. टक्सन 05 टाइटन कंट्रोल रूम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एनसीए के वर्तमान प्रमुख हैं। जिनको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारतीय सैनिकों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)