Post Viewership from Post Date to 15-Dec-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3180 109 3289

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

लंदन के संग्रहालय में मैसूर शासक टीपू सुल्तान का संगीत वाद्ययंत्र टीपू का बाघ

रामपुर

 10-12-2021 10:38 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

“टीपू का बाघ” भारत में मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान के लिए बनाया गया एक अठारहवीं शताब्दी का संगीत वाद्ययंत्र है‚ जो अब लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय (वी एंड ए) (Victoria and Albert Museum) की सबसे दिलचस्प वस्तुओं में से एक है। इसका नक्काशीदार और चित्रित लकड़ी का आवरण एक बाघ का प्रतिनिधित्व करता है‚ जो लगभग आदमकद यूरोपीय (European) सैनिक को उसकी पीठ के बल लेटा देता है। बाघ और मनुष्य के शरीर के अंदर की क्रियाविधियाँ मनुष्य के एक हाथ को हिलाती हैं‚ जिससे उसके मुँह से कराहने की आवाज़ निकलती है और बाघ से घुरघुराहट की। इसके अलावा 18 नोटों के साथ एक छोटे पाइप ऑर्गन के कीबोर्ड (Keyboard) को प्रकट करने के लिए‚ बाघ के किनारे पर एक पल्ला नीचे की ओर मुड़ा होता है। यह बाघ‚ टीपू के लिए बनाया गया था‚ जिसका उपयोग वह अपने व्यक्तिगत प्रतीक के रूप में और अपने दुश्मन‚ ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के अंग्रेजों से अपनी नफरत व्यक्त करने के लिए करता था। बाघ और बाघ की धारियाँ‚ टीपू सुल्तान की संपत्ति और उसके शासन या व्यक्तिगत जुड़ाव को दर्शाने के लिए बनाई गई किसी भी चीज़ की सजावट का हिस्सा थीं। उसके सिंहासन पर सोने के आभूषणों से सजे बाघ के सिर के शिखर थे‚ और उसके सिक्कों पर भी बाघ की धारियों की मुहर लगी होती थी‚ इसके अलावा उनकी तलवारों और बंदूकों में भी बाघ के सिर और धारियों को उनके रूपों और अलंकरण में शामिल किया गया था। उनकी सेना के लिए बनाए गए छोटे कांस्य मार्टर‚ झुके हुए बाघों के आकार में थे‚ और जिन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ घातक लोहे के आवरण वाले रॉकेट दागे थे‚ उन्होंने भी कपड़े में बुनी हुई धारियों के साथ अंगरखा पहना हुआ था। “टीपू का बाघ” भारत के प्रारंभिक संगीत ऑटोमेटा (musical automata) के एक उदाहरण के रूप में उल्लेखनीय है‚ और इस तथ्य के लिए भी कि इसका निर्माण विशेष रूप से टीपू सुल्तान के लिए किया गया था। टीपू सुल्तान ने अपने राज्य पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) की सेना के हमलों का कड़ा विरोध किया। कंपनी व्यापार के लिए स्थापित हो चुकी थी‚ लेकिन 18वीं शताब्दी के अंत तक‚ भारत में ब्रिटिश शासन का विस्तार हो रहा था। 1799 में टीपू की राजधानी सेरिंगपट्टम (Seringapatam) पर अंतिम हमला हुआ‚ जिसमें शासक की मौत हो गई क्योंकि सेना शहर में घुस गई और उसके निवासियों के घरों को लूट लिया। टीपू के खजाने को मौके पर ही सैनिकों के बीच रैंक के अनुसार बांटा गया‚ लेकिन उसके ग्रीष्मकालीन महल में पाए गए लकड़ी के बाघ को लंदन भेज दिया गया। गवर्नर जनरल‚ लॉर्ड मॉर्निंगटन (Governor General‚ Lord Mornington) ने टीपू के बाघ को‚ शुरू में टॉवर ऑफ लंदन (Tower of London) में एक प्रदर्शनी के रूप