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भारत समेत दुनियाभर में कैसे मनाया जाता है, रक्षाबंधन का पावन पर्व

रामपुर

 22-08-2021 09:53 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

रक्षाबंधन का पर्व विश्व पटल पर भाई और बहन के रिश्ते को एक आधिकारिक पहचान देता है। भारत में यह केवल एक त्यौहार न होकर रिश्तों में मजबूती और भरोसे का पर्याय बन जाता है, और यहां इस त्यौहार की भव्यता देखते ही बनती है। यह प्रायः देश में सर्वाधिक उत्साह और आनंद से मनाया जाने वाला त्यौहार है। रक्षाबंधन हिंदू माह के श्रावण मास में मनाया जाता है, अर्थात यह अधिकांशतः ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के जुलाई-अगस्त महीने के अंतर्गत पड़ता है। यह भारत समेत दुनियां के विभिन्न हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, किंतु दिलचस्प बात यह है कि कई गैर-हिंदू परिवार इस त्योहार को उसी जोश और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, क्योंकि समय के साथ, यह अवसर भाइयों और बहनों के बीच प्यार के अटूट धागे का एक सार्वभौमिक उत्सव बन गया है।
दुनिया भर में राखी समारोह:
यूरोप: यूरोप के विभिन्न देशों में रक्षा बंधन का त्यौहार यहां रहने वाले दक्षिण पूर्व एशियाई आबादी द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार के उत्साह को जीवंतता के मानाने के लिए लोग एक सुनिश्चित स्थान पर एकत्र होते हैं। चूंकि इन विदेशी राज्यों में कई लोग अकेले भी रहते हैं, इसलिए आपस में भाईचारा विकसित करते हुए यहां लड़कियां उन लड़कों को राखी बांधती हैं जो रिश्तों में उनके सगे तो नहीं हैं, किंतु उनका पालन पोषण कर रहे हैं।
नेपाल: भारत के अलावा नेपाल दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र है, जहां कई भारतीय भी रहते हैं। भारत की तरह ही, नेपाल में भी लोग इस अवसर को भाई-बहन के रिश्ते की स्मृति के रूप में मनाते हैं। यहाँ त्योहार भाई के हाथ पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधने के समारोह के साथ शुरू होता है और दावत और पारिवारिक मिलन के साथ समाप्त होता है।
ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया में भी बड़ी संख्या में एशियाई आबादी निवास करती है, जिसमे से ज्यादातर भारतीय छात्र और नौकरीपेशा लोग हैं। इसलिए यहाँ राखी के अवसर पर, आम तौर पर सामुदायिक सभा और दावत का आयोजन किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में, जहां विदेशी बाज़ारों में रक्षासूत्र प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल होता है , इसलिए भाई और बहनें हाथ में बैंड या कंगन बांधना पसंद करते हैं। यहाँ भी यूरोपीय एशियाई समुदाय की भांति लोग अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी करते हैं, इसलिए बहने अपने पालक भाई के हाथों में ही राखी बांधती हैं। खाड़ी देशों में: खाड़ी देशों में राखी एक बिल्कुल नई अवधारणा है। जब से भारतीयों ने इन देशों में तेल कंपनियों और कारखानों में काम करना शुरू किया है, उन्होंने खाड़ी संस्कृति में राखी जैसे भारतीय त्योहारों की अवधारणा को भी पेश किया है। हालांकि यहाँ के मूल निवासी इस त्योहार को नहीं मनाते हैं, लेकिन यहां के भारतीय (गैर हिंदू सहित) इस पावन पर्व को पूरी निष्ठा और धूमधाम से मानते हैं।
अलग-अलग परम्पराओं के साथ ही रक्षाबंधन अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। विभिन्न राज्यों के लोग इस त्योहार को राखी पूर्णिमा, नारियल पूर्णिमा और कजरी, विष तारक - विष का नाश करने वाला, पुण्य प्रदायक -वर देने वाला और पाप नाश करने वाला पाप नाश करने वाला, जैसे अलग-अलग नामों से मनाते हैं। भारत रक्षाबंधन के त्यौहार का उत्पत्ति राष्ट्र है, इसलिए निसंदेह यहां पर इस पर्व का उत्साह दुनियां के विभिन्न हिस्सों की तुलना में सर्वाधिक होगा। हालांकि यहां के हर राज्य में इसे मानाने के तरीकों और परम्पराओं में भिन्नता देखने को मिल सकती है, किंतु सभी का मूल उद्द्येश एक ही होगा।
