रामपुर हाउंड भारतीय कुत्तों की सबसे पुरानी नस्लों में से एक है। इस नस्ल का निर्माण रामपुर के नवाब अहमद अली खान बहादुर ने किया था। रामपुर हाउंड नस्ल का जन्म बहुत ही शक्तिशाली एवं क्रूर ताज़ी (अफ़ग़ान हाउंड) नस्ल और आज्ञाकारी इंग्लिश ग्रेहाउंड नस्ल के पार प्रजनन द्वारा किया गया था। रामपुर हाउंड ने अपना रूप व वफादारी ताज़ी नस्ल से पाया और अपनी गति इंग्लिश ग्रेहाउंड से पायी। यह महाराजाओं के समय सियार नियंत्रण के लिए उनका सहायक कुत्ता हुआ करता था परंतु इसका इस्तेमाल कभी कभी शेर, बाघ और तेंदुओं के शिकार के लिये भी किया जाता था।
पश्चिम में रामपुर हाउंड पहली बार तब देखा गया था जब वेल्स के राजकुमार 1876 में अपने भारत के दौरे से वापस लौटे थे। रामपुर हाउंड को पश्चिम में ‘ग्रेहाउंड ऑफ़ द ईस्ट’ के नाम से जाना गया।
रामपुर हाउंड का रंग चूहे जैसा धूसर, भूरा, चितकबरा और कदाचित काला पाया जाता है। अगर शारीरिक रचना की बात की जाए तो इसका कद करीब 70 से.मी. और वज़न 35 किलोग्राम के आस पास होता है। यह एक पतला लेकिन विशाल कुत्ता है जिसका शरीर लम्बा, छाती गहरी, बाल चिकने, हल्की धनुषाकार पीठ और पतली लम्बी पूंछ होती है जो ज़्यादातर झुकी रहती है। जब यह किसी का पीछा या शिकार कर रहा होता है तो इसकी पूंछ सीधी हो जाति है। इसका जबड़ा करीब 9 इंच लम्बा होता है जो कैंची जैसा तीखा घाव देने की क्षमता रखता है। रामपुर हाउंड का सर चौड़ा होता है और इसकी खोपड़ी काफी मज़बूत होती है। इसकी पतली लम्बी टांगें और सुव्यवस्थित शरीर इसे तेज़ गति से भागने में मदद करते हैं। रामपुर हाउंड धीमी आवाज़ में भौंकता है। इसकी आँखें भूरी होती हैं तथा इसका लम्बा थूथन इसे 270 अंश के कोण पर देखने के योग्य बनता है।
भारत में शिकार में गिरावट होने के साथ साथ रामपुर हाउंड की लोकप्रियता भी कम होती गयी। इस वजह से अब रामपुर हाउंड अमीर जनता के लिए न तो सजीला, न एक व्यावहारिक कुत्ता रहा और वहीं दूसरी ओर गरीब जनता इसका रख रखाव करने के समर्थ नहीं थी। परन्तु हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता एक बार फिर बढ़ती हुई दिख रही है और इसी के साथ इसकी आबादी भी। फिर भी आज रामपुर हाउंड जैसी अद्भुत नस्ल विलुप्त होने की कगार पर है।
1.- द बुक ऑफ़ इंडियन डॉग्स- एस. थिओडोर बासकरन
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