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जुगनू पृथ्वी पर उतरे तारों की तरह दिखाई देते हैं। कई दफे तो इन्हें आपने पकड़ने की
कोशिश भी की होगी। यूं तो ये शहरों में कम ही दिखाई देते हैं, पर गांवों में ये अभी भी देखे
जा सकते हैं। लेकिन कुछ वर्षो से इनकी आबादी घटती जा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि
जुगनू गायब हो रहे हैं। भारत में जुगनू की लगभग 7-8 प्रजातियां ही बची हैं; अमेरिका
(America) स्थित एक पत्रिका स्मिथसोनियन (Smithsonian) के अनुसार दुनिया भर में
2,000 से अधिक प्रजातियां हैं। यह दर्शाने वाले कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं, जिनसे यह पता
चले कि जुगनू विलुप्त होने के कगार पर खड़े हैं या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि जुगनू
की आबादी को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक - कीटनाशकों का उपयोग और बढ़ता
प्रकाश प्रदूषण हैं। यदि उन्हें नियंत्रित नहीं किया गया, तो अंततः जुगनू विलुप्त हो जाएंगे,
जिससे हमारी गर्मी की रातें कम जादुई हो जाएंगी।
जुगनू विशेष प्रकाश उत्सर्जक अंगों को समेटे हुए होते हैं, आमतौर पर उनके निचले पेट पर,
जिन्हें लालटेन कहा जाता है। जुगनू के पेट के आखिरी भाग में कुछ रसायनिक क्रिया चलती
हैं जिससे प्रकाश उत्पन्न होता है। इस प्रकार से जीवों द्वारा उत्पन्न प्रकाश को बायो-
ल्यूमिनिसेन्स (Bioluminescence) या जीवदीप्ति कहते हैं। उनकी रोशनी की उपस्थिति ही
जादुई सी लगती है। उनके इस प्रकाश ने कलाकृति, साहित्य, नृत्य और संगीत को प्रेरित
किया है। अपने विशाल सांस्कृतिक मूल्य से परे, उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान और चिकित्सा
में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और ये कीट स्वस्थ, संपन्न परिस्थितिकी तंत्र का एक
अभिन्न अंग भी हैं।
शरीर से रोशनी पैदा करने वाले ऐसे जीवों के प्रकाश को जीवदीप्ति कहा जाता है। जुगनुओं
की कुछ प्रजातियों में तेज़ रोशनी पैदा होती है। पुराने समय में तो लोग इनका प्रयोग लैंप
की तरह किया करते थे। वे लोग छोटे-छोटे छेद वाले मिट्टी या धातु के बर्तनों में खूब सारे
जुगनू बंद करके उनकी रोशनी का उपयोग अपने घरों में काम करने या रास्ता देखने के लिए
भी करते थे। चीन (China) में, बहुत पहले, यह माना जाता था कि जुगनू जलती हुई घास
से उत्पन्न होते हैं। एक जापानी (Japan) किंवदंती है कि ये जीव वास्तव में मृतकों की
आत्मा हैं। ये उन योद्धाओं की आत्मा हैं जो युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुये थे। जुगनू को
अँग्रेज़ी में फायर फ्लाइ (Firefly) या लाइटनिंग बग (Lightning bug) भी कहते हैं। ये एक
प्रकार के कीट होते हैं।
दुनिया भर में ये जादुइ चमकते हुये कीड़े आज खतरे में हैं और प्रकाश प्रदूषण जुगनू के लिए
सबसे बड़ी समस्या है। 2,000 से अधिक जुगनू प्रजातियां विलुप्त होने का सामना कर
सकती हैं। ये अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप में निवास करते हैं, जंगलों, खेतों और
दलदल जैसे नम आवासों को पसंद करते हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर
(International Union for Conservation of Nature’s (IUCN)) की रेड लिस्ट ऑफ
थ्रेटड स्पीशीज (Red List of Threatened Species) पर प्रकाशित आकलनों के आधार
पर, अनुमानित 8% यूएस और कनाडाई फायरफ्लाइज़ (US and Canadian fireflies)
विलुप्त होने की कगार पर हैं। लेकिन यह संख्या अधिक भी हो सकती है। डेटा की कमी के
कारण अभी भी एक चौथाई के करीब का आकलन किया जाना बाकी है। उनकी दुर्दशा को
पूरी तरह से समझने और संरक्षण के प्रयासों को प्रभावी बनाने के लिए जुगनू आबादी का
