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कैंसर (Cancer) दुनिया भर में सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य बोझ बनता
जा रहा है। भौगोलिक क्षेत्रों में कैंसर की घटनाओं का स्वरूप भिन्न है‚ जैसे; चीन
(China) में एसोफैगल कैंसर (Esophageal Cancer)‚ संयुक्त राज्य अमेरिका
(USA) में फेफड़ों का कैंसर तथा चिली (Chile) में पित्ताशय की थैली का कैंसर।
जिस पर हमेशा सवाल बने रहते हैं‚ कि क्या यह जीनोम पूल (genome pool) में
विविधता‚ भोजन की आदतों‚ जोखिम कारक संघ तथा आनुवंशिक संवेदनशीलता
की भूमिका या इससे जुड़े कुछ अन्य कारकों के कारण होता है?
ग्लोबोकैन (GLOBOCAN) 2008 के अनुमानों के अनुसार‚ 2008 में लगभग
12.7 मिलियन कैंसर के मामले तथा 7.6 मिलियन कैंसर से होने वाली मौतों का
अनुमान लगाया गया था। वर्ष 2020 में भारत के लिए कैंसर के मामलों का बोझ‚
2010 के 979‚786 की तुलना में 1‚148‚757 होने की गणना की गई थी। जिसमें
पुरुषों की संख्या 534‚353 तथा महिलाओं की संख्या 614‚404 पाई गई थी।
भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्रों में‚ कैंसर की घटनाओं तथा मृत्यु दर में उल्लेखनीय
वृद्धि देखी जा रही है‚ जिसमें मुख्य भूमि भारत की तुलना में‚ कैंसर घटनाओं के
बहुत अलग स्वरूप देखे जा रहे हैं। इन क्षेत्रों का जीनोम पूल भी शेष भारत से
भिन्न पाया गया है। दक्षिण और पूर्व-एशियाई क्षेत्रों के साथ पूर्वोत्तर भारत के
विभिन्न कैंसर स्थलों के लिए‚ कैंसर की घटनाओं के स्वरूप में समानताएं देखी
गई हैं‚ जिससे यह माना जा सकता है कि‚ इन क्षेत्रों के बीच एक आनुवंशिक
संबंध हो सकता है।
कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर में क्षेत्रीय भिन्नता कई कारकों द्वारा संचालित
होती है। आंतरिक कारकों के अलावा आनुवंशिक‚ हार्मोनल और खराब प्रतिरक्षा की
स्थिति‚ बाहरी या पर्यावरणीय कारक जैसे भोजन की आदतें‚ औद्योगीकरण‚
प्रदूषण और जीवन शैली भी कैंसर का कारण बन सकते हैं। यही कारण है कि एक
भौगोलिक विकृति अध्ययन‚ कैंसर के अनुपात का कुछ संकेत दे सकता है‚ जिसे
विशिष्ट हानिकारक जीवन शैली या पर्यावरणीय कारकों को संशोधित करके रोका
जा सकता है। कैंसर‚ देश में होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बन गया
है। खासकर महिलाओं में कैंसर का वार तेजी से हो रहा है। औसतन 1‚300 से
अधिक भारतीय प्रतिदिन इस खतरनाक बीमारी के शिकार होते हैं।
कैंसर कुछ संबंधित बीमारियों का एक संग्रह है‚ जो तब होता है‚ जब असामान्य
कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगता है‚ जो अक्सर ट्यूमर
(tumour) का निर्माण करता है। ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं। पहला सुसाध्य
ट्यूमर है‚ जो आस-पास के ऊतकों में फैलता या आक्रमण नहीं करता है‚ तथा
हटाए जाने पर वे आमतौर पर वापस नहीं बढ़ते हैं। लेकिन एक महत्वपूर्ण तथ्य
यह भी है कि‚ शरीर के किसी भी भाग में सुसाध्य ट्यूमर के विपरीत‚ सुसाध्य
ब्रेन ट्यूमर (brain tumors) से जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
अन्य प्रकार के ट्यूमर घातक होते हैं‚ ये आस-पास के ऊतकों पर आक्रमण करते
हैं‚ तथा कभी-कभी शरीर के दूर के क्षेत्रों में फैलते भी हैं। जिसे मेटास्टेसाइजिंग
(Metastasizing) कहा जाता है। यह ट्यूमर अधिक खतरनाक होता है‚ क्योंकि ये
नए ट्यूमर को जन्म देते हैं तथा हटाने के बाद भी पुनरावृत्ति कर सकते हैं। यदि
प्रारंभिक अवस्था में ही कैंसर का पता चल जाए‚ तो इसका इलाज किया जा
सकता है तथा व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसके अलावा‚ उपचार में
प्रगति और लक्षणों के बारे में जागरूकता तथा निदान किए जाने पर 85 प्रतिशत
लोग पांच साल से अधिक जीवित रह सकते हैं।
भारत में कैंसर के मामलों की संख्या हर साल बढ़ रही है। डब्ल्यूएचओ (WHO)
की कैंसर रिपोर्ट के अनुसार‚ भारत में फेफड़े‚ मुंह‚ होंठ‚ गले और गर्दन के कैंसर
पुरुषों में सबसे आम हैं‚ जबकि महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा‚ स्तन और डिम्बग्रंथि के
कैंसर से अधिक पीड़ित हैं‚ तथा बुजुर्गों में सबसे अधिक होने वाले कैंसर गुर्दे‚ आंत
और पौरुष ग्रंथि में पाए गए हैं।
आमतौर पर यह जानना संभव नहीं है कि एक व्यक्ति को कैंसर क्यों होता है तथा
दूसरे को नहीं। हालांकि‚ कुछ शोध दर्शाते हैं कि कुछ जोखिम कारक किसी व्यक्ति
