द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका और भारत पर इस युद्ध के प्रभाव

रामपुर

 12-06-2021 09:31 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

विश्व इतिहास में कई बार अनेक कारणों से महायुद्ध लड़े गए। युद्ध करने के पक्ष में भले ही कोई भी तर्क दिया जाय, परंतु हर युद्ध के बेहद दुखद परिणाम, सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी कई पीढ़ियों तक भुगतने पड़ते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के परिणाम हमारे सामने इसके जीवंत उदाहरण है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग 2.5 मिलियन एशियाई मूल के सैनिकों ने भाग लिया। इस समय भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था, जिस कारण आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाज़ी (जर्मनी) के विरुद्ध 1939 में युद्ध की घोषणा कर दी। ब्रिटिश राज में लगभग 20 लाख से अधिक सैनिकों को युद्ध लड़ने के लिए भेजा गया। साथ ही भारत की अनेक रियासतों ने युद्ध के लिए बड़ी मात्रा में अंग्रेजों को धनराशि प्रदान की। भारतीय सैनिक जल, जमीन और आसमान से ब्रिटिशों का साथ दे रहे थे। उस समय भारतीय सेना ने 31 विक्टोरिया क्रॉस (Victoria Cross) सहित कई पुरस्कार जीते। युद्ध काल के दौरान भारतीय सेनिकों ने वीरता के अनेक उदाहरण पेश किये।
एक भारतीय महिला सैनिक नूर इनायत खान को ब्रिटिश सेना में वायरलेस ऑपरेटर के तौर पर भर्ती किया गया था, अतः उन्हें ब्रिटिश गुप्तचर के तौर पर नाज़ी सेना की युद्धक मशीनों को विध्वंश करने के लिए भेजा गया। दुर्भाग्य से गेस्टापो (Gestapo) (जर्मनी सेना) द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, परंतु अनेक यातनाये देने के पश्चात् भी जर्मनी की ख़ुफिया पुलिस गेस्टापो उनसे कोई राज़ नहीं उगलवाया जा सकी। अंततः 1944 में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी। आज भी उनके बलिदान और साहस की गाथा युनाइटेड किंगडम और फ्रांस में प्रचलित है । साथ ही 1949 में उन्हें क्रोक्स डी गुएरे और जॉर्ज क्रॉस से सम्मानित भी किया गया।
इसी युद्ध के दौरान एक अन्य भारतीय सैनिक मोहिंदर सिंह पुजजी 1940 में एक लड़ाकू पायलट के रूप में आरएएफ (RAF) में शामिल हुए। उन्होंने युद्ध काल में यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और बर्मा में अपने कठिन मिशन के लिए विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस भी जीता। दुसरे विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना का योगदान बेहद अहम् था, परंतु जानकार यह मानते हैं कि भारतीय इतिहासकरों ने इन सैनिकों के योगदान को नज़रंदाज़ कर दिया। ऐसी बेहद कम पुस्तकें हैं, जिनमे इनकी गाथाये वर्णित हैं। और इन्ही दुर्लभ पुस्तकों में एक ऐसा इतिहास भी लिखा गया है, जो कभी सुना ही नहीं गया। कुछ किताबों से हमें पता चलता हैं, कि इस युद्ध में कई बार अंग्रेज़ केवल अल्पसंख्यक तौर पर अर्थात बेहद कम अंग्रेजी सैनिकों के साथ लड़े। उदाहरण के तौर पर कोहिमा में अधिकांश भारतीय सेना के सैनिक थे, जिन्होंने अधिकांश लड़ाई लड़ी, और बलिदान दिया। इन सेनिकों में अनेक पंजाब और सीमांत के भूरी चमड़ी वाले भारतीय ग्रामीण थे, जिनके शरीर लंदन और बर्लिन, टोक्यो और मॉस्को, रोम और वाशिंगटन में बलिदान कर दिए गए। वह अपनी अंतिम सांसो तक विश्व युद्ध में अंग्रेजो के लिए लड़े और मारे गए।
इस युद्ध का भारत पर भी गहरा प्रभाव पड़ा।
युद्ध से लौटे पंजाबी सेनिकों ने ब्रिटिश शाशन के खिलाफ बगावत कर दी, और इसे एक बड़े आन्दोलन का रूप दे दिया।

● इस युद्ध के दौरान महिलाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही, जिस कारण समाज में महिलाओं के प्रति नजरिया भी बदला।
● युद्ध में शामिल होने वाले सैनिकों ने अभियानों हेतु, पढना-लिखना भी सीखा, जिससे साक्षरता दर में भी वृद्धि देखी गयी।
● ब्रिटेन में युद्ध के कारण उद्पादन क्षमता भी प्रभावित हुई थी, अतः भारतीय उद्पादों
की मांग बढ़ने से निर्यात में भी वृद्धि देखी गई।
● कृषि उद्पादों कि मांग भी बड़ी, जीस कारण भारतीय किसानो को भी लाभ हुआ।
● खाद्य आपूर्ति, विशेष रूप से अनाज की मांग में वृद्धि से, खाद्य मुद्रास्फीति में भी भारी वृद्धि हुई।
● यद्ध में भाग लेने के लिए भारत से गैर लड़ाकों को भी भर्ती किया गया, जिन्होंने घायल सेनिकों के लिए नर्सों और डॉक्टरों की भूमिका निभाई।
● ब्रिटेन में ब्रिटिश निवेश को पुनः शुरू किया गया, जिससे भारतीय पूंजी के लिये अवसर सृजित हुए।
विश्व युद्ध के दौरान रामपुर के नवाब रज़ा अली खान बहादुर कि भूमिका भी अहम् मानी जाती है, क्यों कि देशभक्त नवाब ने अपने सैनिकों को विश्व युद्ध में भाग लेने के लिये भेजा, जहां इनके सैनिकों ने बड़ी बहादुरी के साथ अपना शक्ति प्रदर्शन किया। अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, नवाब रज़ा अली खान बहादुर ने भारत के डोमिनियन (Dominion) के लिए सहमति प्रदान की, और वर्ष 1949 में रामपुर को आधिकारिक तौर पर भारत में विलय कर दिया गया। 1930 से लेकर 1966 तक अपने शाशन काल में इन्होने रियासत में उन्होंने सिंचाई प्रणाली का विस्तार, विद्युतीकरण आदि परियोजनाओं को पूरा करने के साथ-साथ स्कूलों, सड़कों और निकासी प्रणाली का निर्माण भी किया।

संदर्भ
https://bit.ly/3374d9v
https://bit.ly/359ZsPX
https://bit.ly/2TU0vRZ
https://bit.ly/3x2CxlE

चित्र संदर्भ
1. सुभाष चंद्र बोस ने सेना के गठन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारत के ब्रिटिश कब्जे से मुक्ति बल के रूप में काम करना था। मार्च 1944 में फ्रांस में अटलांटिक दीवार की रक्षा करते हुए इंडिश सेना के सैनिकों का एक चित्रण (wikimedia)
2. लंदन में नूर की तांबे की प्रतिमा, जिसका अनावरण दिनांक 8 नवम्बर 2012 को हुआ का एक चित्रण (wikimedia )
3. स्क्वाड्रन लीडर मजूमदार, डीएफसी (बार के साथ), भारतीय वायु सेना और आरएएफ, द्वितीय विश्व युद्ध का एक चित्रण (flickr)


RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id