बहुमुखी गुणों का धनी महुआ का वृक्ष

रामपुर

 10-05-2021 09:02 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

‘वह जगह स्वनर्ग है जहाँ महुआ के पेड़ हैं और वह जगह नरक है जहां शराब बनाने के लिए महुआ के पेड़ नहीं हैं’। मधुवा लोंगिफ़ोलिया (Madhuca longifolia) जैसे वृक्षों को प्रायद्वीपीय भारत के शुष्क उष्णकटिबंधीय वनों का सर्वश्रेष्ठु प्रतीक माना जाता है, जिसे हिंदी में महुआ (Mahua) और तमिल में इलुपई (Illupai) कहा जाता है, इसके अन्यै नाम मधुका, मदकम, महुआ, महवा, मोहुलो, या विप्पा चेट्टू आदि हैं।यह भारतीय उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो मुख्य रूप से मध्य और उत्तर भारतीय मैदानों और जंगलों में पाया जाता है। तीव्रता से बढ़ने वाला यह वृक्ष लगभग 20 मीटर की ऊंचाई तक जाता है, यह सदाबहार या अर्ध-सदाबहार वनों के निकट है, तथा सपोटेसी (Sapotaceae) परिवार के अंतर्गत आता है। यह शुष्क वातावरण के अनुकूल है, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, केरल, गुजरात, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु राज्यों में यह उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती जंगलों में एक प्रमुख वृक्ष है।


स्थाननीय समुदाय इस वृक्ष की छाल को औषधि के रूप में, फल को भोजन के रूप में और फूलों को एक मादक पदार्थ के रूप में उपयोग करते हैं।पारिस्थितिकविदों ने लंबे समय से माना है कि इन पौधों में परागणकों और बीज फैलाने वालों को आकर्षित करने के लिए कई तरह की रणनीतियां हैं।इसके रंगीन फूल अपने अमृत रस की ओर तितलियों और मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं जबकि लाल, पीले और काले फल पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।महुआ चमगादड़ों का सबसे लोकप्रिय वृक्ष है। पहले चमगादड़ों के विषय में यह भ्रांति प्रचलित थी कि यह महुआ के फूलों को नष्ट कर देता है।जीवविज्ञानी पार्थसारथी थिरुचेंथिल नाथन (Parthasarathy Thiruchenthil Nathan) ने इन पर गहनता से अध्यायन किया, इन्होंथने अपने अध्यPयन में पाया कि चमगादड़ वास्तव में महुआ को परागित करते हैं, और इसके बीजों को फैलाते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि छोटे चमगादड़ों ने यह बीज 100 मीटर तो वहीं बड़े चमगादड़ों ने इसे 7 किलोमीटर की दूरी तक फैलाया।

गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में तैलगुणयुक्त बीजों (परिपक्वता के आधार पर, प्रति पेड़ 20 से 200 किलोग्राम बीज प्रति वर्ष), फूलों और लकड़ी के लिए इसकी खेती की जाती है। इसमें मौजूद वसा का उपयोग त्वजचा की देखरेख हेतु, साबुन या डिटर्जेंट (detergents) के निर्माण के लिए और वनस्पति मक्खन के रूप में किया जाता है। इसके साथ ही ईंधन तेल के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। तेल निकालने के बाद प्राप्त बीज केक (seed cakes) बहुत अच्छे उर्वरक का निर्माण करते हैं। इसके फूलों का उपयोग उष्णकटिबंधीय भारत में एक मादक पेय का उत्पादन करने के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग पशुओं को प्रभावित करने के लिए भी किया जाता है। पेड़ के कई हिस्सों, जिसमें छाल भी शामिल है, को उनके औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है। कई आदिवासी समुदायों द्वारा इसकी उपयोगिता के कारण इसे पवित्र माना जाता है।


महुआ के फूल खाने योग्य हैं और आदिवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ हैं। वे इसका उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए सिरप (syrup) बनाने हेतु करते हैं।आदिवासी पुरूष एवं महिलाएं उत्सपव के दौरान मुख्यस रूप से इसके पेय का सेवन करते हैं।महुआ के फल पश्चिमी ओडिशा के लोगों का एक आवश्यक भोजन है। यहां इस पेड़ का एक बड़ा सांस्कृतिक महत्व है। फलों और फूलों की मदद से भोजन की कई किस्में तैयार की जाती हैं। इसके अलावा, पश्चिमी ओडिशा के लोग त्योहारों के दौरान इस पेड़ की प्रार्थना करते हैं। फूलों से निर्मित शराब काफी हद तक बेरंग, अपारदर्शी और कममादक होती है। यह सस्ती होती है और इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर घरेलू समान के माध्यमम से ही किया जाता है।महुआ के फूलों का उपयोग जैम(Jam) के निर्माण के लिए भी किया जाता है, जो महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में आदिवासी सहकारी समितियों द्वारा बनाया जाता है।बिहार के कई हिस्सों में, जैसे कि सिवान जिले के गाँवों में, धूप में सूखे महुआ के फूल या फिर धूप में सूखाए गए महुआ के फूलों से मैदा बनाते हैं जिसका उपयोग विभिन्नु प्रकार के ब्रेड (Bread) बनाने के लिए किया जाता है।
महुआ के बहुमुखी उपयोग को देखते हुए इसका बाज़ार व्यापक रूप से बढ़ रहा है तथा यह औपचारिक अर्थव्यवस्था में प्रवेश कर रहा है किंतु इसके समक्ष कई चुनौतियां हैं और इस कारण इसके उत्पादों का उत्पादन और वितरण हर स्तर पर समस्याओं से घिरा हुआ है। शराब के बढ़ते चलन से कई राज्यों जैसे बिहार और गुजरात में महुआ पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। ऐसी स्थिति में महुआ से मिलने वाले अन्य लाभों का फायदा भी नहीं उठाया जा सकता है।


संदर्भ:
https://bit।ly/3nOwspA
https://bit।ly/33iGaHy
https://bit।ly/3uzHpOB
https://bit।ly/2RpA6dq
https://bit।ly/3eZpx8W

चित्र संदर्भ
1.महुआ के वृक्ष तथा फूल का एक चित्रण (Wikimedia)
2.महुआ के फूल का एक चित्रण (Wikimedia)
3.महुआ के फूल का एक चित्रण (Wikimedia)



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id