Post Viewership from Post Date to 10-Oct-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1452 122 1574

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

यदि प्रदूषण कम करना मजबूरी है , तो वृक्ष गणना जरूरी है

रामपुर

 11-10-2021 02:11 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

कोई परिवार कितना ही बड़ा क्यों न हो, उस परिवार के हर सदस्य को एक दूसरे की रुचियों और ज़रूरतों के बारे में जानकारी रहती है। यहां तक की परिवार के सभी लोग यह भी जानते हैं की, उनके घर में कितने पालतू जानवर हैं? अथवा उनके बगीचे में कितने किस्म के फूल हैं. और कौन सा फूल किस मौसम में खिलता है? इस संदर्भ में संस्कृत का एक लोकप्रिय वाक्य है, "वसुधैव कुटुंबकम" अर्थात "पूरा विश्व एक परिवार है" यदि हम संस्कृत के इस श्लोक को आधार माने, तो हमें इस बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, की हमारे वैश्विक परिवार में कितने लोग रहते हैं?, विश्व में जानवरों की संख्या कितनी है, तथा जंगल रुपी हमारे बगीचे में कितने पेड़ मौजूद हैं?
हालाँकि जनगणना के माध्यम से हम यह बता सकते हैं की, दुनिया में लगभग कितने लोग हैं? साथ ही हम जानवरों की मौजूद जनसँख्या का भी आंकलन कर सकते हैं। किंतु दुर्भाग्य से हमने आज तक पेड़ों के साथ भेदभाव किया है। क्यों की हम वास्तव में नहीं जानते की, दुनिया में लगभग कितने वृक्ष मौजूद है और किस वृक्ष को संरक्षण और विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है? लेकिन अब यह सकारत्मक रूप से बदलने वाला है!
भारत में जैव विविधता को समझने तथा हरित क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा भारत की पहली वृक्ष जनगणना आयोजित करने का प्रस्ताव दिया गया है। पेड़ों की गणना करने के पीछे का उद्देश्य, पेड़ों के संरक्षण की आवश्यकता के बारे में सामुदायिक जागरूकता को प्रोत्साहित करना, छंटाई और कटाई को विनियमित करना और लोगों की भागीदारी के साथ हरित आवरण को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम की सभी योजनायें अंतिम चरणों में हैं। देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय वृक्ष गणना होगी। हालांकि पहले भी स्थानीय स्तर पर छोटे पैमाने पर पेड़ों की संख्या गिनने का प्रयास किया जाता रहा है। 2014 में, दिल्ली के कुछ मोहल्लों में भी वृक्षों की गणना की गई थी। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार पहली जनगणना सफलता पूर्वक होने के पश्चात् यह हर पांच वर्षों में नियमित रूप से दोहराई भी जा सकती है। इसके माध्यम से स्वच्छ हवा की आवश्यकता, भूजल रिचार्जिंग, जैव विविधता के रखरखाव के बारे में जागरूकता फैलाने तथा ध्वनि प्रदूषण आदि को कम करने में मदद मिलेगी।
आज देश में पर्यावरण संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि सरकारें इतने बड़े लक्ष्य को अकेले प्राप्त नहीं कर सकती हैं। मंत्रालय का कहना है की, हम वन विभागों की देखरेख में वृक्षों की गणना करने के लिए सरकारी विभागों, नागरिक समाज, स्थानीय नागरिकों, स्कूलों, गैर सरकारी संगठनों और स्थायी संस्थानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगे। साथ बच्चों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जायेगा, ताकि उनमें पर्यावरण संरक्षण की भावना पैदा की जा सके। आज 1951 की तुलना में शहरी आबादी 17% से बढ़कर 2011 में 31% हो गई और 2050 तक 55% तक पहुंचने की उम्मीद है। अतः शहरी हरियाली के अनुरूप वृक्ष संरक्षण और प्रबंधन पर्यावरण मंत्रालय के लिए एक मुख्य बिंदु के रूप में उभरा है।
भारत की राष्ट्रीय वन नीति के अंतर्गत पूरे देश के भौगोलिक क्षेत्र के 33% के औसत वन और वृक्ष कवर की परिकल्पना की गई है। पेड़ों की गढ़ना करने के कई भूतपूर्व लाभ देखे गए हैं। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट World Resources Institute (WRI) India द्वारा ग्रीन कवर मैप अध्ययन किया गया, जिसके अनुसार देश में 10 प्रतिशत अथवा उससे अधिक कंक्रीटीकरण (concretisation) वाले मुंबई के क्षेत्र जैसे डोंगारी, भुलेश्वर और कुर्ला जैसे क्षेत्र शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक गर्म हैं। दूसरी और मुलुंड और बोरीवली जैसे क्षेत्रों में जहाँ 70 प्रतिशत तक हरित आवरण क्षेत्र है, वहां औसतन कम तापमान दर्ज किया गया। 2015 से 2020 तक के डेटा अध्ययन से पता चलता है कि, मुलुंड क्षेत्र में तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और डोंगारी जैसे क्षेत्रों में 34 डिग्री सेल्सियस जितना कम था। बीएमसी वृक्ष जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में 29.75 लाख पेड़ हैं। वैज्ञानिकों ने सघन कंक्रीटीकरण को एक खतरा बताते हुए, माना है की जैव विविधता के संरक्षण, बाढ़ को कम करने, और गर्मी से बचाव सुनिश्चित करने में शहरी हरियाली बेहद लाभदायक साबित हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार अधिकारियों को उन देशी प्रजातियों के पेड़ लगाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जो मिट्टी की प्रकृति के अनुकूल हों। वृक्षारोपण का मतलब क्षेत्र की आवश्यकताओं को समझे बिना कोई पेड़ लगाना नहीं है।
विकास और पर्यावरण को संतुलित रखने के संदर्भ में हम यह अक्सर सुनते हैं की, वृक्ष प्रत्यारोपण एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। लेकिन वास्तविक सच्चाई कुछ और ही है, इसे हम वास्तविक उदाहरण से समझते हैं।
मुंबई मेट्रो 3 परियोजना के लिए मार्ग बनाने के लिए शहरी जंगल के, 2017 में 2,141 पेड़ काटे अथवा प्रत्यारोपित किये गए थे। वर्ष 2019 में जब बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रत्यारोपित पेड़ों का निरीक्षण करने के लिए एक तथ्य-खोज दल नियुक्त किया, तो कथित तौर पर पाया कि उनमें से 60% से अधिक की मृत्यु अर्थात वे नष्ट हो चुके थे। प्रत्यापित वृक्षों की मृत्यु होने के पीछे प्रमुख कारण वृक्षों की देखभाल कमी और वैज्ञानिक प्रत्यारोपण विधियों को माना जा रहा है। 2019 की इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट (India State of Forests) रिपोर्ट से पता चला है, कि भारत का कुल वृक्ष आवरण 95,027 वर्ग किमी है, जो इसके भौगोलिक क्षेत्र का सिर्फ 2.89% है।

संदर्भ
https://bit.ly/3ak6S67
https://bit.ly/3ak1mA7
https://bit.ly/3Ar7KjZ
https://bit.ly/2Yvtoqp
https://bit.ly/3loNtqI

चित्र संदर्भ
1. सड़क कनारे पर शानदार वृक्षों की श्रंखला का एक चित्रण (Westend61)
2. चिन्हित किये गए वृक्ष को दर्शाता एक चित्रण (Loksatta)
3. 2015 तक भारतीय वन कवर मानचित्र का एक चित्रण (wikimedia)
4. कटे हुए वन क्षेत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id