माना जाता है कि यूरोपा की उपसतह तरल पानी है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यूरोपा
का छिपा हुआ महासागर नमकीन, ज्वारीय है, और यह इसकी बर्फीली सतह को हिलाने का कारण
बनता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी दरारें उत्पन्न होती हैं। हालांकि यूरोपा के बारे में यह भी कहा
जाता है कि जीवन को सहारा देने के लिए आवश्यक सामग्री - पानी, ऊर्जा, कार्बनिक यौगिक - यह
हमारे सौर मंडल के रहने योग्य क्षेत्र जैसी नहीं हैं।
नासा का कैसिनी मिशन (Cassini Mission) का अंतरिक्ष यान शनि ग्रह में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, यह
मिशन हमें हमारे पड़ोसी गैसीय ग्रहों और और उसके चंद्रमाओं के करीब ले गया। अपनी जांच में
इसने एक आश्चर्यजनक खोज की: एन्सेलेडस (Enceladus)। इस छोटे से चंद्रमा की सतह में गैस के
ढेर हैं, इसमें एक चट्टानी कोर (core)भी मौजूदहै, जो बर्फ की मोटी परत से ढकी हुई है, और बीच में
एक गहरा, नमकीन सागर है। यह अलौकिक जीवन की तलाश के लिए सबसे आशाजनक स्थानों में से
एक है। एन्सेलेडस सौर मंडल के उन कुछ स्थानों में से एक है, जहां तरल पानी मौजूद है।
नासा एस्ट्रोबायोलॉजी प्रोग्राम (NASA Astrobiology Program) ने नेटवर्क फॉर लाइफ डिटेक्शन (Network
for Life Detection), एन-एफओएलडी (N-FoLD) की स्थापना की घोषणा की, जो शोधकर्ताओं को हमारे
पड़ोसी ग्रहों और उनके चंद्रमाओं, पर जीवन और उसके सुराग का पता लगाने के लिए जोड़ता है। एन-
एफओएलडी में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Georgia Institute of Technology) के नेतृत्व में
एक समुद्री अनुसंधान गठबंधन शामिल किया।इस गठबंधन को ओशन्स एक्रॉस स्पेस एंड टाइम
(ओएएसटी) (Oceans Across Space and Time (OAST)) कहा जाता है और इसे मंगल ग्रह, बृहस्पति के
बर्फीले चंद्रमा यूरोपाऔर शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस (Enceladus) पर वर्तमान और पिछले महासागरों के
रहस्यों को उजागरकरने के लिए 7 मिलियन डॉलर का नासा एस्ट्रोबायोलॉजी (NASA Astrobiology )
अनुदान प्राप्त हुआ। ओएएसटी उन परिस्थितियों के अध्ययन में भी तेजी लाएगा, जिन्होंने पृथ्वी के
महासागरों में जीवन को जन्म दिया।
ओएएसटी भविष्य में नासा को यूरोपा के लिए एक रॉकेट (rocket) की सहायता से पनडुब्बी भेजने में
सहायता करेगा, जिससे उसकी बर्फ की परत के नीचे समुद्र में जीवन की तलाश की जा सके। या
ओएएसटी, एन-एफओएलडी सहयोगियों के साथ शामिल हो सकता है ताकि नासा को सूखे मंगल ग्रह
के परिदृश्य, जो कभी महासागर थे, का पता लगाने में मदद मिल सके।ओएएसटीकी टीम खगोलीय
लक्ष्यों के साथ सांसारिक डेटा को जोड़ने की विशेषज्ञता रखती है।इसके18 सह-अन्वेषकों और उनकी
टीमों में से कई ने पहले ही हमारे अपने ग्रह के युगों-पुराने रॉक रिकॉर्ड (eons-old rock record),
वायुमंडल, महासागरों और आइसकैप्स (icecaps) में जैव-भू-रसायन की खोज की है, ताकि इन आकड़ों
को दूसरी दुनिया में ले जाया जा सके। अन्य ओएएसटी शोधकर्ताओं ने मंगल की जांच को डिजाइन
(design) करने में मदद की है।बोमन (Bowman ) (स्क्रिप्स (Scripps) जैविक समुद्र विज्ञानी) ने कहा,
"ओएएसटी शोधकर्ताओं के पास अंटार्कटिक, गहरे समुद्र की खाइयों और अत्यधिक रसायन और
लवणता वाली झीलों जैसे विभिन्न कठोर वातावरणों में जीवन का पता लगाने और उन्हें चिह्नित
करने की विशेषज्ञता है।" "हम इस विशेषज्ञता का लाभ यह समझने के लिए उठाएंगे कि सौर मंडल
के आसपास विभिन्न महासागर पर्यावरणीयचरम सीमाओं में जीवन कैसे वितरित किया जा सकता
है।"
अंतरिक्ष यान सौर मंडल की खोज का एकमात्र तरीका नहीं हैं, और स्टीफन डायमंड और कील
विश्वविद्यालय (यूके) (StephenDiamond and Keele University (UK)) पर आधारित प्रायोगिक खगोल
भौतिकीविदों की एक टीम का नेतृत्व करते हैं, जो हारवेल (Harwell) में एन्सेलेडस के नमकीन
महासागरीय स्थितियों को फिर से बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वे पानी के अधिक रहस्यमय गुणों में
से एक, पानी के दबाव में ठंडा होने पर क्लैथ्रेट (Clathrate) बनाने की क्षमता, की जांच करने के
लिएएक रहस्यमय उज्ज्वल प्रकाश का उपयोग कर रहे हैं। क्लैथ्रेट बर्फ जैसी संरचनाएं हैं जो छोटे
पिंजरों (tiny cages) की तरह व्यवहार करती हैं, और कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) और मीथेन
(methane) जैसे अणुओं को फंसा सकती हैं।एन्सेलेडस की स्थितियां क्लैथ्रेट्स के निर्माण के लिए सही
हो सकती हैं, और वे कैसे बनते हैं, इसके बारे में अधिक समझने से एनसेलडस के महासागर में क्या
हो रहा है, इसके बारे में सुराग मिल सकता है। यह अनुमान लगाने के लिए कि एन्सेलेडस पर क्लैथ्रेट
कहाँ हो सकते हैं, पृथ्वी पर प्रयोगों को यथासंभव वास्तविक परिस्थितियों को प्रतिबिंबित करना होगा।
कैसिनी जांच से पता चला कि एन्सेलेडस का महासागर मैग्नीशियम सल्फेट (magnesium sulfate)
(नमक) से भरा हुआ है।
माना जाता है कि गैसीय ग्रह बृहस्पति और शनि में सतहों की कमी है और तरल हाइड्रोजन का एक
उच्च स्तर है; हालांकि इन ग्रहों के भूविज्ञान को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। बर्फीले ग्रह
यूरेनस (Uranus) और नेपच्यून (Neptune) के घने वायुमंडल के नीचे गर्म, अत्यधिक संकुचित,
सुपरक्रिटिकल (supercritical) पानी होने की संभावना की परिकल्पना की गई है। हालांकि उनकी
संरचना अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आई है।
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