 
                                            समय - सीमा 266
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मानव और उनके आविष्कार 813
भूगोल 260
जीव-जंतु 315
 
                                            21 वीं सदी, तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आई है। आज
मशीनों की सहायता से, हवा में लंबी उड़ान भरना अब अतीत की हकीकत बन चुका है, इसके बजाय
आज के मनुष्यों को जो तकनीक सबसे अधिक चौंका रही है, वह है मशीनों में बौद्धिक स्तर का
विकास।आज आधुनिक मशीनें, मनुष्यों के सामान ही अपनी पिछली गलतियों से सीखकर खुद को
और बेहतर कर सकती है। मशीनों का यह गुण खासतौर पर ऑटोमोबाइल (automobile) क्षेत्र में
सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जहां गाड़ियां बिना ड्राइवर की सहायता से चलने लगी हैं। परंतु
इस बदलाव के साथ कई जटिल प्रश्न भी खड़े हो चुके हैं।
तकनीकी रूप से अग्रणी कंपनी गूगल (Google) ने भी स्व-संचालित कार (self-driven cars) के
कई परिक्षण किये, और पाया की वे तकनीक न केवल सड़क के लिए तैयार है, बल्कि कुछ उदाहरणों
में मानव चालकों की तुलना में बेहतर निर्णय लेती रही हैं। उदाहरण के लिए, साइकिल चालकों के
लिए गाड़ी को धीमा करना और झुकना इत्यादि। परंतु भविष्य में इन स्वचालित गाड़ियों को महज
रेंगने के बजाय, अनुभवी मानव चालकों के सामान कई महत्वपूर्ण नैतिक निर्णय लेने होंगे।
नैतिक निर्णय को बेहतर समझने के लिए हम "सुरंग समस्या (Tunnel Problem) का उदहारण
लेते हैं। कल्पना कीजिए कि, एक स्वायत्त वाहन (autonomous vehicle) किसी पहाड़ी की एक
सुरंग में प्रवेश करने वाला है, तभी एक बच्चा अनजाने में प्रवेश द्वार रास्ते में आ जाता है, ताकि
कार को एक विभाजित-दूसरा निर्णय लेना पड़े। इस परिस्थिति में वाहन का, नैतिक निर्णय क्या
होगा? क्या वह सीधे चलकर बच्चे को ठोक देगा, अथवा घूमकर सुरंग से टकराएगी और कार में
सवार लोगों को घायल या मार देगी? एक इंसान के तौर पर हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसे नैतिक निर्णय लेते हैं, जिनका हमें स्वयं
भी कोई आभास नहीं होता। भविष्य की इन चालक रहित कारों में भी नैतिक निर्णय लेने की क्षमता
को समय रहते विकसित करना आवश्यक हो गया है। कारों के लिए कुछ निर्णय लेना बहुत आसान
होगा, जैसे अचानक घटित होने वाली परिस्थिति में सड़क पार कर रहे चार लोगों बचाना उचित
होगा अथवा एक बिल्ली को? परंतु जब सड़क पार कर रहे, दो स्कूली बच्चों और दो वृद्धों में से
किसी एक को बचाना होगा, तब यह वाहन क्या निर्णय लेंगे? यह बेहद दुविधापूर्ण निर्णय है जिसे
लेने में शायद मनुष्य भी असमंजस में पड़ जाए। वाहनों के लिए एक सार्वभौमिक नैतिक संहिता पर
समझौता करना एक कांटेदार काम हो सकता है।
दुनिया भर के 2.3 मिलियन लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि, ड्राइवर के
निर्णयों को मार्गदर्शन देने वाले कई नैतिक सिद्धांत देश के अनुसार अलग-अलग होते हैं। मोरल
मशीन (moral machine) नामक सर्वेक्षण में 13 परिदृश्यों को निर्धारित किया, जिसमें किसी एक
की मृत्यु अनिवार्य थी। सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं को यह चुनने के लिए कहा गया था, कि उन विशेष
स्थितियों में किसे छोड़ना है? जिनमें चर का मिश्रण जैसे युवा या बूढ़े, अमीर या गरीब, अधिक या
