ये तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि वनस्पति और मानव जीवन का एक अटूट नाता है क्यूंकि वनस्पति से ही हम मानवों को ऊर्जा प्रदान करने वाला भोजन प्राप्त होता है। परन्तु अगर हम ये कहें कि पेड़ पौधे हमारे भोजन के अलावा हमारा मनोरंजन भी बन सकते हैं तो यह बात पहली बार तो सुनने में सही नहीं लगती है परन्तु कुछ हद तक यह सही भी है। छुई मुई या लज्जावती एक ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियां, मानव स्पर्श पाने पर सिकुड़ कर बंद हो जाती हैं, व कुछ देर बाद अपने आप ही खुल जाती हैं। छुई मुई का मूल स्थान दक्षिण अमेरिका व् मध्य अमेरिका है। परन्तु अब यह पौधा भारत में भी कई स्थानों पर आसानी से पाया जाता है। रामपुर में भी छुई मुई की संख्या अत्यधिक है तथा इसे ज़्यादातर बगीचों में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मिमोसा पुडिका होता है। इस नाम की जड़ें लैटिन हैं तथा लैटिन में पुडिका का अर्थ होता है, शर्मीला। छुई मुई का स्वभाव उसके नाम से ही सिद्ध हो जाता है। अंग्रेज़ी में छुई मुई को टच मी नॉट के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ हुआ मुझे मत छुओ। परंतु इसके ऐसे स्वभाव का कारण क्या है? वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि छुई मुई की पत्तियों को छूने पर उनमें पोटैशियम आयन की कमी हो जाती है। जिस वजह से बाहरी संपर्क में आये पत्तियों के हिस्से ओसमोसिस प्रक्रिया द्वारा अपने अन्दर का पानी वातावरण में छोड़ देते हैं तथा खुद सिकुड़ जाते हैं। इस स्वभाव का एक कारण यह भी कहा जाता है कि यह एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया है जिसके द्वारा पौधा कीटों से स्वयं की रक्षा करता है। इस प्रतिक्रिया में पौधा अपनी काफी ऊर्जा खो बैठता है तथा उसके प्रकाश संश्लेषण पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। इन पौधों में परागन की क्रिया कीटों या हवा के सहारे से संभव होती है। छुई मुई के पत्ते पिच्छाकार या सुफ़ने प्रकार के होते हैं अर्थात ऐसी संयुक्त पत्ती जिसमें डंडी के दोनों ओर भी पत्तियाँ निकली हो। इसके फूल गुलाबी से लेकर बैगनी रंग के होते हैं। दिए गए चित्रों में छुई मुई के पत्तों की सिकुड़ने की क्रिया तथा इसके फूलों को देखा जा सकता है। 1. https://goo.gl/br3gei 2. https://goo.gl/UCMh1y
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.