मानव और संगीत का रिश्ता काफी पुराना है। विश्व में संगीत कला की उत्पत्ति कब हुई थी यह तो बता नहीं सकते लेकिन दिव्जे बेब फ्लूट (बांसुरी) जो तक़रीबन 40,000 साल पुरानी है तथा भालू के जांघ की हड्डी का इस्तेमाल कर बनाई गयी थी, और सिंधु घाटी सभ्यता से मिले रावण हत्त्था इन सभी साक्ष्यों को प्रमाण माना जाए तो यह बात जरुर सामने आती है की शायद संगीत और मानव आदिम काल से एक दुसरे का साथ देते चले आए हैं। भारत में संगीत का महत्व अनन्य-साधारण है। हमारे बहुत से मुख्य देवी देवता अपने साथ कोई ना कोई संगीत का यन्त्र लिए दिखाये गये हैं। जैसे सरस्वती को वीणा के साथ, कृष्ण को बांसुरी के साथ और शिव को डमरू के साथ प्रदर्शित किया जाता है। सिर्फ यही नहीं संगीत का अविभाज्य घटक नृत्य में भी उनका कोई न कोई संबंध दिखाया गया है, जैसे कृष्ण भगवान रास लीला, गणपति नृत्य कला और शिव भगवान तांडव के लिए प्रसिद्ध थे। भारत में संगीत को आध्यात्मिकता से जोड़ा गया है जहाँ पर नाद ब्रह्म एक आदिम संकल्पना बद्धमूल है। भारतीय परंपरा के अनुसार शिव नृत्यकला के आदिस्त्रोत हैं तथा सरस्वती गीत एवं गायन कला की प्रवर्तिका है और नाट्य शास्त्र का प्रणेता ब्रह्मा को माना जाता है। वेद उपनिषद् के श्लोकों को ओजपूर्ण बनाने के लिए निर्णित छन्दों में गाया जाता है। नाद ब्रह्म का संबंध राग तथा शास्त्रीय संगीत से है और नादोपासना को आध्यात्मिकता के तहत मोक्ष का तरीका बताया गया है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आनंद और अध्यात्मिक मोक्ष, दोनो परम उधेश्य हैं। भारत में शास्त्रीय संगीत के दो प्रमुख भाग हैं, कर्नाटिक और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत और दोनों की शिक्षा घरानों (संगीत शैली पर निर्भर गायकी) के हिसाब से दी जाती है। रामपुर में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत घरानों का प्रभाव है। रामपुर के नवाबों ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को राजाश्रय दिया तथा इस कला को आगे खूब बढ़ावा भी। ख्याल गायकी जो कहते हैं की हज़रत आमिर खुसरू देहलवी ने लोकप्रिय कराई और जिसके साक्ष्य हमें 13 शती के संगीत ग्रन्थ जैसे रूपकलप्ती के शारंगदेव का संगीतारत्नाक्र, स्थायाभंजनी तथा रुपकभंजनी आदि से मिलते हैं। उस्ताद चाँद खान प्रख्यात ख्याल गायक रामपुर दरबार में गाया करते थे। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत घरानों में से रामपुर-सहसवान घराना एक है। इसके संस्थापक उस्ताद इनायत खान थे। गुलाम मुस्तफ़ा खान, उस्ताद निसार हुसैन खान, उस्ताद राशिद खान, सुलोचना तथा बृहस्पति इस घराने के प्रमुख प्रतिपादक हैं। इस घराने की गायकी में स्वर की स्पष्टता पर काफ़ी ज़ोर दिया जाता है तथा रागों का बयान एवं विस्तार टप्पों से बढ़ाया जाता है। उस्ताद राशिद खान ने रामपुर-सहसवान घराने को और अनिवार्य रूप से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को भी राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जा रखा है। 1. घराना ऑफ़ हिन्दुस्तानी म्यूजिक: http://www.culturalindia.net/indian-music/hindustani-gharanas.html 2. इंट्रोडक्शन टू इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड एमेर्जंस ऑफ़ घराना: http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/56174/7/07_chapter%201.pdf 3. उस्ताद राशिद खान: http://www.ustadrashidkhan.com/gharana_style.htm 4.https://books.google.co.in/books?id=MiE9AAAAIAAJ&pg=PA139&lpg=PA139&dq=rampur+and+khayal+gayaki&source=bl&ots=y0Qx3Vo7-D&sig=I7NhANvBVU-4emQNdVMlfS3RR4I&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjgh8zEgLvYAhVJqo8KHU__AzEQ6AEIUTAH#v=onepage&q=rampur%20and%20khayal%20gayaki&f=false 5. ख्याल एंड घराना: एवोलुशन एंड डेवलपमेंट http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/129349/8/06.%20chapter_2.pdf 6. उत्तर प्रदेश के रुहेलखण्ड क्षेत्र की संगीत परम्परा (एक विवेचनात्मक अध्ययन) : डॉ. (श्रीमती) संध्या रानी
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