कम लोग इत्यादि शामिल हों। दैनिक जीवन में लोगों को शायद ही कभी इस तरह की कठोर नैतिक
दुविधाओं का सामना करना पड़ता हो।
सेल्फ-ड्राइविंग कारों पर काम करने वाली जर्मन कार निर्माता ऑडी (Audi) का कहना है कि,
दुनियां भर के लोगों पर किये गए सर्वेक्षण इन मुद्दों के बारे में एक महत्वपूर्ण चर्चा को आगे बढ़ाने
में मदद कर सकते है। दुनिया की कुछ सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियां जैसे Google की मूल कंपनी,
Alphabet, उबर (Uber), और टेस्ला (Tesla) जैसे वैश्विक कार निर्माताओं के पास अब सेल्फ-
ड्राइविंग कार प्रोग्राम हैं। इस संदर्भ में कई कंपनियों का तर्क है कि, ये प्रोग्राम वाहन सड़क सुरक्षा में
सुधार कर सकते हैं, यातायात को आसान बना सकते हैं और ईंधन दक्षता में सुधार कर सकते हैं।
एक इंसान के तौर पर हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसे नैतिक निर्णय लेते हैं, जिनका हमें स्वयं
भी कोई आभास नहीं होता। भविष्य की इन चालक रहित कारों में भी नैतिक निर्णय लेने की क्षमता
को समय रहते विकसित करना आवश्यक हो गया है। कारों के लिए कुछ निर्णय लेना बहुत आसान
होगा, जैसे अचानक घटित होने वाली परिस्थिति में सड़क पार कर रहे चार लोगों बचाना उचित
होगा अथवा एक बिल्ली को? परंतु जब सड़क पार कर रहे, दो स्कूली बच्चों और दो वृद्धों में से
किसी एक को बचाना होगा, तब यह वाहन क्या निर्णय लेंगे? यह बेहद दुविधापूर्ण निर्णय है जिसे
लेने में शायद मनुष्य भी असमंजस में पड़ जाए। वाहनों के लिए एक सार्वभौमिक नैतिक संहिता पर
समझौता करना एक कांटेदार काम हो सकता है।
दुनिया भर के 2.3 मिलियन लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि, ड्राइवर के
निर्णयों को मार्गदर्शन देने वाले कई नैतिक सिद्धांत देश के अनुसार अलग-अलग होते हैं। मोरल
मशीन (moral machine) नामक सर्वेक्षण में 13 परिदृश्यों को निर्धारित किया, जिसमें किसी एक
की मृत्यु अनिवार्य थी। सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं को यह चुनने के लिए कहा गया था, कि उन विशेष
स्थितियों में किसे छोड़ना है? जिनमें चर का मिश्रण जैसे युवा या बूढ़े, अमीर या गरीब, अधिक या
कम लोग इत्यादि शामिल हों। दैनिक जीवन में लोगों को शायद ही कभी इस तरह की कठोर नैतिक
दुविधाओं का सामना करना पड़ता हो।
सेल्फ-ड्राइविंग कारों पर काम करने वाली जर्मन कार निर्माता ऑडी (Audi) का कहना है कि,
दुनियां भर के लोगों पर किये गए सर्वेक्षण इन मुद्दों के बारे में एक महत्वपूर्ण चर्चा को आगे बढ़ाने
में मदद कर सकते है। दुनिया की कुछ सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियां जैसे Google की मूल कंपनी,
Alphabet, उबर (Uber), और टेस्ला (Tesla) जैसे वैश्विक कार निर्माताओं के पास अब सेल्फ-
ड्राइविंग कार प्रोग्राम हैं। इस संदर्भ में कई कंपनियों का तर्क है कि, ये प्रोग्राम वाहन सड़क सुरक्षा में
सुधार कर सकते हैं, यातायात को आसान बना सकते हैं और ईंधन दक्षता में सुधार कर सकते हैं।
 सेल्फ-ड्राइविंग कारों की संभावना अन्य नैतिक विवाद पैदा कर सकती है। रहवान (इयाद रहवान,
एक सीरियाई-ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक हैं) ने, नैतिक मशीन बनाने के लिए मनोवैज्ञानिकों,
