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किसी भी मिशन में मानव को अंतरिक्ष पर भेजना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है। इसकी तुलना में स्वचालित अंतरिक्ष यान अधिक सुविधाजनक होते है, क्यों कि, इनकी लागत जहां अपेक्षाकृत कम होती है, वहीं समय के साथ ये अधिक उन्नत भी होते जाते हैं। इसके अलावा अगर वे असफल हो भी जाएं, तो इसमें किसी की मृत्यु नहीं होती, जो इसका सबसे बड़ा लाभ है। इन सभी फायदों के बाद भी किसी मानव को अंतरिक्ष में भेजना अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महत्व के अनेकों कारण हैं, जिनमें मानवीय भावना को प्रेरित या प्रसन्न करना, राष्ट्रीय गौरव, मानव अस्तित्व, कच्चा माल आदि शामिल हैं। इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना हमारे जीवन के गौरव को बढ़ाता है। एक मानवयुक्त मिशन को तैयार करते समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, किंतु जब ये चुनौतियां पार कर ली जाती हैं, तो जीवन में प्रसन्नता के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा भी उत्पन्न होती है। मानव का अंतरिक्ष में उतरना सर्वश्रेष्ठ साहसिक उपलब्धियों में से एक माना जाता है, तथा इस उपलब्धि को हासिल करने की प्रेरणा ही मानव को अंतरिक्ष में भेजती है। इसके अलावा अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकलने की इच्छा के कारण भी हर देश अंतरिक्ष पर मानव को भेजने का समर्थन करता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि, पृथ्वी के बाद अंतरिक्ष ही एक ऐसा स्थान है, जहां मनुष्य रह सकता है, इसलिए मानव अभी से ही अपनी पहुंच अंतरिक्ष में बनाना चाहता है। 2018 में अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले, स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) ने कहा था कि, “बाहर (अंतरिक्ष में) फैलना एकमात्र ऐसी चीज हो सकती है, जो हमें खुद से बचाती है”, “मनुष्यों को पृथ्वी छोड़ने की आवश्यकता है।” इसी प्रकार से बेजोस (Bezos) ने भी कहा कि, “मनुष्य को अंतरिक्ष की यात्रा करने की आवश्यकता है, क्यों कि, मानव इस ग्रह (पृथ्वी) को नष्ट करने की प्रक्रिया में है।" अंतरिक्ष में मानव को भेजने का एक और महत्वपूर्ण कारण वहां मौजूद कच्चे माल तक अपनी पहुँच बनाना है। उदाहरण के लिए अधिकांश क्षुद्रग्रहों में अनेकों धातुएं मौजूद हैं, जिनमें लोहा, निकल (Nickel), कोबाल्ट (Cobalt) आदि धातुएँ शामिल हैं। इन क्षुद्रग्रहों में चांदी, सोना और प्लैटिनम (Platinum) भी मौजूद है, हालांकि क्षुद्रग्रहों में इनकी मात्रा बहुत कम है।
चन्द्रमा हीलियम-3 (Helium-3), जो कि एक दुर्लभ आइसोटोप (Isotope) है, का उत्पादन करने में सक्षम है। पर्याप्त रूप से उच्च तापमान में पहुँचने पर 3 नाभिक आसानी से संलयित हो जाते हैं। क्यों कि, यह संलयन बिना रेडियोधर्मी (Radioactive) उप-उत्पाद उत्पन्न किये बिना बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है, इसलिए हीलियम-3 नाभिक एक आदर्श परमाणु ईंधन प्रदान कर सकता है। इस प्रकार विभिन्न धातुओं को प्राप्त करने की इच्छा मानव को अंतरिक्ष में भेजने तथा वहां मौजूद कच्चे माल तक पहुंच प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन देती हैं।