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2019 से लेकर आज तक कोरोना महामारी सबसे बड़े वैश्विक संकट के रूप में उभरी है। दुनिया के सभी विकसित तथा विकासशील देशों के कदम विकास की दौड़ में मंद पड़ चुके हैं। हर क्षेत्र के वैज्ञानिक तथा विशेषज्ञ अपने-अपने स्तर पर इस महामारी का उपचार खोजने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में विश्व भर के गणितज्ञ जिन्होंने न केवल पृथ्वी परन्तु धरती के बाहर की विकट समस्याएं भी गणित के जटिल फार्मूलों से हल कर चुके हैं, वह लोग गणित के माध्यम से कोरोना महामारी के प्रसार के आंकड़ों का अध्ययन कर रहे है। और कोशिश कर रहे की गणित की सहायता से भी महामारी के प्रभाव को कम किया जा सके। महामारी को समझने में गणित की भूमिका देखते हैं।
महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में गणित एक महत्वपूर्ण सहायक के रूप में उभरी है। महामारी के प्रसार के आंकलन और भविष्यवाणी के लिए सदियों से गणितीय मॉडल का इस्तेमाल किया जा रहा है। 1920 में विलियम ओ क्रेमैक और एजी मैककेंड्रिक (William O Kermack and AG McKendrick ) ने देखा कि किसी भी महामारी की चपटे में आने वाले लोगो को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहली अति संवेदनशील, दूसरी संक्रमित और तीसरी ठीक हो चुके लोग। श्रेणियों के विभाजन से उन्हें बीमारी की स्थिति समझने में आसानी हुई। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति महामारी की स्थिति में इन्ही 3 स्थितियों से होकर गुजरता है। तथा उनके द्वारा एक गणितीय मॉडल SIR (Susceptible-Infected-Recovered) “संवेदनशील-संक्रमित-ठीक हो चुके लोग” दिया गया। इस समीकरण का नाम क्रेमैक-मैककेंड्रिक (William-McKendrick ) दिया गया।

यहाँ दिए गए चित्रण यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार समय बीतने पर अति संवेदनशील(Susceptible) मरीजों की संख्या कम हो जाती है और ठीक होने वाले(Recovered) लोगो की संख्या बढ़ने लगती है यहाँ हम पाते हैं कि संक्रमित(Infected) होने वाले लोगो की संख्या शुरू में बढ़ती है फिर धीरे-धीरे कम होने लगती है और इस तरह महामारी की लहरों का चक्रण चलता रहता है चूँकि माना जा रहा है की भारत में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है अतः उक्त चित्रण से आप अंदाज़ा लगा सकते है किस तरह कोरोना की पहली लहर आती है फिर मरीज़ ठीक होने लगते है तथा फिर अचानक से मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है जिसे महामारी की दूसरी लहर समझा जाता है
इस समीकरण द्वारा आज भी महामारी की स्थिति की भविष्यवाणी की जा सकती है तथा यह सरकारों, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, तथा अन्य प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं में प्रयोग किया जाता है।
कोरोना माहमारी एक संक्रामक बीमारी है, जो आज वास्तविक दुनिया में बड़ी ही तेज़ी के साथ फ़ैल रही है। आश्चर्यजनक रूप से 2005 में ठीक ऐसी ही महामारी आभासी दुनिया (Virtual World) में भी फैली थी। यह घटना 13 सितम्बर 2005 की है, जब पश्चिमी देशों में कई खिलाडियों द्वारा एक साथ खेला जाने वाला ऑनलाइन गेम वर्ल्ड ऑफ़ वारक्राफ्ट “World of Warcraft” (WOW) बेहद लोकप्रिय खेल था, जिसमे खिलाडी पैसा देकर प्रतिभाग करते थे। इस ऑनलाइन गेम के भीतर एक महामारी फैली जो कि खेल के भीतर एक हफ्ते तक चली। इस खेल में जुल’गुरुब (Zul'Gurub) नाम से एक खास क्षेत्र (Area) बनाया गया था जिस क्षेत्र का अंतिम मालिक हक्कार द सॉफ़्लोरलेयर (Hakkar the Soulflayer) उसके क्षेत्र में प्रवेश करने वाले खिलाडी पर “Corrupted Blood” "भ्रष्ट रक्त" नामक जादू कर देता था। यह जादू एक संक्रामक बीमारी की भांति कार्य करता था। खेल में कमज़ोर प्रतिभागियों को जल्दी नष्ट अथवा खेल से बाहर कर देता था। खेल के भीतर प्रतिभागियों के आभासी पालतू जानवरों से भी यह जादू फैलता था। और धीरे-धीरे यह एक महामारी की भांति फैला, और तब तक चला जब तक सभी खिलाडी खेल से बाहर न हो गए। और इस घटना को तकनीकी खामी बताया गया जिसे बाद में ठीक कर दिया गया।

वर्तमान में वैज्ञानिक इस घटना के परिपेक्ष्य से कोविड-19 की तुलना कर रहे है, जो की काफी हद तक समानता रखती है। आभासी महामारी की भांति ही वास्तविक कोविड-19 महामारी भी संक्रामक तौर पर फैलती। वे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है वह इस बीमारी से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। यह बीमारी भी बेहद तेज़ गति से फ़ैल रही है जिसका संतोषजनक इलाज अभी तक नहीं मिला। अतः हम यह कह सकते है की आभासी दुनिया में यह घटना सन 2005 में ही घटित हो चुकी है और उसकी तर्ज पर हम काफी कुछ सीख सकते हैं।
वर्तमान में महामारी से किसी भी प्रकार निपटना सभी लोगो की प्राथमिकता बन गयी है। देश भर में इस महामारी से बचाव के उपाय किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में भी बड़े स्तर पर सेनेटिज़ेशन का काम चल रहा है। कोरोना को हारने के लिए फायर बिग्रेड और पालिका को कंटेटमेंट जोन में सेनेटाइजेशन का काम कराने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। अग्निश्मन के टैंकों के माध्यम से पूरे जिले में सेनेटाइजेशन कराया जा रहा है। देश में टीकाकरण की प्रक्रिया तेज़ी से बढ़ रही है, परन्तु फिर भी कोरोना का प्रभाव काम होता नज़र नहीं आ रहा है। इस स्थिति में हम सभी की यह मौलिक ज़िम्मेदारी बनती है, की महामारी से बचाव के सभी नियमों का सख्ती से पालन करे।
संदर्भ:-
● https://bit.ly/3aUOJMF
● https://bit.ly/3gNrSGK
● https://wapo.st/3e5V5L6
● https://bit.ly/3nzxQMM