में ब्रिटेन भेजा था। पहली बार इसे 1808 में ईस्ट इंडिया हाउस (East India House) में लंदन की जनता के लिए प्रदर्शित किया गया और शीघ्र ही यह सबसे लोकप्रिय प्रदर्शनों में से एक बन गया। अंततः 1880 में इसे विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एकांत की एक संक्षिप्त अवधि के अलावा यह तब से सार्वजनिक प्रदर्शन पर रहा है‚ जो अब “दक्षिण भारत के शाही दरबार” पर स्थायी प्रदर्शनी का हिस्सा बन गया है। लंदन पहुंचने से लेकर आज तक “टीपू का बाघ” जनता के बीच एक लोकप्रिय आकर्षण रहा है। “टीपू का बाघ” मूल रूप से 1795 के आसपास मैसूर राज्य में बनाया गया था। टीपू का सिंहासन भी संभवतः एक समान आदमकद लकड़ी के बाघ पर टिका था‚ जो सोने से ढका हुआ था। अन्य मूल्यवान खजानों की तरह ही इसे भी ब्रिटिश सेना के बीच साझा की जाने वाली अत्यधिक संगठित पुरस्कार राशि के लिए तोड़ा गया था। टीपू को अपने पिता हैदर अली से सत्ता विरासत में मिली थी‚ जो एक मुस्लिम सैनिक थे। हैदर‚ शुरू में मराठों के खिलाफ तथा अंग्रेजों के साथ थे‚ लेकिन बाद में उनके पक्के दुश्मन बन गए‚ क्योंकि वे उसके राज्य के विस्तार के लिए सबसे प्रभावी बाधा का प्रतिनिधित्व करते थे‚ इसलिए टीपू हिंसक रूप से ब्रिटिश विरोधी भावनाओं के साथ बड़ा हुआ। टीपू फ्रांसीसी (French) के साथ “निकट सहयोग” में था‚ जो ब्रिटेन के साथ युद्ध में थे और दक्षिण भारत में मौजूद थे। संभवतः कुछ फ्रांसीसी शिल्पकार‚ जो टीपू के दरबार में आए थे‚ उन्होंने बाघ के आंतरिक कार्यों में अपना योगदान दिया था। माना जाता है कि यह डिजाइन 1792 में‚ जनरल सर हेक्टर मुनरो (General Sir Hector Munro) के एक बेटे की मौत से प्रेरित था‚ जिसने 1781 में पोर्टो नोवो (Porto Novo) की लड़ाई में‚ सर आइर कूट (Sir Eyre Coote's) की जीत के दौरान एक डिवीजन की कमान संभाली थी‚ जब हैदर अली‚ द्वितीय आंग्ल-मैसूर (Anglo-Mysore) युद्ध के दौरान 10‚000 पुरुषों की हार के साथ पराजित हुआ था। 17 वर्षीय‚ ईस्ट इंडिया कंपनी कैडेट (East India Company Cadet)‚ हेक्टर सदरलैंड मुनरो (Hector Sutherland Munro)‚ बाघ के हमले के कारण मारा गया था। जब 22 दिसंबर 1792 को वह बंगाल की खाड़ी में‚ सागर द्वीप पर अपने कई साथियों के साथ शिकार कर रहा था‚ तब एक बाघ ने हमला किया और उसे मार डाला। हालांकि इसी तरह के दृश्य‚ इस घटना से पांच साल पहले 1787-88 में‚ टीपू के लिए बनाई गई बंदूकों पर भी दिखाई दिए हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3dxYaCS
https://bit.ly/3lMxcM9
https://bit.ly/3y21Xle
https://bit.ly/3lMJwMl
https://bit.ly/3EBUFHo

चित्र संदर्भ
1. “टीपू का बाघ” भारत में मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान के लिए बनाया गया एक अठारहवीं शताब्दी का संगीत वाद्ययंत्र है‚, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. वी एंड ए संग्रहालय, लंदन में टीपू का बाघ, साष्टांग प्रणाम यूरोपीय पर हमला करता हुआ दिखा रहा है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जेम्स सालमंड की 1800 . की पुस्तक में टीपू के बाघ का पहला प्रकाशित चित्रण (wikimedia)
4. टीपू का बाघ सिर के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id