भारत में प्रमुख शैल-भित्ति या रीफ़ (Reef) का निर्माण मन्नार की खाड़ी, पाक की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीपों तक सीमित है।जबकि लक्षद्वीप की रिफ प्रवाल द्वीप की रीफ हैं, अन्य सभी फ्रिंजिंग रीफ (fringing reefs) हैं।पैची मूंगा (Patchy coral) देश के मध्य पश्चिमी तट के अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में मौजूद हैं।भारत में प्रवाल भित्तियों को उच्च दर से क्षतिग्रस्त और नष्ट किया जा रहा है।ये मानवजनित दबाव और हस्तक्षेप के कारण गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं।हालांकि, पानी के नीचे की निगरानी करना एक कठिन कार्य है जिस कारण हम इनकी स्थिति का सटीक अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं।निकटवर्ती जल और उच्च जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रों में रीफ की स्थिति सामान्य रूप से खराब और घटती जा रही है।
अपेक्षाकृत प्राचीन चट्टानें निर्जन द्वीपों के आसपास स्थित हैं और अवरोध-प्रकार की रीफ (barrier-type reefs) आबादी क्षेत्रों से दूर स्थित हैं।अवसादन, निकर्षण और प्रवाल खनन तटवर्ती रीफों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि विशिष्ट स्थलों में मछली पकड़ने के लिए किए गए विस्फोट और जाल का उपयोग अपतटीय रीफों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।यद्यपि भारत में रीफों के प्रबंधन और सुरक्षा के लिए सिद्धांत और कानून पर्याप्त मात्रा में बनाए गए हैं, लेकिन क्षेत्राधिकारी इन कानूनों को प्रभावी रूप से लागू नहीं कर रहे हैं।आइए एक नजर डालते हैं दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत मूंगे की रीफ पर जो आज खतरे से जूझ रहे हैं।