भारत के पूर्वोत्तर भाग में रक्षाबंधन : पिछले कुछ वर्षों की दौरान उत्तर-पूर्वी भारत में राखी का त्यौहार एक प्रमुख अवसर के रूप में उभरा है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लोग पूरे उत्साह और हर्षोल्लास के साथ राखी के त्यौहार का आनंद उठाते हैं। असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में हिन्दुओं की अधिकता होने के कारण लोग त्योहार को अधिक उत्साह से मनाते हैं। यहां रक्षाबंधन का त्योहार अब केवल हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों के लोग अपने भाई-बहनों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं। नन्हे बच्चे अपने जीवन में महत्ता दर्शाने के लिए अपने दोस्तों की कलाई पर पवित्र धागा बांधकर त्योहार मनाते हैं।
महाराष्ट्र, गोवा सहित पश्चिमी तटीय क्षेत्र : तटीय क्षेत्रों निवासियों खासतौर पर अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से समुद्र पर निर्भर रहने वाले मछुआरे के लिए यह त्योहार बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्यों की रक्षा बंधन वर्ष के ऐसे समय पर आता है, जब मानसून शिथिल पड़ने लगता है, और उग्र समुद्र शांत हो जाता है। इसके बाद मछली पकड़ने का नया मौसम शुरू होता है, और मछुआरे भगवान वरुण (हिन्दुओं में वर्षा के देवता) को धन्यवाद के रूप में समुद्र में नारियल चढ़ाते हैं।
गुजरात: रक्षाबंधन के पावन पर्व के दौरान गुजराती लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता के अनुसार जो कोई भी इस दिन भगवान शिव की पूजा करता है, उसको सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस अवसर पर कपास और कासा घास के कुछ तंतुओं को आपस में जोड़कर एक साथ पिरोया जाता है , जिसे बाद में गाय से प्राप्त पंचगव्य (गाय का घी, दूध, दही, मूत्र और गोबर) में भिगोया जाता है और उस धागे को शिवलिंग के चारों ओर बांध दिया जाता है।
पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित पूर्वी भाग: देश के इन क्षेत्रों में यह त्यौहार झूलन यात्रा के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार राधा और कृष्ण के बीच प्रेम संबंध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। रक्षा बंधन के दौरान गायन और नृत्य सहित खूबसूरत झूलों का एक सप्ताह तक शानदार प्रदर्शन होता है। यह त्योहार विशेष रूप से वैष्णवों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत के दक्षिणी भाग: रक्षा बंधन की पूर्णिमा को दक्षिण भारत में अवनि अवित्तम के रूप में मनाया जाता है। विद्वान इस दिन यजुर्वेद का पठन करते हैं। इस दिन ब्राह्मण पवित्र जल में स्नान करने के पश्चात् जनेऊ को बदलते हैं। जनेऊ का परिवर्तन पिछले सभी पापों का प्रायश्चित और एक महासंकल्प, अच्छाई, शक्ति और गरिमा का जीवन जीने के संकल्प को दर्शाता है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश सहित मध्य क्षेत्र: यह त्योहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है,क्यों की अब से गेहूं और जौ की बुवाई करने का सबसे उचित मौसम शुरू हो जाता है। इस दौरान किसान पत्तों से बने प्याले में मिट्टी इकट्ठा करते हैं, जिसे बाद में घर के एक अंधेरे कमरे में रख दिया जाता है, और सात दिनों तक तालाब या नदी में विसर्जित करने से पहले पूजा की जाती है। इस रस्म को केवल ऐसी महिलायें पूरा कर सकती हैं, जिनका कोई पुत्र हो। साथ ही परिवार की भलाई और अच्छी फसल के लिए देवी भगवती से प्रार्थना भी की जाती है। भारत के पहाड़ी राज्यों में रक्षाबंधन: जम्मू में इस पवित्र राखी के त्योहार को रंग-बिरंगी पतंग उड़ाकर मनाया जाता है, और उत्तराखंड में भी भारत के दक्षिणी भाग की भांति जनेऊ को बदला जाता है।
यदि सामान रूप से देखें तो रक्षाबंधन के दिन, बहन अपने भाई की कलाई पर पारंपरिक पवित्र धागा (राखी) बांधती है, और उसकी लंबी उम्र के लिए कामना करती है। जिसके बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। आमतौर पर इस रस्म के बाद मिठाइयां बांटती हैं, और दावत, मौज- मस्ती और मस्ती के साथ बड़े परिवार एक साथ बैठते हैं। सौभाग्य से हमारा प्रारंग परिवार भी प्रतिदिन एक साथ एक मंच पर आता है, और रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर हमारे सभी पाठक भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं।

संदर्भ
https://bit.ly/3z3NpRS
https://bit.ly/3AZLMFa
https://bit.ly/3AUZxFa
https://bit.ly/3ke81As
https://bit.ly/37XQdnF

चित्र संदर्भ
1. विश्व में रक्षा बंधन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. भाई की कलाई पर राखी बांधती हुई बहन का एक चित्रण (flickr)
3. पतंग उड़ाने की तैयारी करते बच्चों का एक चित्रण (flickr)



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