हम तक़दीर अर्थात भाग्य के निर्माता ख़ुद हैं, अथवा वह लिखी जा चुकी है?

रामपुर

 17-07-2021 10:08 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

तक़दीर शब्द हमेशा से विवादास्पद विषय रहा है। हमारा सामना अपने दैनिक जीवन में, आस्तिक अर्थात (ईश्वर को मानने वाले) तथा नास्तिक, वे लोग जो ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते, ऐसे लोगों से होता रहता है। ईश्वर के होने अथवा न होने के संदर्भ में, सबके अपने तार्कित मत होते हैं। ठीक इसी प्रकार तक़दीर शब्द भी वास्तविकता और कल्पना मात्र के बीच झूलता रहता है।
तक़दीर शब्द को मुख्यतः अरबी एवं उर्दू और फ़ारसी: تقدیر जैसे इस्लामी समुदाय में प्रयोग किया जाता है, इसका मूल शब्द "क़द्र" अर्थात "भाग्य" होता है। इस्लाम में छ्ः विश्वास सूत्रों का अनुसरण किया जाता है, क़द्र जिनमे से एक है। "वल क़द्रि क़ैरिही" मतलब अल्लाह प्रदान किये गये भाग्य पर भी विश्वास रखना, इसी को तक़दीर भी कहा जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि स्थूल रूप से "अल्लाह से प्रसादित भाग्य पर विश्वास रखना" ही तक़दीर होती है। यहाँ तक की इस्लाम में इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए तकदीर को, "मर कर उठने पर भी विश्वास करना" भी कहा गया। आमतौर पर मुसलमान मानते हैं, कि जो कुछ हुआ है, और जो कुछ भविष्य में होगा, वह केवल और केवल अल्लाह की देन है। इस अवधारणा का उल्लेख कुरान में अल्लाह के हुक्मनामे में ( "decree" ) भी किया गया है।
मुस्लिम समुदाय के भीतर "क़द्र" अर्थात भाग्य के सम्बंध में चरम सीमाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले केवल दो मत हैं, पहले समूह जबरिया (Jabariya) का मत है कि, सब कुछ अल्लाह द्वारा पहले ही निर्धारित कर दिया गया है और मनुष्य के अपने द्वारा किए गए कार्यों पर कोई नियंत्रण नहीं है। वहीँ दूसरे समूह कादरियाह (Qadiriyah) का मानना है कि, मनुष्य का पूरी तरह अपने भाग्य पर नियंत्रण है, यहाँ तक कि ईश्वर भी मनुष्य कि मर्जी और पसंद को नहीं जानते। वही एक और सुन्नी (Sunni) समूह में अन्य दो समूहों के विचारों के प्रति मिला जुला दृष्टिकोण नज़र आता है, जहाँ वे मानते हैं कि ईश्वर या अल्लाह को सभी घटनाओं और मानवीय इच्छाओं का ज्ञान है, परंतु अपनी पसंद के अनुसार मनुष्य को पूर्ण स्वतंत्रता है। क़द्र अथवा तक़दीर के सुन्नी दृष्टिकोण के ऐतिहासिक समर्थकों में इब्न उमर शामिल थे। वही दूसरी ओर मबाद अल-जुहानी (Ma' bad al-Juhani) सुन्नी दृष्टिकोण की आलोचना करने वालों में थे, साथ ही वे ऐसे पहले व्यक्ति भी थे, जिन्होंने पहली बार बसरा (Basra) में क़द्र की चर्चा की।
यह ईश्वरीय विधान सदियों से धर्मशास्त्रियों और दार्शनिकों को परेशान करता रहा है। हम दो स्पष्ट रूप से विरोधाभासी तथ्यों को कैसे समेट सकते हैं, पहला यह कि अल्लाह के पास सारी सृष्टि पर पूर्ण शक्ति और संप्रभुता है। और साथ ही दूसरी ओर हम यह भी मानते हैं कि, हम अपने कार्यों के लिए स्वयं ज़िम्मेदार हैं। क्या हम वह करने के लिए मजबूर हैं जो हम करते हैं, या हमारे विकल्प सार्थक हैं? मुस्लिम संप्रदाय में न केवल प्रारंभिक इस्लामी इतिहास में यह प्रश्न एक तीखा विवाद था, बल्कि यह पूरे इतिहास में धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दोनों कारणों से एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है। अगर अल्लाह का कोई वश नहीं है, तो अल्लाह को नमाज़ में क्यों पुकारें? और यदि हमारे कर्मों और भाग्य पर हमारा नियंत्रण नहीं है, तो कोई भी अच्छे कर्म क्यों करते हैं?
हालाँकि कुरान और सुन्नत दो ऐतिहासिक चरम सीमाओं के बीच एक बीच का रास्ता अपनाते हैं, जो अल्लाह की संप्रभुता और मानव जाति की जिम्मेदारी दोनों को क़ायम रखते हैं। विशुद्ध रूप से तर्कसंगत दृष्टिकोण से यह प्रतीत होता है कि, वे दोनों सच नहीं हो सकते। परंतु वे कहते हैं कि हमें यह याद रखना होगा कि अल्लाह समय और स्थान के बाहर, ब्रह्मांडीय पर्दे से परे अदृश्य में हर जगह मौजूद है। इसके विपरीत, हम मनुष्य केवल समय और स्थान के ढांचे के भीतर वास्तविकताओं की कल्पना कर सकते हैं।
अक्सर यह दिखाने के लिए कि पूर्वनिर्धारित होने और स्वतंत्र इच्छा के बीच कोई विरोधाभास नहीं है, शिया कहते हैं कि, मानव नियति से सम्बंधित मामले दो प्रकार के होते हैं: निश्चित और अनिश्चित। निश्चित की व्याख्या करने के लिए, शियाओं का तर्क है कि ईश्वर के पास पूरे अस्तित्व पर निश्चित शक्ति है। और अनिश्चित नियति को संदर्भित करते हुए वह कहते हैं कि, जब भी वह चाहे, वह किसी दिए गए भाग्य को दूसरे के साथ बदल सकता है। वास्तव में, भगवान तब तक लोगों की स्थिति नहीं बदलेगा जब तक वे स्वयं अपनी स्थिति नहीं बदलते।

संदर्भ
https://bit.ly/36CdtqF
https://bit.ly/3hIthOP
https://en.wikipedia.org/wiki/Taqdir

चित्र संदर्भ
1. बच्चे को गोद में उठाये महिला का एक चित्रण (flickr)
2. पवित्र कुरान की दुर्लभ प्रति का एक चित्रण (flickr)
3. कक्षा में मुस्कुराते बच्चे का एक चित्रण (flickr)



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id