मानवविज्ञानी और अर्थशास्त्रियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम को इकट्ठा किया। उन्होंने 18 महीनों
के भीतर, ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी में 233 देशों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा लिए गए 40 मिलियन
निर्णय दर्ज किए, और पाया की नैतिक निर्णय लेते समय किसी की उम्र, लिंग या निवास और देश
से कोई फर्क नहीं पड़ता। अधिकांश लोगों ने मनुष्यों को पालतू जानवरों से ऊपर और समूह में लोगों
को एक व्यक्ति से अधिक वरीयता दी, अथवा उन्हें जीवन बक्शा। कई अन्य शोधों में शोधकर्ताओं
ने किसी देश में सामाजिक और आर्थिक कारकों और उसके निवासियों की औसत राय के बीच
सहसंबंधों की भी पहचान की और पाया कि नाइजीरिया या पाकिस्तान जैसे कमजोर संस्थानों वाले
देशों में उत्तरदाताओं की तुलना में मजबूत सरकारी संस्थानों वाले देशों के लोग, जैसे कि फिनलैंड
और जापान में अक्सर उन लोगों को मारना पसंद करते हैं, जो अवैध रूप से सड़क पार कर रहे थे।
मशीनों के नैतिक निर्णयों से जुड़े सर्वेक्षण भविष्य में स्वचालित कारों की गई, और उन पर किये
जाने वाले विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं।
सेल्फ-ड्राइविंग कारों की संभावना अन्य नैतिक विवाद पैदा कर सकती है। रहवान (इयाद रहवान,
एक सीरियाई-ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक हैं) ने, नैतिक मशीन बनाने के लिए मनोवैज्ञानिकों,
मानवविज्ञानी और अर्थशास्त्रियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम को इकट्ठा किया। उन्होंने 18 महीनों
के भीतर, ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी में 233 देशों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा लिए गए 40 मिलियन
निर्णय दर्ज किए, और पाया की नैतिक निर्णय लेते समय किसी की उम्र, लिंग या निवास और देश
से कोई फर्क नहीं पड़ता। अधिकांश लोगों ने मनुष्यों को पालतू जानवरों से ऊपर और समूह में लोगों
को एक व्यक्ति से अधिक वरीयता दी, अथवा उन्हें जीवन बक्शा। कई अन्य शोधों में शोधकर्ताओं
ने किसी देश में सामाजिक और आर्थिक कारकों और उसके निवासियों की औसत राय के बीच
सहसंबंधों की भी पहचान की और पाया कि नाइजीरिया या पाकिस्तान जैसे कमजोर संस्थानों वाले
देशों में उत्तरदाताओं की तुलना में मजबूत सरकारी संस्थानों वाले देशों के लोग, जैसे कि फिनलैंड
और जापान में अक्सर उन लोगों को मारना पसंद करते हैं, जो अवैध रूप से सड़क पार कर रहे थे।
मशीनों के नैतिक निर्णयों से जुड़े सर्वेक्षण भविष्य में स्वचालित कारों की गई, और उन पर किये
जाने वाले विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं।
संदर्भ
https://go.nature.com/2VPKNIJ
https://bit.ly/3AwVZZr
चित्र संदर्भ 
1. भीतर से स्वचालित वाहन का एक चित्रण (flickr)
2. स्वचालित वाहन के लिए सुरंग समस्या को दर्शाता एक चित्रण (twitter)
3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) और AI मशीन लर्निंग (AI Machine Learning) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
 
                                         
                                         
                                         
                                        