पवित्र ज्यामिति का एक आकर्षक उदाहरण है अंतहीन गाँठ

रामपुर

 23-10-2021 05:57 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

प्राचीन काल से ही मानव प्रतीकों के रूप में विभिन्न चीजों का प्रयोग करता रहा है, तथा अंतहीन गाँठ या शाश्वत गाँठ भी इन्हीं प्रतीकों में से एक है। इस प्रतीक को आठ शुभ प्रतीकों में से एक माना जाता है तथा यह हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उन क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक चिन्हक है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म से काफी प्रभावित हैं, जैसे तिब्बत (Tibet), मंगोलिया (Mongolia), तुवा (Tuva), कलमीकिया (Kalmykia) और बुरातिया (Buryatia)। यह सेल्टिक (Celtic) और चीनी (Chinese) प्रतीकों में भी पाया जाता है।
तिब्बती बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले इस प्रतीक का उपयोग आमतौर पर दुनिया भर के गहनों और फैशन जगत में भी पाया जा सकता है, तथा इसे अनन्त गाँठ या गौरवशाली गाँठ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रतीक के इतिहास की बात करें, तो माना जाता है, कि इसका उपयोग हज़ारों साल पहले से किया जा रहा है।सिंधु घाटी सभ्यता की मिट्टी की तख्तियां जो 2500 ईसा पूर्व की हैं, में अंतहीन गाँठ के प्रतीक का उपयोग किया गया है।चीनी-प्रेरित कलाकृति में भी यह अंतहीन गाँठ पायी जाती है।इस प्रतीक की न तो कोई शुरुआत है और न ही अंत। यह प्रतीक एक प्रकार से रस्सी जैसा होता जिसे कई बार इस तरह से बुना गया होता है, कि एक बंद डिज़ाइन प्राप्त होता है। इस बंद डिजाइन में इंटरवॉवन (Interwoven) तथा समकोण रेखाएं होती है, जो इस तरह जुड़ती और ओवरलैप (Overlap) करती हैं, कि एक सममित डिजाइन प्राप्त होता है। इस प्रकार यह पवित्र ज्यामिति का एक आकर्षक उदाहरण है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म के उन आठ शुभ प्रतीकों में से एक है, जो शाक्यमुनि बुद्ध को आत्मज्ञान प्राप्त करने पर दी गयी भेंट का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य सात प्रतीकों में कीमती छत्र, एक कमल का फूल, सफेद शंख, आठ तीलियों वाला पहिया (धर्मचक्र या धर्म का पहिया),कलश,विजय ध्वज और दो सुनहरी मछली शामिल हैं। इस अंतहीन गाँठ के कई अर्थ हैं और अक्सर इसकी व्याख्या अनेकों अवधारणाओं के प्रतीक के रूप में की जाती है। उदाहरण के लिए, चूंकि अंतहीन गाँठ की कोई शुरुआत या अंत नहीं है, इसलिए इसे:
1. बुद्ध के अनंत ज्ञान और करुणा का प्रतीक माना जाता है।
2. यह प्रतीक समय की अंतहीन गति का भी प्रतिनिधित्व करता है।
3. यह मन की शाश्वत निरंतरता का प्रतीक है।
4.इस पर मौजूद इंटरलेस्ड ट्विस्ट (Interlaced Twists) और नॉट्स (Knots) वाला डिजाइन पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राणियों के परस्पर संबंध का प्रतिनिधित्व करता है।
5. यह समसरा का प्रतीक है, बौद्ध मान्यताओं के अनुसार यह जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
6. यह स्वयं भगवान बुद्ध की सर्वव्यापकता का प्रतीक है।
7. इस प्रतीक के अनुसार वर्तमान में जो भी कर्म किए जाते हैं, यह उसके कारण भविष्य में जीवन में आने वाली सकारात्मकता और अच्छे भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है। 8. यह मन की शाश्वत निरंतरता, अस्तित्व की अंतर्निहित वास्तविकता, सार्वभौमिक सद्भाव का प्रतीक है।
9. यह धर्मनिरपेक्षता और धर्म की पारस्परिक निर्भरता का भी प्रतिनिधित्व करता है।
10 अंतहीन गाँठ, चीजों के विरोधी पक्षों को देखने और जीवन के द्वैत और अंतर्संबंध को महसूस करने का भी संकेत देती है।
11. अंतहीन गाँठ का एक रूप सेल्टिक गाँठ भी है। सेल्टिक गाँठ रोमन (Roman) साम्राज्य के समय से ही मौजूद है। यह प्रतीक वफादारी, प्यार और दोस्ती का प्रतिनिधित्व करता है।
12. चीन में यह गाँठ लंबे जीवन और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करती है।
13. जैन धर्म में, अंतहीन गाँठ को श्रीवत्स कहा जाता है, तथा यहां भी यह अष्टमंगला यानि आठ शुभ वस्तुओं में से एक है, हालांकि इसे केवल श्वेतांबर संप्रदाय में पाया जाता है।यह अक्सर 24 संतों, तीर्थंकरों के सीने या वक्ष स्थल को चिह्नित करता है।
14. हिंदू धर्म में, श्रीवत्स को 'श्री’ अर्थात देवी लक्ष्मी से जुड़ा माना जाता है। यह भगवान विष्णु के वक्ष स्थल पर मौजूद एक चिन्ह माना जाता है, जहाँ उनकी पत्नी अर्थात देवी लक्ष्मी निवास करती हैं। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के सीने पर श्रीवत्स का निशान होगा। यह विष्णु सहस्रनाम में भगवान विष्णु के नामों में से एक है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में श्रीवत्स को शुभ प्रतीक माना जाता है। चूंकि इसका आकार समरूप होता है और इसके डिजाइन की न तो कोई शुरुआत है और न अंत, इसलिए यह विभिन्न संस्कृतियों में आभूषणों विशेष रूप से पेंडेंट (Pendant), झुमके आदि के लिए मुख्य आकर्षण रहा है। सौभाग्य, ज्ञान और अनंत काल के प्रतीक के रूप में, यह अनंत गाँठ एक सार्थक उपहार है, जिसे आप किसी को भी भेंट कर सकते हैं, यहां तक कि उन लोगों को भी जो धार्मिक नहीं हैं। तिब्बती स्मृति चिन्ह और कलाकृति में अनन्त गाँठ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए ग्रीटिंग कार्ड, तिब्बती हस्तशिल्प, कालीन,प्रार्थना ध्वजों, सजावटी सामान आदि में यह प्रतीक आसानी से देखा जा सकता है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3vBRcon
https://bit.ly/3DZikRe
https://bit.ly/3C3YKmm

चित्र संदर्भ

1.अंतहीन गाँठ या शाश्वत गाँठ का एक चित्रण (flickr)
2. 400 साल पुरानी चीनी शाश्वत गाँठ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बर्मी पाण्डुलिपि में अंतहीन गाँठ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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