विद्युत मंत्रालय (Ministry of Electricity) के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में विद्युत की खपत अप्रैल 2021 में 41 प्रतिशत बढ़कर 119.27 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई है, जो की हमारी औद्योगिक और वाणिज्यिक मांग में मजबूत सुधार को दर्शाती है। पिछले वर्ष अप्रैल में हमारी विद्युत की खपत 84.55 बीयू आंकि गई थी।भारत और दुनिया भर में, कोविड-19 ने आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर दिया है। वर्तमान में कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभावों और इसकी अनिश्चितता से जूझ रही अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने में एक मज़बूत तथा प्रभावशाली विद्युत क्षेत्र की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों (उद्योग, कृषि,सेवा आदि) को सुचारू रूप से कार्य करने के लिये विद्युत की निर्बाध आपूर्ति तथा इसकी लागत का वहनीय होना बहुत ही आवश्यक है। कोविड-19के द्वारा लगाए गए व्यवधान को परिमाणित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। पारंपरिक राष्ट्रीय लेखा अनुमान, आर्थिक गतिविधि के लिए अधिकारिक सरकारी उपाय, इसके लिए पर्याप्त उपयोगी नहीं हैं। ऐसे समय में आर्थिक गतिविधि की निगरानी के लिए, ऐसे उपायों की आवश्यकता है जो उच्च आवृत्ति और उच्च स्थानिक विवरण स्तिर (Higher Spatial Granularity) पर उपलब्ध हों- उदाहरण के लिए जिला स्तर पर।भारत में, उपयोग की जाने वाली विद्युत की मात्रा (कुल खपत के रूप में मापा जाता है) और रात्रि में प्रकाश हेतु प्रयोग की जाने वाली विद्युत (प्रति क्षेत्र रोशनी के रूप में मापा जाता है) उपयोगी प्रॉक्सी संकेतक (Proxy Indicator) हैं।विद्युत की खपत को राज्य स्तर पर रोजाना मापा जाता है और इसमें आए बदलावों से अर्थव्यवस्था के विषय में जानकारी सामने आती है।
इस साल अप्रैल के दौरान, शिखर बिजली की मांग (Peak Power Demand) पूरी हुई या एक दिन में सबसे अधिक आपूर्ति 182.55 गीगावॉट के उच्चतम स्तर को छू गई।अप्रैल में बिजली की खपत 41 फीसदी बढ़कर 119.27 बीयू हो गई।अप्रैल 2020 में बिजली की खपत 2019 में इसी महीने में 110.11 बीयू से 84.55 बीयू तक गिर गई थी, जिसका मुख्य कारण मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में सरकार द्वारा लॉकडाउन (Lockdown) लागू करने के बाद कम आर्थिक गतिविधियों के कारण घातक कोविड -19 का प्रसार होना था।हालांकि कोरोना काल से पहले 2000 के बाद भारतीय घरों में बिजली की खपत तीन गुना थी। घरों में बिजली की पहुंच का प्रतिशत 2001 में 55% से बढ़कर 2017 में 80% से अधिक हो गया था। 2014 में, एक भारतीय परिवार ने प्रति घंटे लगभग 90 यूनिट (kWh) बिजली की खपत की, जो औसतन महीने में चार ट्यूब-लाइट (Tube light), चार सीलिंग पंखे (ceiling fan), एक टेलीविजन (Television), एक छोटा रेफ्रिजरेटर (Refrigerator), और सामान्य उपयोग के घंटे और दक्षता स्तर के साथ छोटे रसोई उपकरण चलाने के लिए पर्याप्त है।
