पहचान (रामपुर / रामपुरी) और रामपुर (रामपुरियात) से संबंधित भावना, हमारे स्थान से स्वयं के भावनात्मक लगाव को व्यक्त करती है। भावनात्मक पहचान और स्थान की भावना भी स्थानिक प्रथाओं को प्रभावित करती है। पुरानी यादें सार्वजनिक इतिहास और व्यक्तिगत भावनाओं के बीच संबंधों को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन बनी हुई हैं। इसके अलावा, ये हमें यह समझने की अनुमति देती हैं कि अतीत को एक भावात्मक अनुपातिक-अस्थायी ढांचे में कैसे याद किया जाता है। रामपुर के स्थानीयता और रामपुरी निवासियों के बीच के संबंध को रामपुरियों द्वारा लिखित स्थानीय इतिहास में देखा जा सकता है, साथ ही रामपूरियों द्वारा लिखा गया इतिहास की पुरानी यादों का महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करता है। पुरानी यादों के इस इतिहास लेखन का एक मुख्य उदाहरण सैय्यद अजहर अली शादानी द्वारा लिखित और रिजवान-उल्लाह ख़ान इनायती द्वारा संकलित और संपादित अवल-ए-रियासत-आई रामपुर : ता रिखि वा मुअशारति पस-मंजर (Aḥvāl-i riyāsat-i Rāmpūr: taʾrīkhī va muʿāsharatī pas-manẓar) (टाइम्स ऑफ द रामपुर स्टेट: हिस्टोरिकल एंड सोशल बैकग्राउंड - The Times of the Rampur State: Historical and Social Background) है। लेखक सैय्यद अजहर अली शादानी का जन्म 1923 में हुआ था, हालांकि वे विभाजन के बाद पाकिस्तान (Pakistan) चले गए किंतु उनका पूर्व का जीवन रामपुर में बीता तथा सभी सुखद यादें रामपुर के साथ जुड़ी रहीं।
रामपुर के अपने क्षणों को उन्होंने अपनी अतीत की यादों में जीवित रखा और पाकिस्तान जाने के बाद भी वे रामपुर से भावनात्मक रूप से जुड़े रहे और 1986 में उन्होंने रामपुर के इतिहास को लिखा, जो कि 2006 में प्रकाशित हुआ। हालांकि जब भी किसी स्थान के इतिहास की बात की जाती है तो, उसके शासक, रियासत आदि को ही प्राथमिक रूप से केंद्रित किया जाता है लेकिन रामपुर के इस इतिहास में रोजमर्रा के रहने वाले स्थानों और सामान्य रामपुर वासियों के जीवन और अनुभवों को प्राथमिकता दी गयी है। इस पुस्तक में लेखक ने अपने उस नुकसान और लालसा की भावना पर प्रकाश डाला है, जो रामपुर और उसके निवासियों के साथ जुड़ी हुई है तथा भारत को छोड़ देने के बाद उत्पन्न हुई है। रामपुर के अधिकांश लेखन नवाबों के जीवन को केंद्रित करते हैं या गौरवान्वित बनाते हैं, लेकिन वे रामपुर वासियों की विशेष विशेषताओं, उनके नैतिक चरित्र, राजनीतिक गतिविधियों, अनुष्ठानों, परंपराओं, खेल, नागरिक और साहित्यिक गतिविधियों आदि की उपेक्षा करते हैं। लेखक द्वारा न केवल शासकों और कुलीनों के इतिहास की वैधता पर जोर दिया बल्कि रामपुरी विषयों और उनके रोजमर्रा के जीवन के बारे में भी वर्णन किया।
पुरानी यादों पर आधारित स्थानीय इतिहास लेखन की इस परियोजना को इतिहास के अनुशासन के साथ सामंजस्य स्थापित करना होगा जो कि कठिन तथ्यों या वस्तु स्थितियों पर आधारित है। पुरानी यादों के तौर-तरीकों और भावनात्मक प्रभावों पर समृद्ध विद्वानों ने इतिहासकारों जो यह समझने की कोशिश करते हैं कि अतीत कैसे ‘गंभीर रूप से विकसित होने के बजाय समझदारी से’ और प्यार से याद किया जाता है, के लिए नई अंतर्दृष्टि प्रदान की। फ्रेड डेविसोनेस (Fred Davisnotes) के रूप में, सत्रहवीं शताब्दी की चिकित्सीय समझ से एक नकारात्मक भावना के रूप में, पुरानी यादों की चिकित्सा समझ को उदासीनता और प्रतिक्रियावादी भावुकता के द्वारा वर्णित या चिन्हित किया जाता था किंतु बीसवीं सदी में "अवकरण" के साथ इसकी समझ नाटकीय रूप से इसके विकसित हुई। नतीजतन, पुरानी यादें अब नकारात्मक भावनाओं के बजाय प्यार, आनंद और खुशी की सकारात्मक भावनाओं से जुड़ चुकी हैं। पुरानी यादों के राजनीति और समाजशास्त्र के अध्ययन ने भी इसकी कथित रूढ़िवादी प्रकृति की आलोचना की है और इसके प्रगतिशील और सकारात्मक आयामों को दिखाया है, जो न केवल अतीत के साथ संबंधित है, बल्कि वर्तमान और संभव भविष्य की ओर भी उन्मुख हैं।
पुरानी यादों का लेखन दरसल लेखक के लिए एक वो माध्यम है जो उन यादों को बनाए रखने में मदद करता है, जो उज्ज्वल तथा सुंदर होती हैं। हमारे जीवन में अक्सर ऐसे क्षण आते हैं, जब किसी घटना, वस्तु या स्थान को देखने या उसके बारे में सुनने से हमें उससे सम्बंधित बीते क्षणों की याद आने लगती है, जो हमारे जीवन में घटित हो चुके हैं। ये यादें सुखद और दुखद दोनों भावनाओं के साथ जुड़ी होती हैं और हमें अतीत में ले जाती हैं। यदि देखा जाएं तो कई लोग अतीत में बिताए गए पलों की स्मृतियों के माध्यम से बीते क्षणों की यादों से आनंद प्राप्त करते हैं, किंतु कुछ लोग अतीत से ज्यादा वर्तमान को महत्व देते हैं। पुरानी यादें या स्मृतियां वर्तमान के द्वार से अतीत के द्वार में निरंतर गुजरने वाला मार्ग है। उदाहरण के लिए वर्तमान में आप किसी ऐसे स्थान पर मौजूद हो जो आपको आपके अतीत के किसी अन्य स्थान का स्मरण कराता है, तो यह वर्तमान के भाव अनुभवों के साथ, अतीत की यादों का स्थिर संबंधपरक स्थान है। यह वो स्थिति है जब एक अलग जगह में जीवन की कल्पना करते हुए व्यक्ति मीठी या सुखद विस्मृतियों में डूब जाता है। रचनात्मक कल्पना यादों को फिर से ताजा और व्यवस्थित कर सकती हैं। यहां तक कि अतीत के सबसे तात्कालिक द्वेष भी पुरानी यादों की मिठास से शांत हो जाते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3dB8niY
https://bit.ly/2NQOABa
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में रामपुर के जामा मस्जिद को दिखाया गया है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर में रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी को दिखाया गया है। (प्रारंग)
अंतिम तस्वीर रामपुर के जामा मस्जिद को दिखाती है। (प्रारंग)