के कैंसर के विकास की संभावना को बढ़ा सकते हैं। इनमें वे चीजें शामिल हैं
जिन्हें लोग नियंत्रित नहीं कर सकते‚ जैसे उम्र और पारिवारिक इतिहास।
जीवनशैली के विकल्प जो स्तन कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते हैं‚ वे धूम्रपान‚
मोटापा‚ व्यायाम की कमी और खराब आहार जैसे सामान्य कारण हो सकते हैं।
कैंसर कुख्यात रूप से चोरी-छिपे होता है‚ इसलिए प्रारंभिक उपचार सबसे अच्छा
इलाज है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि‚ यदि आप अपने शरीर के काम करने या महसूस करने
के तरीके में कोई अन्य बड़े बदलाव देखते हैं‚ तो आपको डॉक्टर को दिखाना
चाहिए‚ खासकर यदि यह परिवर्तन तीन सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता
है। आवश्यक नहीं है कि यह कैंसर ही हो‚ लेकिन इसकी जांच करवाना सुरक्षित है।
अज्ञानता‚ निदान से इनकार‚ आक्रामक उपचार‚ विकृति तथा वित्तीय बोझ के डर
के अलावा‚ यह गलत धारणा कि एक कैंसर रोगी की मृत्यु निश्चित है‚ रोगियों
और उनके परिवारों को विशेष उपचार लेने से बाधित कर देता है। जागरूकता के
महत्व को इस तथ्य से देखा जा सकता है कि‚ अत्यधिक साक्षरता दर से केरल
में‚ 40% कैंसर मामलों का जल्दी पता चल जाता है‚ जिससे कैंसर का इलाज
समय से हो जाता है व मौतें कम होती हैं।
जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी (Journal of Global Oncology) के नवीनतम
अंक में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि‚ उत्तर प्रदेश‚ बिहार‚ झारखंड और
ओडिशा‚ जो वर्तमान में बड़े पैमाने पर महामारी विज्ञान के परिवर्तनों से गुजर रहे
हैं‚ अगले 10-20 वर्षों में कैंसर का सबसे बड़ा बोझ उठाएंगे। इन राज्यों में‚ जहां
पहले से ही कैंसर उपचार सुविधाओं की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है‚ अगर
इस अंतर को दूर करने के लिए‚ तुरंत कोई कदम नहीं उठाए गए तो उन्हें और भी
बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)
(WHO) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (International Agency
for Research on Cancer) द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों में चेतावनी दी गई
है‚ कि इस साल कैंसर दुनिया में 9.6 मिलियन लोगों के जीवन का दावा करेगा
और इसमें भारत का हिस्सा चिंताजनक रूप से 8.17 प्रतिशत होगा। लैंसेट
(Lancet) द्वारा कुछ घंटों के अंतराल में जारी एक अन्य रिपोर्ट ने इस बीमारी के
बारे में निराशाजनक भविष्यवाणी की पुष्टि करते हुए कहा‚ कि यह हृदय रोग के
बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा घातक रोग है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के आंकड़ों
का कहना है कि इस साल भारत में 1.16 मिलियन नए कैंसर के मामले होंगे और
इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं होंगी‚ या पुरुषों की तुलना में ठीक
17‚204 अधिक महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आएंगी।
नेशनल हेल्थ प्रोफाइल
(National Health Profile)‚ 2019 के आंकड़ों के अनुसार‚ 2017 और 2018 के
बीच‚ राज्य द्वारा संचालित एनसीडी (NCD) क्लीनिकों में निदान किए गए‚ मुंह‚
गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर सहित आम कैंसर के मामलों में लगभग 324%
की वृद्धि हुई है। एनसीडी (NCD) क्लीनिकों में आने वाले लोगों की कुल संख्या
भी 2017 और 2018 के बीच दोगुनी होकर 3.5 करोड़ से 6.6 करोड़ हो गई है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3zpk0Rj
https://bit.ly/3AtnALC
https://bit.ly/2ZgrxFX
https://bit.ly/2XK6ZVJ
https://bit.ly/3AxUFpK
https://bit.ly/3tVJc0C
चित्र संदर्भ
1. अस्पताल में कैंसर का इलाज कराते मरीज का एक चित्रण (statnews)
2. कोरोनल सीटी स्कैन, घातक मेसोथेलियोमा (mesothelioma) को पीले तीरों द्वारा इंगित किया गया है, (1) दाहिना फेफड़ा, (2) रीढ़, (3) बायाँ फेफड़ा, (4) पसलियाँ, (5) महाधमनी, (6) तिल्ली, (7) बायाँ गुर्दा, (8) दायाँ गुर्दा, (9) यकृत का एक चित्रण (wikimedia)
3. ब्रेन ट्यूमर (brain tumors) से जीवन के लिए खतरा हो सकता है, जिसको संदर्भित करता चित्रण (wikimedia)
4. किलर टी कोशिकाएं एक कैंसर कोशिका को घेर लेती हैं, जिसका एक चित्रण (flickr)
5. कैंसर से ठीक होकर प्रसन्न बच्चे का एक चित्रण (flickr)
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