अंतरिक्ष-समय की ज्यामिति और भौतिकी के बीच संबंध खोजने में आइंस्टाईन
(Einstein) को आठ साल लग गए। 1915 में उन्होंने जो समीकरण प्रस्तुत किया
था‚ उसने न केवल हमारे आस-पास की घटनाओं की पूरी तरह से अलग व्याख्या
की‚ बल्कि कुछ चौंकाने वाली या अभी तक खोजी गई घटनाओं के लिए एक
स्पष्टीकरण भी प्रदान किया। वैज्ञानिकों का मानना है‚ कि इन विशाल आकाशीय
पिंडों की गहराई के भीतर‚ ब्रह्मांड के नियम अपने आप में बदल जाते हैं‚ तथा
आइंस्टाईन का सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में निर्धारित गुरुत्वाकर्षण का शिष्ट
मॉडल टूट जाता है।
अल्बर्ट आइंस्टाईन (Albert Einstein) ने सापेक्षता के सिद्धांत का पहला भाग-
विशेष सापेक्षता‚ 1905 में जर्मन (German) भौतिकी पत्रिका‚ एनालेन डेर फिजिक
(Annalen der Physik) में प्रकाशित किया तथा एक और दशक के कठिन कार्य
के बाद दूसरा भाग- सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत को पूरा किया व 1915 के अंत
में‚ बर्लिन (Berlin) में व्याख्यान की एक श्रृंखला में प्रस्तुत किया और 1916 में
एनालेन (Annalen) में प्रकाशित किया।
साइंस जर्नल (Science Journal) में
प्रकाशित होने वाला अध्ययन दिखाता है‚ कि गुरुत्वाकर्षण‚ ब्लैक होल की सीमा
पर भी ठीक उसी तरह कार्य करता है‚ जैसा आइंस्टाईन ने भविष्यवाणी की थी।
इस मामले में धनु ए* (A*)‚ हमारे आकाशगंगा के केंद्र में स्थित विशालकाय
ब्लैक होल है। लेकिन यह अध्ययन उस बिंदु को खोजने के लिए किए गए दूरगामी
प्रयासों का सिर्फ शुरुआती उपलक्ष्य है‚ जहां आइंस्टाईन का मॉडल काम नहीं
करता।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय‚ बर्कले (University of California‚ Berkeley) में
एक खगोल भौतिक विज्ञानी अध्ययन सह-लेखक जेसिका लू (Jessica Lu) ने
कहा‚ “अब हमारे पास गुरुत्वाकर्षण सिद्धांतों का परीक्षण करने की तकनीकी
क्षमता है‚ जो हम पहले कभी नहीं कर पाए हैं।” “आइंस्टाईन का गुरुत्वाकर्षण का
सिद्धांत निश्चित रूप से हमारे क्रॉसहेयर (Crosshairs) में है।” इसका मतलब है
कि हम उस दिन के करीब हो सकते हैं‚ जहां आइंस्टाईन की सापेक्षता को‚
गुरुत्वाकर्षण के कुछ अभी तक अघोषित नए सिद्धांत द्वारा प्रतिस्थापित किया
गया है।
न्यूटन (Newton) के अनुसार सभी वस्तुएँ‚ उनके नॉट-सो-एपोक्रिफ़ल सेब (Not-
so-apocryphal apple) से लेकर ग्रहों तथा सितारों तक एक ऐसा बल लगाती हैं‚
जो अन्य वस्तुओं को आकर्षित करती हैं। गुरुत्वाकर्षण के उस सार्वभौमिक नियम
ने‚ ग्रहों की गति के साथ-साथ पृथ्वी पर वस्तुओं की पूर्व-सुचना के लिए बहुत
अच्छा काम किया है‚ इसका उपयोग अभी भी किया जाता है‚ जैसे; रॉकेट लॉन्च
के लिए‚ गणना करते समय।
लेकिन गुरुत्वाकर्षण के बारे में न्यूटन का दृष्टिकोण
कुछ चीजों के लिए कारगर सिद्ध नहीं हुआ‚ जैसे बुध की सूर्य के चारों ओर
अजीबोगरीब परिक्रमा। ग्रहों की परिक्रमा समय के साथ बदलती हैं‚ और बुध की
परिक्रमा‚ न्यूटन की भविष्यवाणी की तुलना में तेज़ी से स्थानांतरित होती है।
आइंस्टाईन (Einstein) ने गुरुत्वाकर्षण के बारे में एक अलग दृष्टिकोण पेश किया‚
जिसने बुध का बोध कराया। एक आकर्षक बल लगाने के बजाय‚ उन्होंने तर्क दिया
कि प्रत्येक वस्तु अपने चारों ओर अंतरिक्ष तथा समय के ताने-बाने को मोड़ती है‚
जिससे एक प्रकार का कुआँ बनता है जिसमें अन्य वस्तुएँ‚ यहाँ तक कि प्रकाश की
किरणें भी गिरती हैं। एक गद्दे पर एक बॉलिंग बॉल के रूप में सूर्य के बारे में
