विश्व भर के धार्मिक पुराणों में कौवे का महत्व व प्रतीकवाद

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
13-09-2021 06:47 AM
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विश्व भर के धार्मिक पुराणों में कौवे का महत्व व प्रतीकवाद

कौवा‚ कॉर्वस (Corvus) जाति का एक पक्षी है‚ जिसका उल्‍लेख विश्‍व के कई साहित्‍यों में किया गया है। “रेवेन” या “कौवा” शब्द का प्रयोग प्रजातियों के सामान्य नाम के हिस्से के रूप में किया जाता है। कौवे की तुलना में रेवेन की चोंच बड़ी तथा ज्यादा मुड़ी हुई होती है। हालांकि दोनों प्रजातियों में चोंच के नीचे बाल होते हैं जिसमें रेवेन के बाल ज्यादा लंबे होते हैं तथा इसके गले के पंख भी काफी घने होते हैं। अपने काले पंख‚ कर्कश ध्वनि तथा सड़े हुए आहार के सेवन के कारण‚ कौवा अक्सर हानि और अपशकुन से जुड़ा होता है। फिर भी‚ अपने विभिन्न प्रसंगों के कारण इसका प्रतीकवाद सम्मिश्र है। ऐसा माना जाता है कि‚ बात करने वाले पक्षी के रूप में‚ कौवा भविष्यवाणी और अंतर्दृष्टि का भी प्रतिनिधित्व करता है। कहानियों में कौवे या रेवेन अक्सर मनोविकार के रूप में कार्य करते हैं‚ जो भौतिक संसार को आत्माओं की दुनिया से जोड़ते हैं।
फ्रांसीसी (French) मानवविज्ञानी‚ क्लाउड लेवी-स्ट्रॉस (Claude Lévi-Strauss) ने एक संरचनावादी सिद्धांत का प्रस्ताव रखा‚ जो बताता है कि कौवे ने पौराणिक प्रतिष्ठा प्राप्त की थी‚ क्योंकि वह जीवन और मृत्यु के बीच का मध्यस्थ जानवर था। एक कैरियन पक्षी के रूप में‚ कौवे मृतकों और खोई हुई आत्माओं के साथ जुड़े हुए होते हैं। स्वीडिश (Swedish) लोककथाओं के अनुसार‚ कौवे या रेवेन‚ बिना ईसाई (Christian) अंत्येष्टि के‚ मारे गए लोगों के भूत हैं‚ तथा जर्मन (German) कहानियों में‚ कौवे शापित आत्माएं हैं।
कौवे के अलावा गरुड़‚ उल्लू‚ हंस आदि अन्य पक्षी भी हैं जो भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महान भूमिका निभाते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार‚ ऐसी मान्यता है कि‚ पूर्वज कौवे के रूप में आते हैं‚ इस प्रकार कौवे को खाना खिलाकर‚ वे मृत पूर्वजों को खाना खिलाते हैं या कौवे द्वारा पूर्वजों तक भोजन पहुंचाते हैं। कौवे द्वारा अपने पूर्वजों को भोजन कराने की यह प्रथा “श्राद्ध” कहलाती है‚ जिसे हिंदू पौराणिक कथाओं में धार्मिक अनुष्ठानों में से एक माना जाता है‚ तथा इसका उल्लेख “लक्ष्मण शास्त्र” में भी किया गया है। हिंदुओं में यह भी मान्यता है कि‚ कौवे द्वारा घर में आवाज करने से‚ उस घर में मेहमानों के आने की संभावना होती है। ऐसे अन्य सिद्धांतों के अनुसार‚ कौवे के स्थान पर वानरों को पूर्वजों के लिए संदर्भित किया जाता है। नवीनतम मान्यता के अनुसार‚ कौवे ही एकमात्र ऐसे पक्षी हैं जो पितृ लोक के लिए‚ एक संदेशवाहक के रूप में संचार का कार्य कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार‚ नेपाल के लोग‚ दिवाली या तिहाड़ त्योहार के पहले दिन‚ कौवे की पूजा करते हैं तथा पूरा दिन उत्सव मनाते हैं। इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठानों को‚ नेपालियों में “काग पूजा” या “काग पर्व” के नाम से जाना जाता है।
