Post Viewership from Post Date to 14-Dec-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2857 134 2991

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

गधे मूर्ख नहीं हैं, केवल उनका नजरिया और परिस्थितियां भिन्न हैं

रामपुर

 09-12-2021 10:30 AM
व्यवहारिक

गधा कहीं का! भारत में एक लोकप्रिय ताना (taunt) है, जो आमतौर पर किसी व्यक्ति को उसकी मूर्खता पूर्ण हरकत करने के संदर्भ में दिया जाता है। हालांकि यह ताना मनुष्य की निम्न बौद्धिक क्षमता के संदर्भ में दिया जाता है, किंतु यह गधे की बौद्धिक क्षमता के लिए भी प्रश्न चिन्ह है। आज हमें इस तथ्य को स्पष्ट रूप से समझने की आवश्यकता है, की क्या वास्तव में गधा मूर्ख अथवा कम बुद्धिमान होता है? अथवा यह केवल एक मिथक है जिसे तोड़ने की जरूरत है!
अपने मालिक द्वारा अनगिनत कोड़े अथवा डंडे खाने के बावजूद हमेशा कड़ी मेहनत करने वाले गधे के पास अपना बदला लेने का समय भी नहीं होता। वास्तव में गधा अपने मालिक की थाली भरने के बजाय उसका दिल भरने की सामग्री रूप में काम करता है। मानव सभ्यता के विकास क्रम में गधे एक वैश्विक घटना बन गए, और नियमित यात्रियों, हॉकर, विक्रेताओं के लिए बेहद जरूरी हो गए। हालांकि गधे की सेवाएं मानव जाति के लिए बहुत बड़ी थीं, लेकिन उसके स्थिर आचरण और सुस्त स्वभाव के कारण उन्हें "पिछड़ा अथवा मोटी बुद्धि का कहा जाने लगा। हालाँकि, सही मायने में, गधे सबसे अधिक मेहनती जानवरों में से एक हैं। यहां तक की देवी-देवताओं ने भी उनका सम्मान किया। उदाहरण के तौर पर हिन्दुओं की आराध्य देवी माता कालरात्रि ने भी गधे को अपनी सवारी के रूप में चुना। ज्यादातर लोगों के लिए आम धारणा यह है कि गधे हठ और मूर्खता के प्रतीक हैं। दुर्भाग्य से, गधा झूठ और कपट का शिकार रहा है। वास्तव में, गधे आदिकाल से ही मनुष्य के साथी रहे हैं, और वे गरीब आदमी के सबसे अच्छे दोस्त रहे हैं। गधे ने बोझ ढोने वाले जानवर और गरीब आदमी के घोड़े के रूप में काम किया है, और यहां तक ​​कि गरीब बच्चों के पोषण के लिए दूध भी मुहैया कराया है। गधा सीमांत झाड़ियों को खाकर भी जीवित रहता है, और इसलिए मालिक पर बोझ नहीं होता है। गधा पृथ्वी पर सबसे चतुर अश्व होता है, और अपने सोचने के तरीके में काफी स्वतंत्र होता है। एक गधा घबराने या दौड़ने से पहले स्थिति का आकलन करता है। हमेशा से गधों का इस्तेमाल छोटे खेत जानवरों, जैसे बकरियों और भेड़ों, को लोमड़ियों और कुत्तों जैसे शिकारियों से बचाने के लिए भी किया जाता रहा है। संभवतः आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि पाकिस्तान में एबटाबाद शहर के पास स्थित एक छोटे से गाँव में एक बुद्धिमान और बहादुर गधे की याद में एक मकबरा "खोटा क़बार (शाब्दिक रूप से 'गधे की कब्र') का निर्माण भी किया गया है। दरअसल सिख सेनाओं और जेहादियों के बीच 'सैयद' अहमद बरेलवी के नेतृत्व में बालाकोट की ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी गई थी। जेहादियों ने बालाकोट शहर में डेरा डाला था। बालाकोट के रास्ते में, उन्होंने एबटाबाद के पास डेरे डाले थे। युद्ध के बीच में जेहादियों ने संकरी पहाड़ियों के बीच से कोरियर भेजने और जोखिम से बचने के लिए एक गधे को बिना किसी हैंडलर के अपनी आपूर्ति ले जाने के लिए भेज दिया। चूंकि गधे की याददाश्त अच्छी होती है और वह इसे समझदारी से इस्तेमाल करता है। एक गधे के असाधारण लक्षणों में से एक यह है कि एक बार जब वह किसी गंतव्य तक भार ले जाता है, तो वह मार्ग को याद रख सकता है और उसी स्थान पर वापस जाने में सक्षम होने के लिए किसी हैंडलर की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। जेहादियों