इत्र का प्रयोग विश्व में आदिकाल से होता आ रहा है। कई भारतीय कर्मकाण्डों व धार्मिक अनुष्ठानों में इत्र के प्रयोग की बात करते हैं। कालीदास की रचनाओं में विभिन्न प्रकार के पुष्पों के रस तथा चंदन के मिश्रण से बनाये जाने वाले द्रव्य का उल्लेख मिलता है जो कदाचित् इत्र ही है। प्राचीन काल में मिस्र, ग्रीस व अन्य कई देश भारत से चन्दन की लकड़ियों का व्यापार करते थे तथा उनके द्वारा लिखित साक्ष्यों से भारत में इत्र के उत्पाद के साक्ष्य मिलते हैं। इत्र या इतर इस्लाम धर्म में पवित्रता का सूचक माना जाता है। यह तमाम धार्मिक स्थलों पर प्रयोग किया जाता है। इत्र का सम्बन्ध आनन्द, भोग, सुख व आमोद से भी है। रामपुर में इत्र का व्यापार भारत के अन्य स्थानों से होता था। राजकुमारी मेहरुन्निसा खान अपनी जीवनी में विभिन्न इत्रों का वर्णन करती हैं। रामपुर के कोठी खास बाग व अन्य स्थानों पर कई बगीचों का निर्माण किया गया जो कि सुगंध से सम्बन्धित हैं। भारत के इत्र बनाने के प्रमुख केन्द्रों में कन्नौज, जौनपुर, गाजीपुर व लखनऊ थे तथा यही वो स्थान थे जहाँ से रामपुर में इत्र मंगाया जाता था।
1. एन एक्स्ट्राऑर्डनरी लाइफः प्रिन्सेस मेहरुन्निसा ऑफ़ रामपुर- मेहरुन्निसा खान।
2. मधुमालती, एन इंडियन सूफी रोमांस, मंझन।