समय - सीमा 266
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1048
मानव और उनके आविष्कार 813
भूगोल 260
जीव-जंतु 314
मशीनों को बनाने का मुख्य उद्देश्य इंसान और जानवरों
द्वारा किये जाने वाले काम को कम समय और अधिक कुशलता से करना है। साथ ही मशीनीकरण से कुछ ऐसे
जटिल काम काम करना भी संभव हो गया है, जिसे करना इंसानी हाथों और दिमाग के लिए बेहद मुश्किल होता था।
प्रत्येक मशीन का निर्माण कुछ निर्धारित कार्यों को पूरा करने के लिए होता है। उदहारण के तौर पर कुछ सालों तक
कृषि से जुड़े जो काम बैल, घोड़ो और इंसानो के द्वारा किये जाते थे, मशीनें आज उस काम को बेहद कम समय और
अधिक दक्षता से पूरा कर देती हैं। खेती-किसानी के इतिहास में जहां हल और कुदाल जैसे औजारों ने कृषि के काम को
सरल बना दिया, वही और अधिक विकसित तकनीकी उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, ट्रक, कंबाइन हार्वेस्टर, ड्रोन और
हेलीकॉप्टर (हवाई उपयोग के लिए) तथा सटीक कृषि उपज बढ़ाने के लिए उपग्रह इमेजरी और उपग्रह नेविगेशन
(जीपीएस मार्गदर्शन) ने खेती के काम सरल बनाने के साथ-साथ फसल के पूर्वानुमानों को बेहद सटीक कर दिया है।
कृषि के क्षेत्र में भारत में मशीनों का इस्तेमाल कई मायनो में उल्लेखनीय है। पिछले छह दशकों में जहा भारत को
अन्न की कमी के कारण भुखमरी से भी जूझना पड़ा, वही आज भारत विश्व में खाद्यान, अनाज, कृषि से जुड़े यंत्रों के
और कईं अन्य आद्योगिक उद्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। आश्चर्यजनक रूप से यह लक्ष्य हमने
जनसंख्या में 3 गुना वृद्धि होने के बावजूद और कृषि योग्य भूमि के विस्तार किये बिना हासिल किया है। 2014 में
भारत की अनुमानित जनसँख्या लगभग 1.3 बिलियन थी, जो निरंतर 1.3 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि कर रही
है। जहां भारत की कुल दो-तिहाई आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जिसमे से पचास प्रतिशत लोग जीवन यापन के
लिए कृषि पर ही निर्भर हैं। आज देश के कुल 297 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में से 142 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र
केवल कृषि के उपयोग में है। भारत की अर्थव्यस्था भी बड़े पैमाने पर कृषि पर निर्भर है। 1950 में जहां देश की
अर्थव्यस्था में 56 प्रतिशत का योगदान कृषि वर्ग का था, वही आज यह योगदान घटकर 14 प्रतिशत रह गया है। शेष
बचा 27 प्रतिशत उद्पादन सेक्टर (manufacturing) तथा 59 प्रतिशत सेवा क्षेत्र (services sectors) का है। देश में
बढ़ती जनसँख्या को देखते हुए भोजन मांग की पूर्ती करना हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
वर्तमान में अनाज की पैदावार 2000
किग्रा / हेक्टेयर से अधिक हो गई है, और कुल अनाज उत्पादन ने 2013-14 में 268 मिलियन टन का सर्वकालिक
रिकॉर्ड को छू लिया है। साथ ही बागवानी उत्पादन भी लगभग 270 मिलियन टन तक पहुंच गया है।