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हम अपने घरों में मच्छरों से बचने के लिए प्रायः मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं! क्यों की
हमें यह अच्छी तरह से ज्ञात है की, गलती से भी यदि, एक भी मच्छर काट ले तो, किसी को
भी डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। उसी तर्ज पर हमारी धरती की
ऊपरी सतह भी ओज़ोन परत की बड़ी चादर से ढकी है। जिस प्रकार मच्छरदानी में एक छोटा
सा छेद होने पर, डेंगू के मच्छर अंदर घुसकर हमें काट सकते हैं। उसी प्रकार हमारी ओज़ोन
परत पर छोटा से छेद हो जाने पर, सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें सीधे हमारी पृथ्वी
के वायुमंडल में प्रवेश कर सकती हैं, अथवा कर रही हैं। जिससे धरती पर रहने वाले जीव-
जंतुओं और यहां की पारिस्थितिकी पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।
ओज़ोन छिद्र, तकनीकी रूप से कोई वास्तविक छेद नहीं हैं, बल्कि यह वायुमंडल में ओज़ोन
की परत में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर ओज़ोन गैस मौजूद नहीं है।
दरअसल मुख्य रूप से
ओजोन छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर का क्षेत्र है, जिसमें कुल ओजोन 220 डॉबसन यूनिट या
उससे कम है। ओज़ोन छिद्र के विस्तार में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) रसायन की प्रमुख
भूमिका होती है, क्लोरोफ्लोरोकार्बन प्रमुख रूप से ठंडक प्रदान करने वाले उपकरणों से
उत्सर्जित होती है। सीएफ़सी से मुक्त क्लोरीन परमाणु ओजोन को नष्ट कर देते हैं, हालांकि
यह विनाश धीरे-धीरे होता है।
2005 में ओजोन अवलोकनों और मॉडल गणनाओं की आईपीसीसी (IPCC) समीक्षा द्वारा,
यह निष्कर्ष निकाला कि, ओजोन ह्रास की वैश्विक मात्रा अब लगभग स्थिर अथवा कम हो
गई है, हालांकि यह प्रक्रिया परिवर्तनशील है। यदि ओज़ोन मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(Montreal Protocol) का सही अर्थों में पालन किया गया तो, भविष्य में ओज़ोन परत के
पूरी तरह ठीक होने की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि यह माना जा रहा है की
अंटार्कटिका के ओज़ोन छिद्र अभी भी दशकों तक रह सकते हैं! वरन वैज्ञानिक मानते थे की,
वर्ष 2020 तक अंटार्कटिका के निचले समताप मंडल में ओजोन सांद्रता 5-10 प्रतिशत बढ़
जाएगी, और लगभग 2060-2075 तक 1980 के सामान अपनी पूर्व स्थिति में वापस आ
सकती है। हालांकि विकासशील देशों में, भविष्य में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले
ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के वायुमंडलीय सांद्रता के कारण ओज़ोन छिद्र के भरने का यह
समय और अधिक वर्षों तक खिंच सकता है। इसके अलावा हवा के बदलते पैटर्न के कारण
समताप मंडल के ऊपर से नाइट्रोजन ऑक्साइड के कम होने से भी यह अवधि बढ़ सकती है।
वर्ष 2019 में, ओजोन छिद्र पिछले तीस वर्षों में अपने सबसे छोटे आकार में था, क्योंकि गर्म
ध्रुवीय समताप मंडल ने ध्रुवीय भंवर को कमजोर कर दिया था।
ओज़ोन छिद्र दुनियाभर के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में बन रहे हैं अथवा पाए जाते हैं।
जिनके धरातलीय स्थान क्रमशः दिये गए हैं।
1.अंटार्कटिक ओजोन छिद्र: अंटार्कटिक "ओजोन छिद्र" की खोज का विवरण पहली बार
ब्रिटिश वैज्ञानिकों फ़ार्मन, गार्डिनर और शंकलिन (Farman, Gardiner and Shanklin)
द्वारा प्रस्तुत मई 1985 में, नेचर में एक पेपर में रिपोर्ट किया गया था।
हालंकि शुरू में इन