2020 में भारत की दैनिक बिजली खपत में 18 मार्च से दस दिनों से भी कम समय में 26 प्रतिशत की गिरावट आई थी। पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन (Power System Operation Corporation-POSOCO)द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों में दर्ज की गई गिरावट को कोरोनावायरस के प्रकोप के मद्देनजर आर्थिक गतिविधियों में मंदी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और यह गिरावट वित्तीय संकट पैदा कर सकता था। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि खपत में सबसे ज्यादा गिरावट पश्चिमी क्षेत्र में दर्ज की गई थी, जहां यह 18 मार्च को 1,187 गीगावॉट प्रति घंटा की तुलना में 26 मार्च को 35 प्रतिशत गिरकर 771 गीगावॉट प्रति घंटाहो गई। इस क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फैली भारत की औद्योगिक गतिविधि का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।
परंतु 2020दिसंबर में बिजली की खपत में 4.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि जनवरी 2021 में यह 4.4 फीसदी थी। इस साल फरवरी में बिजली की खपत पिछले साल 103.81 बीयू की तुलना में 104.11 बीयू दर्ज की गई। इस साल मार्च में, बिजली की खपत 2020 में 98.95 बीयू की तुलना में लगभग 23 प्रतिशत बढ़कर 121.51 बीयू हो गई।विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली की खपत में वृद्धि के साथ-साथ अप्रैल में मांग मुख्य रूप से पिछले साल आधार क्षरण की वजह से कम आर्थिक गतिविधियों के कारण हुई है जो लॉकडाउन के कारण बिजली के वाणिज्यिक और औद्योगिक खपत पर नम साबित हुई। उन्होंने कहा, “अब बिजली की खपत की उच्च विकास दर ने वाणिज्यिक और औद्योगिक मांग में एक स्वस्थ सुधार दिखाया है।”हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि कोविड -19 सकारात्मक मामलों की वृद्धि को रोकने के लिए देश भर में स्थानीय लॉकडाउन आने वाले महीनों में वाणिज्यिक और औद्योगिक बिजली की खपत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
जब भी किसी महीने अगर बिजली का बिल पिछले महीनों की तुलना में अधिक आ जाता हैं तो, हम वास्तव में ऐसा सोचने लगते हैं, “हमारा बिल पिछले महीने की तुलना में इतना अधिक कैसे आया, जबकि हमारी बिजली की खपत का तरीका तो पिछले महीके की तरह ही था? यह हमारे लिए एक आश्चर्य का विषय बनता है और हमें लगता है मानो जरूर हमारे बिजली बिल में कुछ गड़बड़ हैं”।वास्तव में कुछ लोगों की ये भी राय होती है, की इलेक्ट्रॉनिक मीटर (Electronic Meter), इलेक्ट्रोमेकानिकल मीटर (Electromechanical Meter) की तुलना में अधिक तेजी से चलता है।क्या ऐसी अवधारणाएं सही हैं, या गलत, चलिये इस पर विवेचना करते हैं:
एक बिजली का मीटर ऐसा यन्त्र होता है, जो घर में या किसी कार्यालय में विभिन्न उपकरणों द्वारा खर्च विद्युत ऊर्जा को मापता है। आप एक मीटर को देखें, तो आप क्या पाएंगे – कुछ संख्या (मीटर पर रीडिंग), और मीटर में इनका kWh के रूप में उल्लेख किया जाता है, यह आपके द्वारा खपत हुई बिजली की यूनिट की खपत की गणना करती हैं। आपका बिजली का बिल इस मीटर पर ही पूरी तरह से निर्भर रहता है।बिजली मीटर पर रीडिंग ‘संचयी’ रहती हैं। एक विशेष माह की रीडिंग उस महीने की बिजली मीटर की रीडिंग और पिछले महीने की रीडिंग के बीच गणना कर अंतर को दर्शाती हैं।इस तरह आपको उस विशेष महीने के बिजली की खपत की गणना होती है। ये बिजली मीटर विभिन्न प्रकार के होते हैं। इनके कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
• इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर: इसमें, डिस्क के घूमने की दर से ही बिजली मीटर पर रीडिंग का फैसला होता हैं
• इलेक्ट्रॉनिक (डिजिटल) मीटर: एक इलेक्ट्रॉनिक मीटर में एक एलईडी/एलसीडी डिस्प्ले (LED/LCD Display) होता है, जो जुड़े उपकरणों की बिजली खपत की रीडिंग करता है
