मशीनीकरण से बढ़ रही है फसल की उत्पादकता और किसानों की आय

रामपुर

 03-06-2021 08:32 AM
वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

आज़ादी के बाद से ही भारत ने विश्व पटल पर अनेक क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं। अंतरिक्ष विज्ञान, सैन्य ताकत और खासतौर पर कृषि क्षेत्र में हमारे देश की प्रगति अभूतपूर्व है। इस बात में कोई संदेह नहीं है, कि भारत के गौरवपूर्ण विकास में तकनीकी अथवा मशीनीकरण की भागीदारी महत्वपूर्ण है, परंतु विकास के साथ-साथ ही हमारी निर्भरता मशीनों पर बढ़ती जा रही है।
कोई भी कार्य जो पहले इंसानो अथवा जानवरों की सहायता से किया जाता था, यदि वह कार्य मशीनों (यंत्रों) के द्वारा किया जाने लगे तो वह प्रक्रिया मशीनीकरण कहलाती है।
मशीनों को बनाने का मुख्य उद्देश्य इंसान और जानवरों द्वारा किये जाने वाले काम को कम समय और अधिक कुशलता से करना है। साथ ही मशीनीकरण से कुछ ऐसे जटिल काम काम करना भी संभव हो गया है, जिसे करना इंसानी हाथों और दिमाग के लिए बेहद मुश्किल होता था। प्रत्येक मशीन का निर्माण कुछ निर्धारित कार्यों को पूरा करने के लिए होता है। उदहारण के तौर पर कुछ सालों तक कृषि से जुड़े जो काम बैल, घोड़ो और इंसानो के द्वारा किये जाते थे, मशीनें आज उस काम को बेहद कम समय और अधिक दक्षता से पूरा कर देती हैं। खेती-किसानी के इतिहास में जहां हल और कुदाल जैसे औजारों ने कृषि के काम को सरल बना दिया, वही और अधिक विकसित तकनीकी उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, ट्रक, कंबाइन हार्वेस्टर, ड्रोन और हेलीकॉप्टर (हवाई उपयोग के लिए) तथा सटीक कृषि उपज बढ़ाने के लिए उपग्रह इमेजरी और उपग्रह नेविगेशन (जीपीएस मार्गदर्शन) ने खेती के काम सरल बनाने के साथ-साथ फसल के पूर्वानुमानों को बेहद सटीक कर दिया है। कृषि के क्षेत्र में भारत में मशीनों का इस्तेमाल कई मायनो में उल्लेखनीय है। पिछले छह दशकों में जहा भारत को अन्न की कमी के कारण भुखमरी से भी जूझना पड़ा, वही आज भारत विश्व में खाद्यान, अनाज, कृषि से जुड़े यंत्रों के और कईं अन्य आद्योगिक उद्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। आश्चर्यजनक रूप से यह लक्ष्य हमने जनसंख्या में 3 गुना वृद्धि होने के बावजूद और कृषि योग्य भूमि के विस्तार किये बिना हासिल किया है। 2014 में भारत की अनुमानित जनसँख्या लगभग 1.3 बिलियन थी, जो निरंतर 1.3 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि कर रही है। जहां भारत की कुल दो-तिहाई आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जिसमे से पचास प्रतिशत लोग जीवन यापन के लिए कृषि पर ही निर्भर हैं। आज देश के कुल 297 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में से 142 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र केवल कृषि के उपयोग में है। भारत की अर्थव्यस्था भी बड़े पैमाने पर कृषि पर निर्भर है। 1950 में जहां देश की अर्थव्यस्था में 56 प्रतिशत का योगदान कृषि वर्ग का था, वही आज यह योगदान घटकर 14 प्रतिशत रह गया है। शेष बचा 27 प्रतिशत उद्पादन सेक्टर (manufacturing) तथा 59 प्रतिशत सेवा क्षेत्र (services sectors) का है। देश में बढ़ती जनसँख्या को देखते हुए भोजन मांग की पूर्ती करना हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
आज़ादी के बाद से ही आधुनिक तकनीक और मशीनीकरण के कारण हमारी अनाज उद्पादन क्षमता 5 गुना से अधिक बड़ी है, परन्तु फिर भी अनाज की उद्पादकता में मिट्टी और बदलती जलवायु परिस्थितियां एक बड़ी समस्या है। भारत में कृषि उत्पादकता के विकास में यंत्रीकरण (मशीनीकरण) का अहम योगदान है। आजादी के बाद कुदाल, कुल्हाड़ी, लोहदंड, और दरांती जैसे हाथ के उपकरण उपयोग किये जाते थे और जुताई के लिए बेलों तथा सिंचाई के लिए पानी की बाल्टियों द्वारा, अथवा फ़ारसी पहिये का उपयोग किया जाता था। 1914 में भारत में पहला ट्रैक्टर लाया गया, जिसके बाद 1930 में सिंचाई हेतु पहला पंप सेट स्थापित किया गया। इसी के साथ ही फसल उत्पादकता में क्रांतिकारी वृद्धि देखी गई। परिणाम स्वरूप 1950 में जहां देश में लगभग 7000 ट्रैक्टर उपयोग में थे, वही 1980 तक इनकी संख्या बढ़कर लगभग 39,000 हो गई। इस समय सार्वजनिक निवेश का कुल 90 प्रतिशत हिस्सा कृषि परियोजनाओं जैसे सिंचाई, जुताई उपकरण की खरीद और विकास में खर्च किया गया। जिसका परिणाम यह हुआ की पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे अनेक राज्यों के विकास में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। वर्तमान में श्रमिकों की मजदूरी बढ़ जाने से मशीनीकरण को ज़बदरदस्त बढ़ावा मिला है। कृषि श्रमिकों की कमी के कारण आधुनिकीकरण और मशीनीकृत फायदेमंद साबित हो रहा है। सिंचाई हेतु लेज़र लैंड लेवलर का उपयोग होने से पानी की 30 प्रतिशत तक बचत हो रही है, नतीजतन पालतू जानवरों की संख्या भी कम हो रही है।
वर्तमान में अनाज की पैदावार 2000 किग्रा / हेक्टेयर से अधिक हो गई है, और कुल अनाज उत्पादन ने 2013-14 में 268 मिलियन टन का सर्वकालिक रिकॉर्ड को छू लिया है। साथ ही बागवानी उत्पादन भी लगभग 270 मिलियन टन तक पहुंच गया है।
कृषि भूमि में मशीनीकरण के कुछ अन्य फायदे निम्नवत हैं।
1. यह उत्पादन बढ़ाता है।
2. यह दक्षता और प्रति व्यक्ति उत्पादकता बढ़ाता है।
3. यह ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संरचना को बदल रहा है।
4. यह श्रमिकों की कमी की पूर्ति कर रहा है।
5. यह कृषि आय बढ़ाता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3c0kB2U
https://bit.ly/2SI37lq
https://bit.ly/3wI2erz

चित्र संदर्भ

1. कृषि कार्य हेतु ट्रेक्टर चलाते भारतीय किसान का एक चित्रण (wikimedia)
2. ऐतिहासिक , कृषि प्रौद्योगिकी वाहनों और शिल्प के संग्रहालय में कृषि उपकरणों का एक चित्रण (wikimedia)
3. दवाई का छिड़काव करते हुए कृषि ड्रोन का एक चित्रण (wikimedia)


RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id