रिपोर्टों को अनुचित के रूप में ख़ारिज कर दिया गया था। कम तापमान होने के कारण
अंटार्कटिका में ध्रुवीय समताप मंडल के बादल बनते हैं , ऐसी स्थितियों में बादल के बर्फ के
क्रिस्टल अप्रतिक्रियाशील क्लोरीन यौगिकों को प्रतिक्रियाशील क्लोरीन यौगिकों में बदलने
के लिए एक उपयुक्त सतह प्रदान करते हैं, जो ओजोन को आसानी से समाप्त कर सकते हैं।
2. आर्कटिक ओजोन "मिनी-होल": वैज्ञानिकों द्वारा 15 मार्च, 2011 को, रिकॉर्ड स्तर पर
ओजोन परत में नुकसान देखा गया था। जहाँ आर्कटिक के ऊपर मौजूद लगभग आधे
ओजोन को नष्ट कर दिया गया था। आर्कटिक समताप मंडल में लगभग 20 किमी (12
मील) की ऊंचाई पर बढ़ती सर्द सर्दियों को इस परिवर्तन का प्रमुख कारण बताया गया।
जिस कारण वहां भी एक ओज़ोन छिद्र माना जाता है।
3.तिब्बत ओजोन छिद्र: सर्दियों की अधिकता के कारण कभी-कभी तिब्बत के ऊपर भी
ओजोन छिद्र पाया जा सकता है। 2006 में, तिब्बत के ऊपर 2.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर
ओजोन छिद्र का पता चला था। इसके अलावा 2011 में फिर से तिब्बत, झिंजियांग, किंघई
और हिंदू कुश के पहाड़ी क्षेत्रों में एक ओजोन छिद्र दिखाई दिया। हालाँकि यह अन्य दो छिद्रों
की तुलना में छोटा है। वहीं 2012 में हुए शोध से पता चला है कि, अंटार्कटिका के ऊपर
ओजोन छिद्र पैदा करने वाली वही प्रक्रिया संयुक्त राज्य अमेरिका में गर्मियों के तूफानी
बादलों के ऊपर होती है, जिस कारण वह वहां भी ओजोन को नष्ट कर सकती है।
वर्ष 2020 में अंटार्कटिक ओजोन छिद्र अंतत: दिसंबर के अंत में ओजोन क्षयकारी पदार्थों की
निरंतर उपस्थिति के कारण, एक असाधारण मौसम के बाद बंद हो गया। हालांकि इसी वर्ष
यह ओजोन छिद्र अगस्त के मध्य से तेजी से बढ़ा और 20 सितंबर 2020 को लगभग 24.8
मिलियन वर्ग किलोमीटर के शिखर पर पहुंच गया था।
डब्ल्यूएमओ एटमॉस्फेरिक एनवायरनमेंट रिसर्च डिवीजन (WMO Atmospheric
Environment Research Division) की प्रमुख ओक्साना तरासोवा (Oksana
Tarasova) के अनुसार "हमें ओजोन क्षयकारी रसायनों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को सुचारु
रूप से लागू करने के लिए निरंतर अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। वायुमंडल में
अभी भी पर्याप्त ओजोन क्षयकारी पदार्थ हैं, जो वार्षिक स्तर पर ओजोन रिक्तीकरण का
कारण बनते हैं," ओज़ोन परत के कम होने का सीधा संबंध लगभग 10 किमी और लगभग
50 किमी ऊंचाई के बीच वायुमंडल की परत के तापमान से होता है, क्योंकी ओजोन के
रासायनिक विनाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ध्रुवीय समताप मंडलीय बादल,
केवल -78 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर ही बनते हैं। इन बादलों में बर्फ के
क्रिस्टल होते हैं, जो गैर-प्रतिक्रियाशील यौगिकों को प्रतिक्रियाशील यौगिकों में बदल सकते
हैं, जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ओजोन को तेजी से नष्ट कर सकते हैं। ध्रुवीय
समतापमंडलीय बादलों और सौर विकिरण के कारण ही ओजोन छिद्र केवल देर से
सर्दियों/शुरुआती वसंत में देखा जाता है।
संदर्भ
https://bit.ly/2VDZBdo
https://bit.ly/2XhYvEA
https://go.nasa.gov/3tDF5q1
चित्र संदर्भ
1. 2015 में ओज़ोन छिद्र की स्थिति दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. हमारी धरती प्रदूषण का एक चित्रण (wikimedia)
3. अंटार्कटिक की बर्फ में छिद्र का एक चित्रण (Tribune India)
4. पराबैगनी किरणों के विभिन्न चरणों का एक चित्रण (affairsworld)
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