कौवे या रेवेन कई प्राचीन लोगों की पौराणिक कथाओं में पाए गए हैं। ‌ग्रीक (Greek) पौराणिक कथाओं के अनुसार‚ कौवे भविष्यवाणी के देवता अपोलो (Apollo) से जुड़े हुए हैं। जिन्हें दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है‚ और वे नश्वर दुनिया में भगवान के दूत होते थे। पौराणिक कथा के अनुसार‚ अपोलो (Apollo) ने अपने प्रेमी‚ कोरोनिस (Coronis) की जासूसी करने के लिए कुछ संस्करणों में एक सफेद रेवेन या कौवे को भेजा था। जब कौवे ने वापस आकर यह खबर सुनाई की‚ कोरोनिस ने उसके साथ विश्वासघात किया है‚ तो अपोलो ने अपने क्रोध में आकर कौवे को झुलसा दिया‚ जिससे कौवे के पंख काले हो गए। इसलिए आज सभी कौवे काले हैं। एक रोमन इतिहासकार लिवी (Livy) के अनुसार‚ रोमन (Roman) के जनरल मार्कस वेलेरियस कोरवस (Marcus Valerius Corvus) ने एक युद्ध के दौरान‚ एक विशाल गोल के साथ रैवेन को अपने हेलमेट पर बिठाया था। जिसने युद्ध के दौरान दुश्मन के चेहरे पर उड़कर उसका ध्यान भटका दिया था। चौथी शताब्दी के इबेरियन ईसाई (Iberian Christian)‚ शहीद संत विंसेंट ऑफ सारागोसा (Vincent of Saragossa) की किंवदंती के अनुसार‚ संत विंसेंट को मार दिए जाने के बाद‚ कौवे ने उनके शरीर को जंगली जानवरों द्वारा खाए जाने से बचाया‚ जब तक कि उनके अनुयायी शरीर को ठीक नहीं कर लेते। उनके शरीर को दक्षिणी पुर्तगाल (southern Portugal) में केप सेंट विंसेंट (Cape St. Vincent) के नाम से जाना जाता है। उसकी कब्र के ऊपर एक मंदिर बनाया गया था‚ जिस पर कौवों के झुंड पहरा देते थे।
एक अरब (Arab) भूगोलवेत्ता‚ अल- इदरीसी (Al-Idrisi) द्वारा‚ कौवे के इस निरंतर रक्षक का उल्लेख किया गया‚ जिसके पश्चात उनके द्वारा इस स्थान का नाम “कनिसाह अल-घुराब” (Church of the Raven) रखा गया था। जर्मन (German) सम्राट‚ फ्रेडरिक बारबारोसा (Frederick Barbarossa) के बारे में किंवदंतियों के अनुसार‚ उन्हें थुरिंगिया (Thuringia) में क्यफहौसर (Kyffhäuser) पर्वत या बवेरिया (Bavaria) में यूनटर्सबर्ग (Untersberg) में एक गुफा में अपने शूरवीरों के साथ सोते हुए दिखाया गया है‚ कहा जाता है कि जब कौवे पहाड़ के चारों ओर उड़ना बंद कर देंगे हैं‚ तब सम्राट जाग जाएगा और जर्मनी (Germany) को उसकी प्राचीन महानता में पुनर्स्थापित करेगा। कहानी के अनुसार‚ नींद में सम्राट की आंखें आधी बंद होती हैं‚ लेकिन कभी-कभी‚ वह अपना हाथ उठाता है और एक लड़के को बाहर भेजता है यह देखने के लिए कि क्या कौवों ने उड़ना बंद कर दिया है। मध्य पूर्व‚ इस्लामी संस्कृति में‚ काबिल (कैन) (Qabil (Cain)) और हाबिल (Habil (Abel)) की कहानियों के कुरान संस्करण में‚ एक रैवेन या कौवे का उल्लेख उस