• स्मार्ट मीटर (Smart Meter): इसमें बिजली कंपनी के किसी भी अधिकारी को आपके घर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, और बिजली की रीडिंग स्वचालित रूप से इंटरनेट के द्वारा आपको भेज दी जाती है। उपरोक्त मीटरों के अलावा प्रीपेड स्मार्ट मीटर (Pre-paid Smart Meter), पोस्टपेड स्मार्ट मीटर (Post-paid Smart Meter), डुअल रजिस्टर स्मार्ट एनर्जी मीटर (Dual Register Smart Energy Meter), और किल अ वाट मीटर (Kill a Watt Meter) भी देखे जा सकते हैं।
यदि आप इन दिनों अपने बिजली के बिल को कम करने के तरीकों को खोजने की कोशिश कर रहे हैं तो हम आपको अपने बिजली बिल को कम करने के लिए कुछ आसान से तरीकों को बता रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. प्रोग्राम करने योग्य थर्मोस्टेट (Thermostat) का उपयोग करें, ये बहुत सारी ऊर्जा बचाते हैं।
2. अपने घर को एक्स्ट्रा-इंसुलेट (Extra-Insulate) करें, ताकि सर्दियों के महीनों में ठंड घरों के भीतर ना आये और गर्मियों के महीनों गर्मी।
3. आरामदायक कपड़े पहनेंया तापमान के आधार पर कपड़े पहनें ताकि अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित कर सकें और बिजली के उपकरणों का उपयोग कम करें।
4. अपना एयर फिल्टर (Air Filter) बदलें।एयर फिल्टर का उद्देश्य धूल, पराग और लिंट (Lint) जैसे कणों को पकड़ना और शीतलन तथा हीटिंग (Heating) सिस्टम में स्वच्छ हवा को प्रसारित करना है। साफ एयर फिल्टर गंदे फिल्टर वाले सिस्टम की तुलना में कम ऊर्जा का उपयोग करता है।
5. वॉटर हीटर (Water Heater) पर तापमान कम रखें, तापमान को कुछ डिग्री कम करके, आप अपने बिजली के बिल से कुछ पैसे बचा सकते हैं।
6. अपने उपकरणों का उपयोग करने के लिये एक रणनीति बनायें ताकि बिजली के उपयोग को संतुलित किया जा सके। ध्यान रखें कि रात को सोते समय उन उपकरणों को बंद कर दें जो उपयोग में नहीं आ रहे हैं।
7. ठंडे पानी में कपड़े धोकर बिजली बचाएं, गर्म पानी का उपयोग ना करें।
8. जांचें कि आपके उपकरण ठीक से काम करते हैं या नहीं। जो उपकरण ठीक से काम नहीं करते हैं, वे आपके घर में ऊर्जा का व्यय अधिक करते हैं।
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति होना अत्यंमत आवश्यभक है। विगत दशकों में भारत ने विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, परंतु विद्युत वितरण कंपनियों को तकनीकी चुनौतियों के साथ बिजली की चोरी, अपर्याप्त बिलिंग, भुगतान दोष, राजस्व संग्रह की अक्षमता आदि के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। सरकार द्वारा डिस्कॉम (Discom) की समस्याओं को दूर करने के लिये किये गए प्रयासों के बावजूद भी कुछ राज्यों में इनकी समस्याएँ अभी भी बनी हुई हैं। डिस्कॉम कंपनियों (DiscomCompanies) की वित्तीय चुनौतियों को दूर करने, इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने आदि के लिये केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर आवश्यक कदम उठाने चाहिये।
संदर्भ:
https://bit.ly/3yhQLAA
https://bit.ly/33YCUkB
https://bit.ly/3v0As9s
https://bit.ly/3oqsBPJ
https://bit.ly/3bzWjga
https://bit.ly/3hygted
https://bit.ly/3hygqix
चित्र संदर्भ
1. भारत - कोलकाता बिजली मीटर का एक चित्रण (Wikimedia)
2. बिजली के उपयोग का एक चित्रण (wikimedia)
3. पुराने पारम्परिक (Electromechanical Meter) बिजली के मीटर का एक चित्रण (wikimedia)
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