हवा महत्वपूर्ण है हवा का ज्यादा होना या हवा के बंद होने दोनों मे जान का खतरा है, इसलिये हवा को प्रकृति के अनुसार ही रहना चाहिये ना ज्यादा ना कम परन्तु यदि हवा जहरीली हो जाये तो? यही सवाल है आज जो सबसे ज्यादा कचोटता है भविष्य क्या होगा कहीं हमको मास्क पहनकर पूरा जीवन तो नही बिताना पड़ेगा। यह सोचना आज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। दिल्ली इस वक्त प्रदूषण का गढ बन चुका है पूरा का पूरा दिल्ली धुंध में अपने को खोज रहा है। यहाँ की करीब 2 करोड़ की जनसंख्या व सलाना करीब नयी जुड़ती 4 लाख की आबादी दिल्ली को बेतरतीब तरीके से फैलने के लिये मजबूर कर रही है जिसके परिणामस्वरूप यह प्रदेश पूरी गैस चेम्बर बन चुकी है। प्रदूषित हवा होने के कारण तमाम बिमारियाँ फैलने का डर बना रहता है तथा व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जीने की कल्पना भी ना कर सकता है। यहाँ पर यमुना व हिंडन ही जल स्रोत थी जो कि यहाँ के प्रदूषण को कम करने का कार्य कर सकती थी परन्तु औद्योगिकीकरण के चक्कर में ये नदियाँ भी मरणासन्न हैं। रामपुर दिल्ली से करीब 180 किलोमीटर दूर बसा एक जिला है जो कि हिमालय कि तराई में होने के कारण प्राकृतिक रूप से मजबूत है, यहाँ के मुख्य शहर रामपुर की कुल आबादी करीब 4 लाख है जो कि दिल्ली से 50 गुणा कम है। रामपुर शहर ऐतिहासिक दृष्टिकोंण से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है और यहाँ की हवा दिल्ली की हवा से साफ व शुद्ध है परन्तु कब तक? यह प्रश्न पूछा जाना चाहिये तथा प्रश्न ही नही अपितु यह भी देखना होगा कि कहीं दिल्ली की हवा रामपुर ना पहुँच जाये। रामपुर आज मेंथाल के बड़े उत्पादक के रूप में निकल रहा है तथा मेंथाल को यहीं के फैक्ट्री में ही विकसित किया जाता है जिससे यहाँ की हवा काफी हद तक जहरीली हो रही है। हवा को प्राणदायनी कैसे बनाया जाये तथा एक स्वस्थ जीवन की परिकल्पना कैसे किया जाये यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। प्रश्न का उत्तर भी अत्यन्त ही सरल है, “प्रकृति ही इस संसार को पुनः विकसित व रहने लायक बना सकती है”।
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