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रामपुर अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के परिपेक्ष्य में विश्व विख्यात है। यहां की समृद्ध
विरासतों और विविध संस्कृति का मिश्रण देखने के लिए दुनिया भर से सैलानी और इतिहासकार यहाँ
प्रतिवर्ष आते हैं। रामपुर स्थित रज़ा लाइब्रेरी में ऐतिहासिक परंपराओं और मूल्यों को सीखने के उद्येश्य से
विश्व भर के विद्वान कई बार यहां के चक्कर लगा लेते हैं। इसके अलावा विभिन्न धार्मिक केंद्रों के लिए
प्रसिद्ध, अपना रामपुर शहर व्यावसायिक केंद्रों का शिखर भी है। रामपुर शाही विचारधाराओं को प्रदर्शित
करता है, दुर्भाग्य वश आज प्राचीन शाही विरासत के अधिकांश उत्कृष्ट नमूने लगभग विलुप्त होने को हैं,
परंतु फिर भी शेष बची दुर्लभ धरोहरे, जैसे- नायाब गुंबद, सुंदर मेहराबों और विशाल दरवाजे के भव्य महल
आज भी गर्व से खड़े हैं, और देश विदेश के पर्यटकों का अभिवादन कर रहे हैं।
रामपुर का रंग महल यहाँ आने वाले आगंतुको को खासा आकर्षित करता है। यह पूरे शहर में उत्कृष्ट
वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। यह महल रामपुर के फोर्ट-किले (Fort-Palace) का एक हिस्सा है, इसका
जीर्णोद्धार 1896–1930 के मध्य में रामपुर के नवाब, हामिद अली खान (नवाब मुश्ताक अली खान की
मृत्यु के बाद नवाब हामिद अली को जौनपुर का शासक बनाया गया) के निर्देशन में डब्ल्यूसी राइट (W.C.
Wright) द्वारा किया गया। तत्कालीन रामपुर के नवाब ने उन्हें अपने मुख्य अभियंता नियुक्त किया था,
उनके द्वारा महल का निर्माण इंडो- सारसेनिक (Indo-Saracenic) वास्तुकला के अनुरूप बनाया।
इंडो- सारसेनिक वास्तुकला को इंडो-गॉथिक, मुगल-गॉथिक, नियो-मुगल (Neo Mughal), हिंदु शैली से भी
संदर्भित किया जाता है। 19वीं शताब्दी के बाद भारत में ब्रिटिश वास्तुकारों द्वारा, इस शैली में भवनों, किलों
और विभिन्न इमारतों का निर्माण बेहद प्रचलित और लोकप्रिय था। यह निर्माण शैली विशेष तौर पर
ब्रिटिश राज में सार्वजनिक तथा सरकारी भवनों में ,और रियासतों के शासकों के महल बनाने में प्रयोग की
जाती थी। भवन निर्माण की यह कला ब्रिटिश क्लासिक भारतीय शैली के नाम से विख्यात थी, जिसने
भारतीय-इस्लामी वास्तुकला, विशेष रूप से मुगल वास्तुकला से स्टाइलिस्टिक और सजावटी तत्वों को
प्रोत्साहित किया। आज भी अक्सर यह वास्तुकला, हिंदू मंदिर, भवनों की बुनियादी लेआउट और संरचना में
विशिष्ट शैलियों और सजावट के साथ उपयोग की जाती है। साथ ही यह अन्य शैलियों, जैसे गोथिक
पुनरुद्धार और नव-शास्त्रीय समकालीन के साथ भी खूबसूरती से समिश्रित हो जाती है। यह एक अन्य
नाम इंडो-गोथिक के रूप में भी जानी जाती है, जो की प्रायः एक पुनरुद्धार स्थापत्य शैली थी। अधिकांशतः
इसका प्रयोग भारत में ब्रिटिश वास्तुकलाकार, 19वीं शताब्दी के बाद से करते थे। पहली बार इस शैली की
इमारत (चेपॉक पैलेस) को वर्तमान में चेन्नई (मद्रास) में 1768 में पूरा किया गया था। भारतीय और बिर्टिश
वास्तुकला के इस नायाब मिश्रण ने शीघ्र ही भारत के विभिन्न राज्यों समेत विदेशों में भी अपार
लोकप्रियता हासिल की। राइट (W.C. Wright) ने भी इंडो- सारसेनिक शैली में पूरे किले-महल परिसर को
फिर से तैयार किया, जिसमें रंग महल पैलेस भी शामिल था। इस महल को प्राचीन समय में यहाँ आने वाले
आगतुकों के मेहमान घर (Guest House) के लिए प्रयोग में लिया जाता था। साथ ही अद्भुद वास्तुकला
के धनी इस स्थान में भव्य तौर पर संगीत और काव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे।
वर्तमान में इस ऐतहासिक स्थली को भव्य विवाह और अन्य समारोहों की शोभा बढाने के लिए उपयोग में
लिया जाता है। रंगमहल के भीतर का द्रश्य भी मनमोहक है, यहां सजावट के लिए प्रयोग की गई प्रत्येक
वस्तु अपने आप में दार्शनिक है।
उपरोक्त तस्वीर को किसी अज्ञात फोटोग्राफर के द्वारा नवंबर 1911 में खींचा गया, यह तस्वीर रंग महल
के भीतर की है, जो वहां के एक कार्यालय कक्ष को दर्शाती है। महल से जुडी हुई कुछ ऐसी ही अन्य तस्वीरें
फेस्टिवल ऑफ़ एम्पायर (Festival of Empire) द्वारा एल्बम ऑफ व्यूज ऑफ रामपुर प्रसेंटेड टू द इंडिया
ऑफिस (Album of Views of Rampur Presented to the India Office) के द्वारा प्रकशित की गई
हैं। रामपुर के नवाब हामिद अली खान के द्वारा यहाँ विभिन्न अवसरों पर शानदार कार्यक्रम का आयोजन
किया जाता था, संगीत और कविताओं की गूँज पूरे महल को जागृत कर देती थी। रंग महल में इंडो
सारसेनिक वास्तुकला का प्रतिरूप स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, साथ ही इस महल के निर्माण में हर वस्तु
हर स्तम्भ आदि बेहद बारीकी से स्थापित किये गए हैं, और इसे यहाँ आने वाले मेहमानों की सुविधा के
अनुरूप बेहद आरामदायक भी बनाया गया है। आमतौर पर महल के अधिकांश आयोजनों को डब्ल्यू.सी.
राइट द्वारा संचालित किया जाता था, शाही दौर से ही यहाँ पर रोशनी का भी पर्याप्त प्रबंध किया जाता रहा
है।
संदर्भ
https://bit.ly/35pcyZV
https://bit.ly/2WVPr4a
https://bit.ly/3gwhz8c
https://bit.ly/2UbALAE
https://bit.ly/2JZ1ecC
https://bit.ly/3gCehQL
चित्र संदर्भ
1. रंगमहल का एक चित्रण (bl.uk)
2. मद्रास उच्च न्यायालय की इमारतें इंडो-सरसेनिक वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण हैं, जिसे ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन, १८९२ के मार्गदर्शन में जे.डब्ल्यू. ब्रैसिंगटन द्वारा डिजाइन किया गया था जिसका एक चित्रण (wikimedia)
3. रंगमहल के भीतरी परिदृश्य का एक चित्रण (bl.uk)