भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है । जहां तक विशेषज्ञों का अनुमान है भारत सन 2024 तक चीन को पीछे करते हुए विश्व की सर्वाधिक जनसँख्या वाला देश हो जायेगा | यहां तक की ये भी अनुमान लगया जा रहा है की सन 2030 तक भारत लगभग 150 करोड़ से अधिक लोगों के लिए घर होने वाला पहला देश बनने की उम्मीद है और सन 2050 तक भारत की जनसँख्या 170 करोड़ होने की उम्मीद है | सन 2017 के सर्वेक्षण के अनुसार भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 1.13% है, जो विश्व में 112वें स्थान पर है |
सन 2020 के आकड़ो के अनुसार भारत में प्रति 1000 जनसँख्या पर 18.2 का जन्म होते है और 7.3 की मृत्यु होती है | भारत में सन 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार जीवन की औसत आयु 70.03 वर्ष माना गया है जिसमे पुरुष की 68.71 वर्ष तथा महिला की 71.03 वर्ष अनुमानित की गयी है |
अभी कोरोना महामारी के समय आपको हज़ारो मौतों के आकड़े रोज़ सुनने को मिलते है, लेकिन क्या आपको पता है भारत में कोरोना के आने से पहले लगभग 26000 से ज्यादा लोग प्रतिदिन मरते थे, इसका मतलब भारत में प्रत्येक 45 दिन में 10 लाख से ज्यादा लोगो की मृत्यु होती है | अगर प्रतिदिन जन्म लेने वाले आकड़े की बात की जाये तो भारत में प्रतिदिन लगभग 75000 बच्चे जन्म लेते हैं | भारत में आयी कोरोना की दूसरी लहर कई लोगो के अचानक मृत्यु का कारण भी बन रही है जिससे मृतकों की संख्या में वृद्धि हो रही है | यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विश्व सांख्यिकीविदों द्वारा (कोरोना के पहले चरण में सबसे खराब मृत्यु दर वाले देशों में कोरोना से मौत के आंकड़ों को देखते हुए ) अनुमान लगाया गया है की सितंबर 2021 तक भारत में कोरोना के दूसरे लहर के कारण भारत में करीब 10 लाख लोगों की मौत हो सकती है। हालाँकि अगर भारत के द्वारा लॉकडाउन (lockdown) लगा कर ,स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार करके तथा नए चिकित्सक और नर्सेज (nurses) की नियुक्ति करके इस आकड़े को काफी हद तक कम किया जा सकता है |
भारत में अभी तक (12 मई 2021 तक) कोरोना के वजह से 2 लाख 58 हज़ार लोगो की मौत हो चुकी है| ये मौत का आकड़ा अपने आप में एक भयानक तबाही की तरफ इशारा कर रहा है। देश भर की कई रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती हैं कि दर्ज की गई मौतें पूरी कहानी नहीं हैं। अंतर्राष्ट्रीय आंकड़े यह भी बताते हैं कि भारत की जनसंख्या और बीमारी के प्रसार को देखते हुए हमें कई और मौतों की उम्मीद करनी चाहिए | इस विपत्तिपूर्ण दूसरी लहर के बीच भी मृतकों की गिनती महत्वपूर्ण है | सरकार के अनुसार कोरोना के प्रथम चरण में कम मृत्यु दर सफल संचालन की तरफ इशारा करती है परन्तु दूसरी लहर से ऐसा प्रतीत होता है जैसे तूफान आने से पहले शांति रहती हो | महामारी से बचने के लिए पूर्व ,वर्तमान तथा भविष्य के अनुमानित आकड़ो पर कार्य किया जाये तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है | पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, बिहार, हरियाणा और छत्तीसगढ़ से घातक मृत्यु के आकड़े सामने आयें हैं। ये राज्य भारत की लगभग 80% आबादी को बनाते हैं। अधिकतर जो आकड़े प्राप्त है, वो शहरी क्षेत्र के होते है | कुछ संस्थाओं के द्वारा ये दावा किया जाता है की ग्रामीण क्षेत्रो के सटीक आकड़े सामने नहीं आये हैं |
भारत में कोरोना से संक्रमित प्रतिदिन मिलने वाले मरीज़ों की संख्या फरवरी माह में 10000 से काम थी | जिसके बाद बड़े पैमाने पर देश में पाबंदियों को हटाया गया | उसके कुछ ही सप्ताह बाद देश 400000 संक्रमित रोगियों के आकड़े तक पहुंच गया | टोरंटो विश्वविद्यालय (Toronto University) के महामारी वैज्ञानिक प्रभात झा कहते हैं, 'भारतीय विरोधाभास' वास्तव में काफी हैरान करने वाला है। उनके अनुसार सही आकड़े पेश नहीं किये जा रहे हैं | झा के नेतृत्व में यह पाया गया कि समय के साथ संक्रमण लगभग 17.8 प्रतिशत से बढ़कर 41.4 प्रतिशत हो गई जिसका अर्थ है कि मामलों में भारी वृद्धि हुई है। फिर भी कोरोना से हुयी मौतों में 30% की कमी आयी | दुनिया भर में औसत प्रति 100,000 जनसंख्या पर कोविड -19 (covid-19 ) से लगभग 41 मौतों की गणना की,उन्होंने मार्च में मेड रक्सीव (medRxiv) पर रिपोर्ट की। वह मृत्यु दर अमेरिका की तुलना में आधे से भी कम है | हालांकि एक सर्वेक्षण में ये भी पाया गया की केवल 17.9% मौतें 75 या उससे अधिक उम्र के लोगों में हुईं वहीँ संयुक्त राज्य अमेरिका में उस आयु वर्ग में 58.1% लोग थे।
संदर्भ
https://bit.ly/2RAWxN4
https://bit.ly/33WAyCY
https://bit.ly/33YDMpz
https://bit.ly/3wdXRUS
https://bit.ly/33W037z
चित्र संदर्भ
1. शवदाह तथा कोरोना वायरस का एक चित्रण (Wikimedia,unsplash)
2. भारत एकल आयु जनसंख्या पिरामिड 2020 का एक चित्रण (Wikimedia)
3. कोरोना से मृत व्यक्ति का एक चित्रण (Youtube)
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