ने बिना किसी हैंडलर के अपना सामान ले जाने के लिए एक गधे को नियुक्त किया था। यह बुद्धिमान और बहादुर गधा रात के अंधेरे में सामान ले जा रहा था। लेकिन सिखों को रहस्य का पता चलने में ज्यादा समय नहीं लगा। और गधे की गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। इस पर जेहादियों ने गधे को खोने का शोक मनाया और उसे कब्र में दफनाकर सम्मानित किया। इस प्रकार एक बुद्धिमान और बहादुर गधे की गाथा समाप्त हुई। गधे स्वाभाविक रूप से रक्षक जानवर नहीं होते हैं, लेकिन अगर उन्हें खतरा महसूस होता है तो वे निश्चित रूप से लडते हैं। गधे घोड़ों या बछड़ों के झुंड को शांत करने के संदर्भ में भी अच्छे होते हैं। अधिकांश पशुओं को अनाज और हरे-भरे चरागाह से भरपूर आहार दिया जाता है। हालांकि यदि किसी गधे को भरपूर आहार दिया जाए तो वह अत्यधिक मोटा हो सकता है, जिससे गधे को खुर की समस्या और लंगड़ापन हो सकता है। यह प्रथा गधे के हित में नहीं है। गधे घोड़ों की तरह तेज़ी से दौड़ने वाले जानवर नहीं हैं, इसलिए आप उन्हें कुछ व्यवहार में आसानी से दौड़ा नहीं सकते। आमतौर पर यही कारण है कि लोग गधे को जिद्दी मानते हैं। घोड़े मैदानी इलाकों में विकसित हुए जहां उनके पास दौड़ने के लिए बहुत जगह है और चुनने के लिए कई संसाधन हैं, जबकि गधों का विकास पहाड़ी रेगिस्तानी इलाकों में हुआ है। रेगिस्तान भोजन, आश्रय आदि जैसे संसाधनों की प्रचुरता प्रदान नहीं करता है और पहाड़ों ने उन्हें भागने के लिए ज्यादा जगह नहीं दी है। एक गधे को स्थिति का आकलन करने के लिए यह तय करने के लिए समय निकालना पड़ता था कि क्या यह दौड़ने के लिए काफी खतरनाक है, या यदि उन्हें रहना चाहिए और लड़ना चाहिए। इस सतर्कता ने आत्म-संरक्षण की विकसित भावना को जन्म दिया है। यदि एक गधा अनिश्चित है कि उन्हें कहाँ ले जाया जा रहा है, तो वह रुक जाएगा और आगे बढ़ने से पहले स्थिति पर विचार करेगा। कुछ लोग इस विशेषता को हठ या मूर्खता कहते हैं। लेकिन स्वाभाविक रूप से गधे के इस विश्लेषणात्मक व्यवहार को "सामान्य ज्ञान" कहा जाना चाहिए। गधे के लंबे कान उन्हें 60 मील दूर तक दूसरे गधे की आवाज सुनने की क्षमता देते हैं। इनके बड़े कान पंखे की तरह इस्तेमाल कर इन्हें ठंडा रखने में भी मदद करते हैं। गधे का पाचन तंत्र भी घोड़े से अलग होता है। चूंकि रेगिस्तान में भोजन दुर्लभ है, इसलिए गधे अपने खाने से 95% पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं। उनका पाचन तंत्र अखाद्य वनस्पति को तोड़ सकता है गधों को अल्फाल्फा, उच्च कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, या चीनी फ़ीड की आवश्यकता नहीं होती है। गधों को मजबूत पैक जानवर होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। जबकि सत्य यह है की वे उसी आकार के दूसरे जानवर से अधिक मजबूत नहीं होते हैं। गधे अपने वजन का केवल 20% तक ही उठा सकते हैं। इसलिए हमें मूर्ख को गधा या गधे को मूर्ख कहने से पूर्व एक बार जरूर विचार करना चाहिए।

संदर्भ
https://cutt.ly/rYnnc5w
https://cutt.ly/lYnnnxK
https://cutt.ly/5YnnQUS
https://cutt.ly/5YnnTfw

चित्र संदर्भ
1. एक साथ खड़े दो गधों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. गधे पर सवार कालरात्रि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. साजो सामान के साथ गधे पर सवार अफगानियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. गधों के साथ सैनिकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ग्रांड कैन्यन गधों (Grand Canyon donkeys) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id