जलीयजीवों का उद्भव व उनका विकास पृथ्वी पर जीवन की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। ब्रान्कियोस्टोमा (ग्रीक शब्द- ब्रान्कियो मतलब गलफड़ा; स्टोमा- मुह) या फिर चाकू की तरह नुकीली (इसके चाकू कि तरह नुकेले आकार की वजह से) मछली विश्व के प्राचीनतम विकसित जीवों में से एक है। ब्रान्कियोस्टोमा का प्रथम उद्गम 530 मिलियन वर्ष पहले हुआ था। यह भारत मे कई स्थानों पर आज भी पायी जाती है जैसे मरीना समुद्र तट। यदि हम जलीय जीवों के प्राचीनतम साक्ष्यों को देखें तो शुरूआती पुराजीवी काल से ही इनके साक्ष्य मिलना शुरू हो जाते हैं, जिनमे प्रोटोज़ोआ, मूँगा, ब्रायोज़ोआ आदि थे परन्तु डेवोनियन काल के आगमन से जलीय जीवों के जगत मे एक तीव्र क्रांति का आगमन हुआ। यह काल मछलियों के विकास के काल के रूप मे जाना जाता है।
समय के साथ-साथ मछलियों के प्रकारों मे कई बदलाव आये, प्रोटोज़ोआ या ब्रान्कियोस्टोमा से लेकर आज के शार्क, डेथ-रे, स्टिंग-रे, हिलसा, रोहू, सुरमई आदि अनेक प्रकार की मछलियों का विकास हुआ। प्रागैतिहासिक काल की माग्द्लिनियन शार्क जो कि अब विलुप्त हो चुकी है सही मायनों मे सबसे विशाल समुद्री मछली थी। व्हेल को मछली की सँज्ञा नही दी जा सकती क्युँकी ये स्तनपायी समाज मे आते हैं।
दक्षिण एशिया रोहू मछलियों के लिये जाना जाता है तथा यहाँ के प्रमुख भोजन में रोहू का महत्वपूर्ण स्थान है। रामपुर की कोसी नदी में रोहू मछली बड़े पैमाने पर पायी जाती है तथा यहाँ पर खाने में इस मछली का प्रयोग किया जाता है। रोहू मछली की खेती वर्तमान काल में रामपुर में बड़े पैमाने पर की जाती है। मछली के खेती में लागत कम और मुनाफा बड़े पैमाने पर होता है। रोहू मछली की संज्ञा हीरे से की जाती है। रोहू को रोहू, रूई, अथवा रोहो आदि नामों से जाना जाता है। यह मीठे पानी में रहने वाली मछली है। रोहू मछली का वैज्ञानिक नाम लेबीओ रोहिता है। यह अपने प्रौढावस्था में 2 मीटर तक की हो सकती है।
1. इवोल्यूशन ऑफ़ लाईफ: एम. एस. रन्धावा, जगजीत सिंह, ए.के. डे, विश्नू मित्तर।
2. इंडिका: प्रणय लाल