अनेकों लोग अपनी विभिन्न यादों को संजोने के लिए फोटोग्राफी का इस्तेमाल करते हैं।डिजिटल
फ़ोटोग्राफ़ी ने लोगों के फ़ोटो लेने के तरीके को बदल दिया है, तथा हर वो व्यक्ति जिसके पास
कैमरा है,फोटोग्राफर हो सकता है। इनमें से कई लोग पेशेवर फोटोग्राफर या कलाकार बनना
चाहते हैं, हालांकि वे एक फोटोग्राफर या कलाकार दोनों भी हो सकते हैं। इन सबके बीच जो एक
नाम अत्यधिक सुनने में आ रहा है, वह है ललित कला फोटोग्राफ्री जो केवल एक फोटोग्राफ्री ही
नहीं, बल्कि उससे भी अधिक है। तो चलिए जानते हैं, कि आखिर ललित कला फोटोग्राफ्री क्या
है, तथा यह अन्य प्रकार की फोटोग्राफ्री से कैसे भिन्न है।
ललित कला फोटोग्राफ्री,फोटोग्राफ्री का वह रूप है, जिसमें एक फोटोग्राफर अपनी रचनात्मक दृष्टि
या विचार को आकार देने के लिए छवियों का उत्पादन करता है।ललित-कला फ़ोटोग्राफ़ी,कलाकार
के रूप में एक फ़ोटोग्राफ़र की दृष्टि के अनुरूप बनाई जाती है। इसमें फोटोग्राफर रचनात्मक
अभिव्यक्ति के लिए माध्यम के रूप में फोटोग्राफी का उपयोग करता है।ललित-कला फोटोग्राफी
का लक्ष्य किसी विचार, संदेश या भावना को व्यक्त करना है।
एक फ़ोटोग्राफ़ी इतिहासकार ने दावा किया कि ललित कला या रचना फोटोग्राफी के सबसे पहले
प्रतिपादक जॉन एडविन मायल (John Edwin Mayall) थे, जिन्होंने 1851 में प्रभु की प्रार्थना
(Lord's Prayer) का चित्रण करते हुए डगुएरियोटाइप फ़ोटो (Daguerreotypes) का प्रदर्शन
किया। ललित कला फोटोग्राफी को बनाने के सफल प्रयास विक्टोरियन (Victorian) युग में
जूलिया मार्गरेट कैमरन (Julia Margaret Cameron), चार्ल्स लुटविज डोडसन (Charles
Lutwidge Dodgson), और ऑस्कर गुस्ताव रेजलैंडर (Oscar Gustave Rejlander) जैसे
अभ्यासकर्ताओं द्वारा भी किए गए।अमेरिका (America) में एफ. हॉलैंड डे (F. Holland
Day),अल्फ्रेड स्टिग्लिट्ज (Alfred Stieglitz),और एडवर्ड स्टीचेन (Edward Steichen) ने भी
फोटोग्राफी को एक ललित कला बनाने में सहायता की तथा स्टिग्लिट्ज़ को इसे संग्रहालय संग्रह
में पेश करने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
ब्रिटेन (Britain) में1960 तक, फोटोग्राफी को वास्तव में एक ललित कला के रूप में मान्यता
नहीं दी गई थी। हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका में फोटोग्राफी को कुछ आधिकारिक आवासों में
ललित कला के रूप में खुले तौर पर स्वीकार किया गया।
ललित कला फोटोग्राफी और अन्य प्रकार की फोटोग्राफी में मुख्य अंतर यह है, कि ललित कला
फोटोग्राफी केवल किसी विषय को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड नहीं करती है।ललित कला फोटोग्राफी
कलाकार और उसके विचारों के बारे में है। फोटो लेते समय कैमरा क्या देख रहा है, यह उस बारे
में नहीं है। बल्कि कलाकार क्या देखता है और क्या कैप्चर करता है,यह इस बारे में है। इस
प्रकार ललित कला फोटोग्राफी में,कलाकार एक कला को बनाने के लिए कैमरे का उपयोग बस
एक उपकरण के रूप में करता है।
कैमरे का उपयोग एक कलाकृति बनाने के लिए किया जाता है
जो कलाकार की दृष्टि या विचार को प्रकट करता है और उस दृष्टि को अभिव्यक्त करता है।यह
