वनस्पतियों की अनेक रूपरेखायें होती हैं जिनमे लतारूपी वनस्पतियाँ भी मौजूद हैं। लतारूपी वनस्पतियों में लौकी, कद्दू, मटर, मनी प्लान्ट, तरबूज आदि आती हैं। भारत में मटर का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है। न सिर्फ सब्जी के रूप में अपितु दलहन के रूप मे भी इसका प्रयोग किया जाता है। मटर एक द्विबीजपत्री पौधा है तथा इसका पुष्प तितली कि तरह होता है। यह पाइसम सैटिवम जाति का पौधा होता है तथा इसका कुल लेग्यूमिनेसी है। इसकी खेती पूरे भारत में व्यापारिक स्तर पर की जाती है। सब्जी के रूप मे देखा जाये तो लौकी और कद्दू (कुम्हड़ा) एक द्विबीजपत्री लतारूपी पौधे होते हैं, इनकी लताओं का फैलाव एक बड़े क्षेत्र मे होता है तथा इनका तना कमजोर होता है। यदि कद्दू की बात की जाये तो कद्दू के पुष्प पीले रंग के होते हैं जिनपर पराग के कणों को भी देखा जा सकता है। इसके नर और मादा पुष्प अलग-अलग होते हैं। रामपुर में कद्दू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहाँ की प्रमुख सब्जियों में कद्दू का एक अहम स्थान है। रामपुर में कद्दुओं को पकने के बाद संरक्षित कर के घरों में रख दिया जाता है ताकि कद्दू के मौसम के खत्म हो जाने के बाद उन्हे बाजार में भेजा जा सके। कुम्हड़ा या कद्दू पूरे विश्व में उगाया जाता है परन्तु भारत, चीन, अमेरिका व मेक्सिको में इनका उत्पाद सबसे ज्यादा होता है। तरबूज सिट्रल लैनेटिस जाति की फलीय वनस्पति है। यह मुख्यरूप से नदियों व मरु इलाकों मे उगाया जाता है। भारत में इनकी खेती बड़े पैमाने पर होती है। यह फल औषधी के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। राजस्थान व गंगा का मैदान इसकी खेती के लिये अत्यन्त उपयुक्त स्थान है।
1. फ्लावरिंग ट्रीज एण्ड श्रब्स ऑफ इंडिया- डी. वी. कोवेन।
2. रिमार्केबल प्लान्टस दैट शेप आवर वर्ल्ड - थेम्स हडसन।
3. वेजिटेबल्स - बी चौधरी।