सोचें। यह एक अवसाद पैदा करता है‚ जो ग्रहों को करीब लाता है। इस नए मॉडल
ने बुध की समस्या का समाधान किया। इसने दिखाया कि सूर्य अंतरिक्ष को इतना
घुमाता है कि यह बुध सहित आस-पास के पिंडों की कक्षाओं को विकृत कर देता
है। आइंस्टाईन के विचार में‚ बुध एक संगमरमर की तरह दिख सकता है‚ जो
हमेशा एक ड्रेन के नीचे चक्कर लगाता है।
आइंस्टाईन के सिद्धांत की पुष्टि‚ एक सदी से अधिक प्रयोगों से होती रही है‚
जिसकी शुरुआत 1919 के सूर्य ग्रहण से हुई थी‚ जिसमें दूर के तारों से प्रकाश का
मार्ग‚ सूर्य के तीव्र गुरुत्वाकर्षण द्वारा स्थानांतरित किया गया था - आइंस्टाईन
की पूर्व-सूचित की गई राशि द्वारा।
1907 में आइंस्टीन (Einstein) ने महसूस किया कि उनका सिद्धांत पूरा नहीं
हुआ है। सापेक्षता का सिद्धांत केवल स्थिर वेग से गति करने वाले प्रेक्षकों पर
लागू होता था। यह गुरुत्वाकर्षण के न्यूटन के विवरण के साथ भी ठीक नहीं बैठता
था। पेटेंट अधिकारी होने के कारण‚ आइंस्टाईन के पास प्रयोगशाला के उपकरणों
के लिए पहुंच नहीं थी। क्षतिपूर्ति करने के लिए‚ उन्हें खुद को विचार प्रयोगों में
संलग्न करना पड़ा। उन्होंने अपने दिमाग में विभिन्न परिदृश्यों पर विचार किया
और उनके माध्यम से क्रमशः काम किया। इन विचारों के प्रयोगों ने उन्हें दिखाया
कि गुरुत्वाकर्षण त्वरण से अलग नहीं है।
तो पृथ्वी पर स्थिर खड़े होना‚ ठीक वैसा
ही महसूस होता है‚ जैसे एक रॉकेट जहाज में खड़ा होना‚ जो निरंतर 1G पर गति
कर रहा है। इसने यह भी दिखाया कि त्वरित पर्यवेक्षक यह देखेगा कि मौलिक
ज्यामितीय गुण बदलते हैं। यह केवल समय और अंतरिक्ष नहीं था जिसने अपना
पूर्ण अर्थ खो दिया‚ लेकिन आइंस्टाईन ने महसूस किया कि ज्यामिति भी पूर्ण नहीं
थी और भौतिक परिस्थितियों के लिए अतिसंवेदनशील हो सकती थी। इन सभी
तर्कों ने आइंस्टाईन को आश्वस्त किया कि अंतरिक्ष-समय की ज्यामिति और
अंतरिक्ष-समय में होने वाली भौतिक प्रक्रियाएं एक-दूसरे से संबंधित हैं‚ तथा एक
दूसरे को प्रभावित कर सकती हैं। इसने एक आश्चर्यजनक निष्कर्ष भी निकाला‚
जिसे हम गुरुत्वाकर्षण के रूप में देखते हैं‚ वह केवल अंतरिक्ष-समय के माध्यम से
गति का परिणाम है। अंतरिक्ष-समय की वक्रता जितनी बड़ी होगी‚ गुरुत्वाकर्षण
उतना ही मजबूत होगा।
आठ साल की खोज के बाद‚ 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) ने‚
प्रशिया एकेडमी ऑफ साइंसेज (Prussian Academy of Sciences) को सामान्य
सापेक्षता का अपना नया सिद्धांत प्रस्तुत किया। यह सिद्धांत एक बड़ी सफलता
साबित हुआ। सामान्य सापेक्षता आइंस्टीन की विशेष सापेक्षता पर बनी थी‚ जिसने
19 वीं शताब्दी के सैद्धांतिक भौतिकी की कुछ महानतम पहेलियों का समाधान
प्रदान किया था।
संदर्भ:
https://nbcnews.to/2XMZxc6
https://bit.ly/3opMN6H
https://bit.ly/3i6ONws
https://nbcnews.to/3EYojHa
चित्र संदर्भ
1. अंतरिक्ष में गुरुत्वकर्षण नहीं होता जिसको दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. अल्बर्ट आइंस्टाईन (Albert Einstein) ने सापेक्षता के सिद्धांत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. न्यूटन (Newton) के अनुसार सभी वस्तुएँ‚ उनके नॉट-सो-एपोक्रिफ़ल सेब (Not-so-apocryphal apple) से लेकर ग्रहों तथा सितारों तक एक ऐसा बल लगाती हैं‚जो अन्य वस्तुओं को आकर्षित करती हैं, को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ब्लैक होल (black hole) का एक चित्रण (Indiatimes)
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