मनोरंजन और कला के संयोजन से बना है प्राचीन ताश का खेल गंजीफा

रामपुर

 27-09-2021 12:04 PM
हथियार व खिलौने

बेहद पसंद होने के बावजूद कुछ खेल हमारे बचपन तक ही सीमित रहते हैं, और बढ़ती उम्र के साथ वह अरुचिकर लगने लगते है, अथवा हम उन्हें खेलते-खेलते ऊब जाते हैं। आज के आधुनिक समय में जहां हमारे पास खेलों के लाखों विकल्प हैं, ऐसे समय में पारंपरिक खेल-खिलौनों से मोह भंग होना बेहद आम बात है। परंतु इसके बावजूद ताश का खेल उन प्राचीनतम और लोकप्रिय खेलों में से एक है, जो गुजरते समय के साथ अधिक जवान हो रहा है, और लोकप्रियता के नए आयाम छू रहा है।
ताश के खेल में सबसे प्रमुख साधन ताश का पत्ता होता है, जो भारी कागज, पतले कार्डबोर्ड, प्लास्टिक-लेपित कागज, कपास-पेपर मिश्रण, या पतले प्लास्टिक आदि से निर्मित होता है, और विशिष्ट रूपों के साथ चिह्नित होता है। ताश के पत्तों का इस्तेमाल ताश के खेल के लिए एक सेट के रूप में किया जाता है। ताश के पत्ते आमतौर पर हथेली के आकार के होते हैं, जिससे उन्हें पकड़ने में आसानी रहती है। लोकप्रिय दंतकथा का मानना है कि ताशों के डेक की संरचना में धार्मिक, आध्यात्मिक, या खगोलीय रूप से बेहद महत्वपूर्ण होती है। इन पत्तों के पूरे सेट को, पैक या डेक (pack or deck) कहा जाता है, और एक खिलाड़ी द्वारा एक बार में उठाये गए पत्तों के सबसेट को सामान्यतः हैण्ड (Hand) कहा जाता है।
मात्र मनोरंजन के अलावा ताश के कुछ खेल जुए में भी शामिल किये जाते हैं। आज ताश के पत्तों का इस्तेमाल कई दूसरे उपयोगों जैसे कि हाथ की सफाई, भविष्यवाणी, गूढ़लेखन, बोर्ड गेम, या ताश के घर बनाना, आदि के लिए किया जाने लगा है। प्रत्येक ताश के पत्ते में सामने की और निर्धारित चिन्ह अंकित रहते हैं, और खेल विशेष के नियमों के तहत उनके इस्तेमाल का निर्धारण किया जाता है। पीछे की तरफ सभी पत्ते सामान रहते हैं। अधिकांश खेलों में, पत्ते एक डेक में इकट्ठे होते हैं, और उन्हें फेंटकर बेतरतीब ढंग से समायोजित किया जाता है।
ताश के खेल को संदर्भित करता सबसे पहला ज्ञात पाठ, 9वीं शताब्दी का तांग राजवंश (Tang Dynasty) के लेखक सुई द्वारा लिखित दुयांग में विविध संग्रह के रूप में जाना जाता है। इस पाठ में तांग साम्राज्य के सम्राट यिज़ोंग की बेटी राजकुमारी टोंगचांग का, 868 में वेई कबीले के सदस्यों के साथ पत्ती खेलते हुए वर्णन है। तांग महिला द्वारा लिखी येज़ी गेक्सीको "पत्ती" खेल पर लिखी पहली ज्ञात पुस्तक माना जाता है।
11वीं शताब्दी तक, ताश के पत्ते पूरे एशियाई महाद्वीप में फैल गए थे, और बाद में मिस्र में आ गए। दुनिया के सबसे प्राचीन कार्ड बेनाकी संग्रहालय में कीर संग्रह नाम से संगृहीत हैं। जानकारों के अनुसार वे 12वीं और 13वीं शताब्दी (देर से फातिमिद, अय्युबिद, और प्रारंभिक मामलुक काल) के हैं। 14 वीं शताब्दी के मामलुक ताश 1939 में इस्तांबुल के टोपकापी पैलेस (Topkapi Palace) में लियो आर्यह (Leo Aryeh ) द्वारा भी खोजे गए थे। टोपकापी पैक में मूल रूप से 52 कार्ड थे, जिनमें पोलो-स्टिक्स, सिक्के, तलवार और कप सहित चार सूट शामिल थे। प्रत्येक सूट में दस पिप कार्ड (pip cards) और तीन कोर्ट कार्ड (court cards) होते हैं, जिन्हें मलिक (राजा), नायब मलिक (वायसराय या डिप्टी किंग) और थानी नायब (द्वितीय या अंडर-डिप्टी) कहा जाता है। फ़ारसी में ताश खेलने के लिए “गंजीफा” शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है की गंजिफा कार्ड, फारस में उत्पन्न हुए थे। पहला शब्दांश गंज' का अर्थ है खजाना। दरअसल गंजिफा, एक प्राचीन भारतीय ताश का खेल है। ऐसी मान्यता है की इसे फारसियों से भारत लाया गया था। जो की मुगल काल के दौरान बेहद लोकप्रिय हुआ था। गंजीफा के कार्ड आमतौर पर गोलाकार होते थे, यह मध्यकालीन राजाओं और रईसों द्वारा लोकप्रिय रूप से खेला जाने वाला खेल था, जो धीरे- धीरे देश के कई क्षेत्रों में फैल गया। गंजिफा के ताश आम ताशों से काफी महंगे होते हैं, यह भारत के राज्य ओडिशा का पारंपरिक खेल भी हैं यहां इन्हे बनाया भी जाता है। बदलते संस्करणों के साथ ही इन कार्डों का रंग और स्वरूप बदलता गया। हालांकि गंजीफा कार्ड गोलाकार या आयताकार होते हैं,और पारंपरिक रूप से कारीगरों द्वारा हाथ से पेंट किए जाते हैं। यह खेल मुगल दरबार में लोकप्रिय हो गया, और कीमती पत्थर से जड़े हाथीदांत या कछुआ खोल (दरबार कलाम) जैसी सामग्रियों से भव्य सेट बनाए गए। बाद में यह आम जनता में भी लोकप्रिय हो गया, जहां लकड़ी, ताड़ के पत्ते, कड़े कपड़े या पेस्टबोर्ड जैसी सामग्री से सस्ते सेट (बाजार कलाम) बनाए जाते थे। आम तौर पर गंजिफा कार्ड प्रत्येक सूट में एक अलग रंग होता है। प्रत्येक सूट में दस पिप कार्ड और दो कोर्ट कार्ड, राजा और वज़ीर या मंत्री होते हैं। गंजिफा के पत्ते हर विभिन्न स्थानों में आकार और शैली में भिन्न होते थे।
उदाहरण के लिए, रघुराजपुर (पुरी) के गंजिफा के पत्ते व्यास में तीन इंच के हैं, जबकि सोनपुर जिले में वे इससे छोटे हैं। गंजिफा के प्रत्येक ताश की गड्डी में 12 पत्तों के सूट अलग रंगों में होते हैं। रंगों की संख्या के आधार पर ताश की गड्डी को अलग नामों से संबोधित किया जाता है, जैसे“अथहरंगी (8 रंग), दशरंगी (10 रंग), बारहरंगी (12 रंग), चौदहरंगी (14 रंग) और शोलहरंगी (16 रंग)”। एक ताश की गड्डी में दस पत्ते, एक राजा और एक वजीर शामिल होता है। राजा सबसे ज्यादा मूल्यवान होता है, फिर वजीर उसके बाद अवरोही क्रम (घटते हुए) की श्रृंखला में लगे रहते हैं। मुग़ल काल में लोकप्रिय यह खेल दुर्भाग्यवश गुमनामी में कहीं खो गया। हालंकि पिछले कुछ वर्षों में इस ताश के खेल के इस रूप का फिर से प्रचलन बढ़ा है। “2018 में चित्रकला परिषद (सीकेपी) में गंजीफा पर एक कार्यशाला और प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें मैसूर, सावंतवाड़ी, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों को लाया गया था, जिन्हें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी।