अधिक बारीकी से अध्ययन करने की तत्काल आवश्यकता है।
1.जुगनू के गायब होने के पीछे का कारण मुख्य कारण कृत्रिम प्रकाश या प्रकाश प्रदूषण
को माना जाता है। प्रकाश प्रदूषण के कारण भी जुगनू एक-दूसरे का प्रकाश नहीं देख
पाते। इससे अप्रत्यक्ष रूप से उनका जैविक चक्र प्रभावित होता है क्योंकि ऐसी स्थिति
में वे अपना साथी नहीं खोज पाते। दरअसल गतिहीन मादाएं लंबे समय तक चलने
वाली चमक पैदा करती हैं जो उड़ने वाले पुरुषों को आकर्षित करती हैं परंतु प्रकाश
प्रदूषण के कारण यह प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाती हैं। कृत्रिम प्रकाश जुगनू के संभोग
व्यवहार को प्रभावित करता है। जिसका अर्थ है कि अगले पीढ़ी के लिए कम अंडे
उत्पन्न होते हैं, जिससे इनके विलुप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। और तो और
जुगनू की संभोग अवधि बहुत सीमित होती है, इस अवधि के दौरान प्रकाश प्रदूषण के
कारण आने वाली परेशानियां इनकी आबादी पर गहरा प्रभाव डालती हैं। पिछले 20
वर्षों में भारत के विभिन्न हिस्सों में कृत्रिम रोशनी की चमक लगातार बढ़ रही है।
जिसने अनजाने में जुगनू की आबादी में गिरावट में योगदान दिया है। क्योंकी कृत्रिम
प्रकाश के कारण, जुगनू संभावित साथियों के संकेतों को पहचानने में विफल हो जाते
हैं, माना जाता है कि प्रकाश प्रदूषण जुगनू के संकेत पैटर्न को बाधित करता है।
अध्ययन बताते हैं कि प्रकाश के कारण जुगनू रास्ता भटक जाते हैं, यहां तक की वे
इससे अंधे तक हो सकते हैं। प्रकाश के कृत्रिम स्रोत के संपर्क में आने के बाद जुगनू
अपना रास्ता खो देते हैं।
2. कीटनाशकों ने भी जुगनुओं के सामने संकट खड़ा किया है। जुगनू अपने जीवन का
बड़ा हिस्सा लार्वा के रूप में जमीन, जमीन के नीचे या पानी में बिताते हैं। यहां उन्हें
कीटनाशकों का खतरा रहता है। रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित उपयोग इन जैव
नियंत्रकों के लिए भी खतरा है, जो खुले मैदानों में रहना पसंद करते हैं। कीटनाशक
जुगनू को मारकर उनके लार्वा को भी नुकसान पहुंचाते हैं। जुगनू की अधिकांश
प्रजातियां सड़ती लकड़ी और जंगल में लार्वा के रूप में पनपती हैं। ऐसे में कीटनाशकों
उपयोग इनकी आबादी के लिये एक बड़ा खतरा बन गये हैं।
जुगनू एक आकर्षक जीव हैं जो हमारी रातों को रोशन करते हैं। इनको झुंड में देखना एक
अविश्वसनीय दृश्य है और प्रकृति के कई बेहतरीन दृश्यों में से एक भी। जुगनू काफी
आकर्षक कीट हैं जो हमारी रातों को प्रकाश में लाते हैं और हमारे वातावरण में जादू और
रहस्य की भावना को उत्पन्न करते हैं। यदि ये गायब हो जाते हैं, तो यह दुनिया भर के
लोगों और पीढ़ियों के लिए एक बड़ी क्षति होगी। इस समय में सिक्किम में एक आशा की
किरण दिखाई देती है। जुगनू और अन्य कीड़ों के लिये सिक्किम में एक सुरक्षित ठिकाना हो
सकता है, जो एक जैविक राज्य बन गया है, यह प्रदेश अब रासायनिक कीटनाशकों का
उपयोग नहीं करेगा, इससे जुगनू जैसे कीटों को एक सुरक्षित स्थान मिल सकता है, जहां
इनकी आबादी में वृद्धि हो सकती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Bkc4SV
https://bit.ly/2WsXFF5
https://bit.ly/2RizfaW
https://bit.ly/3Dj95vD
https://bit.ly/3gU56wf
https://bit.ly/3mxnaQl
https://bit.ly/2WrPFUQ
चित्र संदर्भ
1. हाथ में बैठे जुगनुओं का एक चित्र (flickr)
2. मादा जुगनू का एक चित्रण (wikimedia)
3. लैम्पाइरिस नोक्टिलुका (Lampyris noctiluca ) प्रजाति की एक पंखहीन मादा जुगनू का एक चित्रण (wikimedia)
4. जुगनुओं के झुण्ड का एक चित्रण (flickr)
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