समय - सीमा 267
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1051
मानव और उनके आविष्कार 813
भूगोल 260
जीव-जंतु 315
भारत में टेलीमेडिसिन और टेलीहेल्थ के वर्तमान परिदृश्य का
मूल्यांकन करने का यह सही समय है, टेलीमेडिसिन भारत की संपूर्ण जनसंख्या के लिये बुनियादी
स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि कर सकता है। टेलीमेडिसिन का उदय, स्वास्थ्य सेवाओं को समुदायों के
करीब ले जाने की आवश्यकता और भविष्य में आने वाले संकटों से बचाव ले लिये स्वास्थ्य सेवाओं
के बुनियादी ढांचे को बदल रहा है। यह उतना ही प्रभावी है जितना एक टेलीफोन के ज़रिये चिकित्सा
संबंधी किसी समस्या पर रोगी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपस में बात करते हैं।
दूरचिकित्साया टेलीमेडिसिन (telemedicine) के उदय ने प्रोद्योगिकी के माध्यम से स्वास्थ्य
सुविधाओं को घर-घर पहुंचाने का एक सफल प्रयास किया है।यह संचार व सूचना प्रौद्योगिकी,
इंजीनियरिंग (Engineering), चिकित्सा विज्ञानऔर आयुर्विज्ञान का समन्वय है, टेलीमेडिसिन प्रणाली
के अन्तर्गत विशेष रूप से तैयार किए गए हार्डवेयर (hardware) और सॉफ्टवेयर (software), रोगी
तथा चिकित्सक को दोनों छोरों पर प्रदान किए जाते हैं, इनके जरिए रोग निवारण के उपकरण,
एक्स-रे (x-ray), ईसीजी (ECG), जाँच रिपोर्ट आदि रोगी तक पहुँचाए जाते हैं, यह जानकारी इनसैट
उपग्रह (INSAT Satellite) के माध्यम से प्राप्त की जाती है, सामान्यत: रोगी की बीमारी से
सम्बन्धित समस्त जानकारी चिकित्सक को भेजी जाती है, इसके बाद चिकित्सक जाँच-पड़ताल के
बाद रोगी से सीधे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग(video conferencing) के द्वारा बातचीत करके रोग का
निदान और उपचार करते हैं।ग्लोबलडाटा (GlobalData) की एक रिपोर्ट(Report) अनुसार,भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) (ISRO) द्वारा लगभग दो दशक पहले टेलीमेडिसिन को शुरू
किया गया था।
वर्तमान समय में फैली कोविड-19 महामारी ने भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था को नए सिरे से
सोचने के लिए विवश कर दिया है, जिसके चलते भारत में टेलीमेडिसिन को व्यापक रूप से अपनाया
जा रहा है।जैसे कि कोविड-19 ने अन्य बिमारियों से ग्रस्त पुराने रोगियों और दूरस्थ स्थानों के
रोगियों के लिए नियमित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बाधित कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप
भारत सरकार ने मार्च 2020 में टेलीमेडिसिन के अभ्यास को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए़। बाद
में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अप्रैल 2020 में ई-संजीवनी ओपीडी-एक रोगी-से-डॉक्टर टेली-परामर्श
(OPD—a patient-to-doctor tele-consultation service) सेवा शुरू की। इसने हाल ही में
लगभग एक मिलियन टेलीमेडिसिन परामर्श पूरा किया है। कोविड-19 की महामारी के कारण बदले
सामाजिक स्वरूप ने उदासीन पड़ी टेलीमेडिसिन को एक नयी गति प्रदान की।हाल के दिनों में कई
टेलीमेडिसिन ऐप (telemedicine app) जैसे डॉक्सऐप (DocsApp), प्रैक्टो (Practo) और
एमफाइन (mFine) सामने आए हैं, जो गैर-आपातकालीन और पुरानी चिकित्सा स्थितियों का प्रबंधन
करने के लिए लॉकडाउन (lockdown) अवधि के दौरान बहुत मददगार सिद्ध हुए हैं और मार्च
2020 से टेलीकंसल्टेशन (teleconsultations) में कई गुना वृद्धि देखी गई है। नैदानिक सेवाएं
और ई-फार्मेसी टेलीकंसल्टेशन (e-pharmacy teleconsultation) के पूरक हैं।हालांकि, टेलीमेडिसिन
के अपने कुछ नुकसान भी हैं जैसे रोगियों द्वारा लक्षणों का गलत संचार, चिकित्सकों द्वारा लक्षणों
की गलत व्याख्या, गलत निदान, गैर-चिकित्सा मुद्दे जैसे नेटवर्क (Network) संबंधी समस्या, ऐप
के उपयोग और तकनीकी रूप से अक्षम लोगों की समस्या और साइबर (cyber) खतरे आदि
शामिल हैं।
भारत द्वारा नई डिजिटल (digital) पहल टेलीमेडिसिन में प्राप्त गति का लाभ उठाकर देश के दूर्गम
इलाकों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच बढ़ा सकती है। “हालांकि टेलीमेडिसिन पारंपरिक चिकित्सा परामर्श
और आपातकालीन स्थितियों और चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए चिकित्सालय की जगह नहीं ले
सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से भारत जैसे विशाल और आबादी वाले देश में स्वास्थ्य देखभाल
प्रणाली पर दबाव को कम करेगा। इसलिए, सरकार को टेलीमेडिसिन के बारे में जागरूकता बढ़ाने और
रोगी की गोपनीयता और उनके स्वास्थ्य डेटा की मजबूत सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
इसके साथ ही सरकार को भावी अस्पतालों की रूप रेखा पर भी ध्यान केंद्रित करने की
आवश्यकता है।
इक्विटी (equity) या निष्पक्षता को कोविड के बाद की प्राथमिकता बनाना: कोविड-19 संक्रमण और
मौतों में भारी असमानताओं को बेहतर ढंग से संबोधित करने के लिए, जहां मरीज रहते हैं वहां
परिष्कृत प्राथमिक देखभाल और छोटी सुविधाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा
फेफड़े के रोगियों, हृदय संबंधी रोगियों, और मधुमेह से ग्रसित रोगियों के लिये भी निरंतर देखभाल की
सुविधाओं को संबोधित करने की आवश्यकता है।