संदर्भ
https://bit.ly/3zBekUp
https://en.wikipedia.org/wiki/Ganjifa
https://en.wikipedia.org/wiki/Playing_card

चित्र संदर्भ
1. चार मामलुक ताश खेल का एक चित्रण (wikimedia)
2. 1933, स्मिथसोनियन अमेरिकन आर्ट म्यूज़ियम (Smithsonian American Art Museum) में ताश के पत्तों के साथ लड़की का एक चित्रण (Wikimedia)
3. उत्तरी इटली, मध्य 15 वीं सदी के संकाई कटोरे में चित्रित इतालवी ताश के पत्ते का चित्रण (wikimedia)
4. गंजिफा ताश के पत्तों का एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • आइए नजर डालें विवाह समारोह के कुछ भावुक दृश्यों पर
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     03-12-2023 09:30 AM


  • सतही और भूमिगत खनन में से, कौन सी विधि अधिक उपयोगी और किफायती साबित होती है?
    खदान

     02-12-2023 09:55 AM


  • अंगा चक्रवर्ती राजा करकंदु के जैन साम्राज्य की मूल्यवान अंतर्दृष्टि, अपभ्रंश भाषा में
    ध्वनि 2- भाषायें

     01-12-2023 12:14 PM


  • द ब्रोकन रोड: ब्रिटिश भारतीय सेना के नियम को बदला, मेसन द्वारा लिखित क्रांतिकारी उपन्यास ने
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     30-11-2023 10:33 AM


  • हमारे रामपुर के सिटीस्केप चित्र हमें समझाते हैं, चित्रकारी की जलरंग तकनीक की सुंदरता
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-11-2023 09:56 AM


  • कॉर्नेलिया सोराबजी: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई करने वाली पहली महिला
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     28-11-2023 10:17 AM


  • गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब: रामपुर के निकट ऐतिहासिक स्थल जहां स्वयं गुरु नानक जी पधारे थे
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     27-11-2023 09:55 AM


  • आइए सुनें, 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का सर्वश्रेष्ठ भाषण
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     26-11-2023 09:29 AM


  • पड़ोसी ज़िले बरेली व मुरादाबाद की तरह, रामपुर में भी मनाया जाना चाहिए, राम गंगा नदी उत्सव
    नदियाँ

     25-11-2023 10:00 AM


  • प्लेटोनिक ठोस: ब्रह्मांड के रहस्यों का अनावरण!
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     24-11-2023 10:08 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id