प्रतिनिधित्वात्मक फोटोग्राफी जैसे कि फोटोजर्नलिज्म (Photojournalism) और व्यावसायिक
फोटोग्राफी के विपरीत है।फोटोजर्नलिज्म, जहां विशिष्ट विषयों और घटनाओं का एक दस्तावेजी
दृश्य खाता प्रदान करता है, तथा फोटोग्राफर के व्यक्तिपरक इरादे के बजाय वस्तुनिष्ठ
वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं व्यावसायिक फोटोग्राफी का प्राथमिक फोकस उत्पादों
या सेवाओं का विज्ञापन करना है।
ललित कला फ़ोटोग्राफ़ी का एक रूप कर्जन(Curzon) संग्रह की छवियों में भी देखने को मिलता
है। उनके इस संग्रह में रामपुर और रामपुर की विभिन्न स्थापत्य शैली की छवियां मौजूद हैं,
जिन्हें एक अज्ञात फ़ोटोग्राफ़र ने अपने नजरिए से पेश किया है।
इन छवियों में फराश खाना,
नवाब गंज आदि शामिल हैं।भारत में भी ललित कला फ़ोटोग्राफ़ी का चलन और मांग बढ़ती जा
रही है।यहां ऐसे फोटोग्राफी स्थल मौजूद हैं, जहां ललित कला फ़ोटोग्राफ़ी का एक सुंदर रूप देखने
को मिलता है।भारत का एक प्रमुख फोटोग्राफी स्थल बैंगलोर में 2006 में स्थापित ‘तस्वीर’ है।
यह अंतरराष्ट्रीय और भारतीय दोनों तरह के फोटोग्राफरों के एक प्रभावशाली समूह का
प्रतिनिधित्व करता है,और बैंगलोर सहित दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और अहमदाबाद में व्यापक
प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों के माध्यम से समकालीन और ललित कला फोटोग्राफी को बढ़ावा देता
है।
ललित कला फोटोग्राफी में कैरियर बनाने के लिए आपको ललित कला में डिग्री की आवश्यकता
नहीं होती है।
इसके लिए बस आपको अपने काम के बारे में ध्यान से सोचने की जरूरत होती है।
अपनी फोटोग्राफी को ललित कला फोटोग्राफी बनाने के लिए कलाकार को यह देखना होगा कि
वह क्या सोचता है,कि उनका काम कैसा दिखेगा।ललित कला एक विचार, संदेश या भावना के
बारे में है।यह विचार या संदेश कुछ छोटा हो सकता है या फिर एक संपूर्ण कथन भी हो सकता
है। अपनी दृष्टि और विचारों को प्रदर्शित करने के लिए आप जो काम करते हैं, उसमें एक रूपता
होनी चाहिए। अक्सर कलाकार प्रत्येक विचार के लिए एक ही माध्यम और तकनीकों का प्रयोग
करते हैं। यदि आप अपनी छवियों को एक गैलरी में लाना चाहते हैं तो उन सभी के लिए
एकरूपता की आवश्यकता होगी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3uD4G2N
https://bit.ly/3FiQ91h
https://bit.ly/3mnXtQr
https://bit.ly/3FhhC35
https://bit.ly/3D7nf2b
https://bit.ly/2YrVxON
https://bit.ly/3Aa7q8M
चित्र संदर्भ
1. ललित-कला फोटोग्राफी को संदर्भित करते बुजुर्ग का एक चित्रण (rehahnphotographer)
2. ललित कला लैंडस्केप फोटोग्राफी का एक चित्रण (
northlandscapes)
3. एंसल एडम्स (Ansel Adams) 'द टेटन्स एंड द स्नेक रिवर (The Tetons and the Snake River 1942) का एक चित्रण (wikimedia)
4. ललित कला फ़ोटोग्राफ़ी का एक रूप कर्जन(Curzon) संग्रह की छवियों में भी देखने को मिलता है। उनके इस संग्रह में रामपुर और रामपुर की विभिन्न स्थापत्य शैली की छवियां मौजूद हैं, जिसमे से लिया गया "फराश खाना" का एक चित्रण (bl.uk)
5. सुनहरी शाम को दर्शाता ललित कला फोटोग्राफी का एक चित्रण (istock))
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