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नान की उत्पत्ति के बारे में कई बातें बतायी जाती हैं, कुछ का कहना है कि, इसका निर्माण मिस्र (Egypt) से खमीर के आने के बाद, एक प्रयोग के परिणामस्वरूप हुआ। लेकिन कई लोग मानते हैं, कि इसका आविष्कार मुगलों और फारसियों द्वारा किया गया। इसका नाम 'भोजन' के लिए उपयोग किये जाने वाले फारसी शब्द से हुआ है। माना जाता है, कि 1520 के दशक में भारत में मुगल युग के दौरान, यह शाही लोगों का पसंदीदा नाश्ता हुआ करता था, जिसे कबाब या कीमा के साथ परोसा जाता था। समय के साथ रसोइयों द्वारा भोजन के साथ कई प्रयोग किये जाते रहे हैं, तथा नान भी उन्हीं में से एक है। अपने विकास के शुरूआती समय में नान आम जनता के लिए नहीं था। यह केवल शाही और अमीर परिवारों के भोजन में ही शामिल हुआ करता था, हालांकि, लगभग 1700 के दशक के अंत तक नान आम आदमी तक पहुंच गया था। सीमित लोगों तक पहुंच होने के कारण नान बनाने की कला बहुत कम लोग जानते थे। ब्रिटेन (Britain) में 20 वीं शताब्दी से पहले नान उपलब्ध नहीं था, किंतु जब 1926 में वीरास्वामी (Veeraswamy - ब्रिटेन का सबसे बड़ा भारतीय रेस्तरां) लंदन में खुला तो, उनकी खाद्य सूची में नान को भी शामिल किया गया। यहां नान के सामान्य प्रकार के अलावा अनेकों प्रकार (पनीर नान, लहसुन और मसालेदार नान आदि) मौजूद हैं। इस प्रकार नान दूसरे देशों में भी लोकप्रिय होने लगा।
नान ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) के इतिहास में भी अपना स्थान बनाया है। 2009 में पांच लोगों के एक समूह के साथ एश्टन-अंडर-लिन (Ashton-under-Lyne) के इंडियन ओशिएन रेस्तरां (Indian Ocean restaurant) ने एक घंटे में 640 नान ब्रेड तैयार किये। 2015 में ब्रिटिश फायरफाइटर्स (Firefighters) द्वारा 26-किलो की नान तैयार की गयी। इसी प्रकार 2016 में कनाडा (Canada) की लोबला कंपनी लिमिटेड (Loblaw Companies Ltd) द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी नान ब्रेड का रिकॉर्ड दर्ज किया गया, जिसका वजन 32 किलोग्राम तथा लंबाई और चौड़ाई क्रमशः 4.96 मीटर और 1.26 मीटर थी।
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