कोरोना महामारी का प्रकोप दिन भर दिन बढ़ता जा रह है, इस से संक्रमित लोगों की संख्या में वृद्धि के साथ इसके उपचार में उपयोग होने वाले उपकरणों से लेकर दवाओं में कमी होने लगी है। इस बीच ऑक्सीजन की कमी में हुए उछाल ने क्रूर वैश्विक काला बाजार को उजागर किया है, जहां विक्रेताओं द्वारा मूल कीमतों से 1,000%तक की अधिक कीमतों में ऑक्सीजन सिलिंडर (Oxygen cylinder) को बेचा जा रहा है।हमारे सामने आने वाली चुनौतियों कई हैं: अपर्याप्त स्वास्थ्य और स्वच्छता बुनियादी ढांचे, अनौपचारिक / अस्थायी और दैनिक वेतन श्रमिकों के लिए काम का नुकसान आदि । राज्यों द्वारा तालाबंदी को धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है, जो अप्रत्याशित रूप से, व्यवसायों और अर्थव्यवस्था की स्थिति को प्रभावित कर रहा है और आने वाले समय में इसके प्रभाव दिखाई देंगे।
इन परिस्थितियों में, जनता के लिए आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति, वितरण और पहुंच महत्वपूर्ण है। विनिर्माण में बाधा और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों को बढ़ा दिया है।थोक खरीद और सामानों के संग्रह ने मांग को बढ़ा दिया है जो स्थिति को खराब करता है। सबसे हालिया उदाहरण कुछ शहरों में लगाए गए तालाबंदी का है, जिसने अत्यधिक तथा अचानक खरीदारी को बढ़ावा दे दिया और लोगों ने तालाबंदी के प्रोटोकॉल (Protocol) का उल्लंघन करते हुए बाजार में खरीदारी करना आवश्यक समझा।
इस तरह की स्थितियाँ सामानों के कीमतों में वृद्धि का कारण बन सकती हैं। इसलिए सरकार द्वारा किसी भी मुनाफा खोरी या अनुचित और अतिरंजित मूल्य निर्धारण जैसी अवसरवादी गतिविधि पर अंकुश लगाने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।हालांकि भारत सरकार ने इस विषय पर शीघ्र प्रतिक्रिया दिखाते हुए फेस मास्क (Face masks) और सैनिटाइज़र (Sanitizers) की कीमतों को विनियमित कर दिया है। इस संदर्भ में, हम मूल्य निर्धारण प्रथाओं पर नियंत्रण सक्षम करने वाले भारत के कुछ प्रमुख कानूनों पर चर्चा करते हैं।
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955– इस अधिनियम में सरकार के पास आवश्यक वस्तुओं' का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रण करने का अधिकार होता है ताकि ये चीजें उपभोक्ताओं को मुनासिब दाम पर उपलब्ध हों। सरकार अगर किसी चीज को 'आवश्यक वस्तु' घोषित कर देती है तो सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस सामान का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दें और उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा हो सकती है।इस कानून में मनमाने दाम पर बेचने, जमाखोरी या कालाबाजारी की स्थिति में 7 साल जेल की सजा तक का प्रावधान है।
प्रतियोगिता अधिनियम, 2002 -प्रतियोगिता अधिनियम में मूल्य निर्धारण प्रथाओं के लिए पर्याप्त प्रतिबंध शामिल हैं। धारा 3 उत्पादन, आपूर्ति, माल के वितरण आदि से संबंधित प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों पर रोक लगाती है, क्योंकि इसके कारण भारत में प्रतिस्पर्धा पर एक सराहनीय प्रतिकूल प्रभाव पैदा होने की संभावना होतीहै। कोविड-19 (Covid-19) के संदर्भ में, भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग ने हाल ही में एक परामर्शी जारी की जिसमें कुछ प्रतिस्पर्धी व्यवसायों के लिए आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति के लिए गतिविधियों को समन्वित करने की आवश्यकता को मान्यता दी गई।
