सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) के प्रसार को कम करने के लिए गैर-दवा हस्तक्षेप (एनपीआई) (non-pharmaceutical interventions (NPIs)) जैसे लॉकडाउन (Lockdown), स्कूलों को बंद करवाना और गैर-आवश्यक व्यवसाय, यात्रा प्रतिबंध आदि की प्रभावशीलता का आकलन करना भावी तैयारियों की प्रतिक्रिया योजनाओं को सूचित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।इतनी विशाल आबादी के लिए टीके और एंटीवायरल दवा (Antiviral medication) की अनुपलब्धता की स्थिति में एनपीआई महामारी के प्रभाव जैसे श्वसन में कठिनाई इत्यादि से उभरने में और वायरस के प्रसार को कम करने या मध्यम करने के लिए एकमात्र विकल्प है।सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से व्यक्तियों के व्यवहार, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त आर्थिक और सामाजिक लागत लग सकती है।इसलिए, एनपीआई अनुसरणकर्ताओं को विवेकपूर्ण और समय पर कोविड-19 (COVID -19) या किसी अन्य भावी श्वसन प्रकोप से उभारने या उनका मुकाबला करने के लिए प्रभावी हो सकता है।क्योंकि कई देशों ने कई एनपीआई को एक साथ लागू किया, इसलिए प्रत्येक में इसके प्रभाव को अलग करना एक चुनौतीपूर्णकार्य है।
आज तक, कोविड-19 महामारी की किसी देश-विशिष्ट प्रगति के अध्ययनों ने एनपीआई हस्तक्षेपों की एकल श्रेणी के स्वतंत्र प्रभावों का पता लगाया गया है। इन श्रेणियों में यात्रा प्रतिबंध सामाजिक भेद और व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपाय शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मॉडलिंग अध्ययन आम तौर पर एनपीआई पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सीधे संपर्क संभावनाओं को प्रभावित करते हैं (उदाहरण के लिए, सामाजिक दूरी बनाने के उपाय, सामाजिक भेद व्यवहार, आत्म-अलगाव, स्कूल बंद करना, सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध)।गैर-दवा हस्तक्षेप में यह इस बात की भी जांच करता है कि पिछले वर्ष के लॉकडाउन का वायरस के प्रसार और मृत्यु पर क्या प्रभाव रहा। प्रारंभ में, लॉकडाउन से वायरस के प्रसार और इससे होने वाली मृत्युदर में कमी रही जो समय के साथ बढ़ गयी। लॉकडाउन एक लंबी महामारी की स्थिति में एक निरंतर नियंत्रण नीति के रूप में काम नहीं कर पाया।
कुछ अध्ययनों ने एक ही देश या यहां तक कि एक ही शहर पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि अन्य अनुसंधानों ने कई देशों के आंकड़ों को संयोजित किया, लेकिन एनपीआई को व्यापक श्रेणियों में शामिल किया गया है, जो अंततः विशिष्ट, संभावित रूप से महत्वपूर्ण, एनपीआई के आकलन को सीमित करता है जो दूसरों की तुलना में कम महंगा और अधिक प्रभावी हो सकता है। उनके व्यापक उपयोग के बावजूद, कार्यान्वयन में सहजता, उपलब्ध साधनों की व्यापक पसंद और विकासशील देशों में उनके महत्व जहां अन्य उपाय (उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य सेवा क्षमता में वृद्धि, सामाजिक दूरी या बढ़ाया परीक्षण) को लागू करना मुश्किल है। संचार गतिविधियों के सटीक आकलन के लिए लक्षित जनता, संचार के साधनों और संदेश की सामग्री की जानकारी की आवश्यकता होती है।
द्वितीय श्रेणी में एनपीआई की प्रभावशीलता रैंकिंग की तुलना:
46 एनपीआई श्रेणियों में से, सभी चार विधियां छह एनपीआई (सर्वसम्मति 4) के लिए महत्वपूर्ण परिणाम दिखाती हैं, जबकि तीन विधियां 14 एनपीआई (मतैक्य 3) पर सहमत हैं। हम औसत सामान्यीकृत स्कोर की रिपोर्ट करते हैं, आरएफ के लिए विभिन्न तरीकों और आरएफआई के लिए एनपीआई महत्व में कमी देखी गई है। कोष्ठक में संख्याएं उस राशि का आधा भाग दर्शाती हैं, जिसके द्वारा कोष्ठकों के बाहर संगत संख्या का अंतिम अंक 95% विश्वास अंतराल के भीतर उतार-चढ़ाव के बीच है।
अनुभवजन्य अध्ययनों की एक श्रृंखला ने स्वास्थ्य परिणामों पर गैर-दवा हस्तक्षेपों के प्रभाव पर प्रारंभिक निष्कर्ष प्रदान किए हैं। महामारी के शुरुआती महीनों में केंद्रित, इन अध्ययनों में वायरस के प्रसार को कम करने के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं।ऑक्सफोर्ड (Oxford) के कोविड-19 सरकारी रिस्पांस ट्रैकर से स्ट्रिंजेंसी इंडेक्स (Stringency Index ), जो स्कूल बंद होने, कार्यस्थल बंद होने, सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध, अन्य प्रतिबंध नीतियों के बीच की कठोरता को मापता है।गूगल (Google)के मानचित्र से अनाम स्थान पूर्व डेटा के आधार पर गूगल की कार्यस्थल गतिशीलता की माप की गयी है।
भारत ने मार्च में एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया था जिसे विभिन्न चरणों में क्रियांवित किया गया, जो स्थिति आज फिर बन गयी है, जिसमें रातों को और सप्ताहांत में सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। देश की तत्कालीन परीक्षण नीति का उद्देश्य नए कोविड-19 मामलों के कम से कम 80% के सभी संपर्कों को ट्रैक (track) करना और उनका परीक्षण करना था। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उस दौरान सरकार को लॉकडाउन से ज्यादा कोविड की जांच बढ़ाने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान ट्रैक और परीक्षण नीति ने अनुमानित संक्रमणों के 5% से कम का पता लगाया है, जबकि एंटीबॉडी सर्वेक्षणों ने बहुत बड़ी महामारी का संकेत दिया था। उदाहरण के लिए, दिल्ली में 20 मिलियन की अनुमानित जनसंख्या में177000 मामले दर्ज किए गए, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा पिछले महीने जारी किए गए एक अप्रकाशित सर्वेक्षण में नमूनों की आबादी के 29% में एंटीबॉडी पाए गए। मुंबई में इसी तरह के सर्वेक्षण में एंटीबॉडी का प्रचलन 58% तक शहरी झुग्गियों में और 15% गैर-झुग्गी बस्तियों में दर्ज किया गया है।)।वर्तमान परिदृश्य में कोविड-19 की स्थिति और भयावह रूप धारण कर रही है। अमेरिका के बाद भारत विश्व में दूसरा सबसे अधिक कोविड-19 प्रभावितों वाला देश बन गया है।
संदर्भ:
https://cutt.ly/zvK3wZQ
https://cutt.ly/MvK3y8m
https://cutt.ly/UvK3aFX
https://cutt.ly/VvK3gSQ
चित्र सन्दर्भ:
1.भारत में COVID-19 शैक्षणिक लॉकडाउन के दौरान, भारत के प्रधान मंत्री द्वारा 5 अप्रैल 2020 को एक सामूहिक दीप प्रज्वलित करने का अनुरोध किया गया था। भारतीय त्योहार दिवाली में दीया(wikimedia)
2.दिल्ली में COVID-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के चौथे चरण के दौरान सामाजिक आर्थिक प्रभाव(wikimedia)
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