प्राणी के रूप में किया गया है‚ जिसने कैन को अपने मारे गए भाई को‚ अल-मैदा (The Repast) में दफनाना सिखाया था। जैसा कि ‘कुरान’ में प्रस्तुत किया गया है और ‘हदीस’ में आगे कहा गया है‚ दोनों भाइयों को भगवान को व्यक्तिगत बलिदान चढ़ाने के लिए कहा गया था‚ भगवान ने हाबिल के बलिदान को स्वीकार किया और काबिल (कैन) के बलिदान को अस्वीकार कर दिया‚ ईर्ष्या में आकर कैन ने हाबील को मार डाला जो पृथ्वी पर हत्या का पहला मामला था। अपने भाई के शरीर को निपटाने के समाधान के लिए‚ आस-पास की छानबीन करते समय‚ कैन ने दो कौवे देखे‚ जिनमें से एक मृत और दूसरा जीवित था। जीवित कौवे ने अपनी चोंच से जमीन खोदना शुरू किया जब तक कि एक गड्ढा नहीं खोदा गया‚ जिसमें उसने अपने मृत साथी को दफन कर दिया। यह देखते हुए‚ कैन ने अपने समाधान की खोज की‚ जैसा कि परोक्ष रूप से भगवान द्वारा प्रकट किया गया था।
दुनिया की हेरलड्री (heraldry) में रेवेन या कौवे का प्रतीकवाद आम हो गया है। ऐसा माना जाता है कि‚ ब्रिटिश (British) हेरलड्री में रेवेन‚ नॉर्मन (Norman) प्रतीकवाद से निकला है। नॉर्मन‚ 11 वीं शताब्दी के आक्रमण और इंग्लैंड (England) को कब्जे में लेने के लिए बनी एक सेना थी‚ जिसमें हजारों नॉर्मन (Normans)‚ ब्रेटन (Bretons)‚ फ्लेमिश (Flemish) और अन्य फ्रांसीसी (French) प्रांतों के पुरुष शामिल थे। कॉर्बेट परिवार (Corbet family)‚ जिसने अपने अटूट पुरुष वंश के चलते‚ नॉर्मल को इंग्लैंड (England) पर विजय दिलाई वह भी रेवेन को प्रतीक के रूप में प्रयोग करते थे। जिसमें बस इतना ही अंतर होता था कि वे सीमाओं पर कुछ अतिरिक्त पक्षियों का भी इस्तेमाल करते थे।
कोर्विड की अन्य जाति‚ जैसे कौवा और रॉक‚ आमतौर पर रेवेन से अलग नहीं माने जाते हैं। वाशिंगटन (Washington) परिवार के योद्धाओं के कोर्ट के ऊपरी भाग में भी रेवन उपस्थित है और यही छवि वॉशिंगटन स्टेट एरिया कमांड (Washington State Area Command) तथा वाशिंगटन आर्मी नेशनल गार्ड (Washington Army National Guard) के यूनिट प्रतीक चिन्ह पर भी दिखाई देती है। आम रेवेन‚ युकोन (Yukon) तथा येलोनाइफ़ (Yellowknife)‚ उत्तर पश्चिमी प्रदेशों का आधिकारिक पक्षी है। एडगर एलन पो (Edgar Allan Poe's) की कब्रगाह का शहर के केंद्रीय स्थान पर उपस्थित होने के कारण‚ रेवेन‚ बाल्टीमोर (Baltimore) शहर का प्रतीक बना‚ क्‍योंकि पो की सबसे प्रसिद्ध कविता से प्रेरित होकर ही बाल्टीमोर की नेशनल फुटबॉल लीग टीम (National Football League team) का नाम व रंग बाल्टीमोर रेवेन्स (Baltimore Ravens) रखा गया था।

संदर्भ:
https://bit.ly/3heYdWm
https://bit.ly/3jUjvtX
https://bit.ly/38NJ9KE

चित्र संदर्भ
1. साथ में काले और सफ़ेद कौवे का एक चित्रण (staticflick)
2. अपने मुँह में सांप को दबोचे कौवे का एक चित्रण (youtube)
3. कौवों के झुंड का एक चित्रण (flickr)
4. परोसे गए भोजन को ग्रहण करते कौवों का एक चित्रण (adobestock)