औद्योगिक (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1951 -इस संबंध में, भारत सरकार ने भारतीय उद्योग के विकास को आगे बढ़ाने और प्रोत्सायहित करने और विश्व् के बाजार में इसकी उत्पा दकता तथा प्रतिस्पयर्धात्माकता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर औद्योगिक नीतियां जारी की हैं।औद्योगिक (विकास एवं विनियमन) अधिनियम की धारा 18G इन लेखों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आदेश जारी करने के लिए भारत सरकार को अधिकार देती है। धारा 15 एक निर्धारित उद्योग या औद्योगिक उपक्रम से संबंधित किसी भी लेख में मूल्य वृद्धि की जांच करने के लिए भारत सरकार को अधिकार देता है, जिसके बाद, भारत सरकार धारा 16 के तहत उन लेखों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्देश जारी कर सकती है।
लेकिन इन अधिनियमों के बावजूद महामारी के दौरान विक्रेताओं द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक दामों में सामानों को बेचा जा रहा है। ईकॉमर्स (E-commerce) प्लेटफ़ॉर्म (Platform) अमेज़ॅनइंडिया (Amazon India) पर कई विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक पर कोविड-19 से संबंधित आवश्यक चीजें बेचने की कोशिश कर रहे हैं।इस पर संज्ञान लेते हुए, अमेज़ॅन इंडिया ने विक्रेताओं को चेतावनी देते हुए अपने प्लेटफ़ॉर्म से अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमतों में सामान बेचने वाले विक्रेताओं के खातों को सूची से हटा दिया है और उनके खातों को निलंबित भी कर दिया है। वहीं मनीकंट्रोल (Moneycontrol) के अनुसार, कोविड-19 की स्थिति का लाभ उठाते हुए कई विक्रेताओं ने उत्पादों को अधिक कीमत पर बेचकर अतिरिक्त रुपये बनाने की कोशिश की है।यह केवल अमेज़ॅन इंडिया के व्यवसाय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य बाजारों में भी विक्रेताओं द्वारा इस स्थिति का लाभ उठाया जा रहा है।
वहीं कई ऑफलाइन विक्रेता अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट (Flipkart) और स्नैपडील (Snapdeal) में आकर्षक छूट प्रदान किए जाने के पीछे का कारण जानना चाहते होंगे। दरसल भारत की तीन बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां फ्लिपकार्ट, अमेज़ॅन और स्नैपडील सभी विपणन स्थान के रूप में काम करती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि भारतीय कानून सीधे ग्राहकों को बेचने वाले ई-कॉमर्स (E-commerce)साइटों (Sites) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति नहीं देता है,लेकिन विक्रेताओं और खरीदारों को जोड़ने वाले बाजारों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान करता है।चूंकि प्रत्यक्ष खुदरा पर प्रतिबंध है, इसलिए बाज़ारियों को अपने प्लेटफार्मों (Platform) पर विक्रेताओं के उत्पाद की कीमतों पर नियंत्रण रखने की अनुमति नहीं है, जिसमें छूट के मामले शामिल हैं।फिर भी, फ्लिपकार्ट, अमेज़ॅन और स्नैपडील वास्तव में तीनों साइटों के वित्त भाग के रूप में उत्पाद की कीमतें तय करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कुछ मामलों में, विक्रेताओं द्वारा छूट की पूरी राशि अप्रत्यक्ष तरीके से प्रदान की जाती है। साथ ही यदि देखा जाएं तो ई-कॉमर्स फर्मों के लिए छूट आवश्यक है। ई-कॉमर्स फर्मों द्वारा दी जाने वाली आकर्षक छूट के कारण उपभोक्ताओं और विक्रेताओं द्वारा ऑनलाइन खरीदारी को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/2PWpIJS
https://bit.ly/3uupngs
https://bit.ly/2WUedli
https://bit.ly/2oVmZCY
https://bit.ly/3tmSscj
https://bit.ly/3vMpG6s
चित्र संदर्भ
1.ऑक्सीजन सिलेंडर तथा कोरोना वायरस का एक चित्रण (unsplash)
2. ऑक्सीजन सिलेंडर का एक चित्रण (unsplash)
3. मेडिकल स्टोर का एक चित्रण (unsplash)