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हमारी शिक्षा प्रणाली में दिनोंदिन तकनीक का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। ऐसे में तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ी खामियों के बारे में जानना और सतर्क रहना बहुत जरूरी है उर्मिला तकनीकी ढंग से शिक्षा देने के लिए अतिरिक्त शुल्क भी लिया जाता है। सबसे बड़ा खतरा तो पुरानी पड़ चुकी तकनीक से पढ़ाई करने का है। पारंपरिक नहीं, नई तकनीक से यह पढ़ाई करानी चाहिए। इस पर ध्यान देना जरूरी है।
भारतीय शिक्षा प्रणाली में तकनीक की भूमिका
वैश्विक शिक्षा उद्योग में भारत शीर्ष स्थान के देशों में से एक है। विश्व के प्रतिभाशाली छात्रों को यहां के शिक्षा संस्थान और विश्वविद्यालय बहुत आकर्षित करते हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधार बहुत मजबूत है भारतीय शिक्षा बाजार $100 बिलियन (billion) की कमाई 59.7 प्रतिशत उच्चतर शिक्षा, 38.1% स्कूली शिक्षा, 1.6% प्री स्कूल शिक्षा और 0.6 प्रतिशत तकनीकी और बहू माध्यमिक शिक्षा आधारित शिक्षा से अर्जित कर रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने भले ही तकनीक का प्रयोग देर से शुरू किया इस गति के ब्रॉडबैंड इंटरनेट और सस्ते कंप्यूटर तथा मोबाइल के बढ़ते चलन ने पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा दिया। आज भारत ई-लर्निंग आधारित उत्पाद और सेवाएं देने वाला तेजी से बढ़ते बाजार का हिस्सा बन गया है। यहां तक कि सरकार का भी प्रयास है कि स्कूल, कॉलेज में पढ़ाई लिखाई में तकनीक का इस्तेमाल बढ़े । दूरस्थ शिक्षा प्रणाली, कक्षाओं में कराई जा रही पढ़ाई, ऑनलाइन (online) शिक्षा प्रबंधन प्रणाली और मोबाइल एप्स ( mobile apps) के जरिए उपलब्ध शिक्षा प्रमुख है।
तकनीकी शिक्षा की खासियत :
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ज्यादा विद्यार्थियों तक ज्यादा प्रभावी ढंग से पहुंचती है। हालांकि अधिकांश लोग अभी भी शिक्षण के पारंपरिक रूप को पसंद करते हैं, फिर भी शिक्षा में तकनीक से पढ़ाई के भीतर अनंत संभावनाएं संभव है। उदाहरण के लिए इससे शिक्षा तक हमारी पहुंच बहुत बढ़ जाता है, बहुत तरीकों से हम पढ़ाई कर सकते हैं। इन तकनीकी चीजों के सही इस्तेमाल से पहले अध्यापकों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि छात्र क्यों पढ़ाई में इनका प्रयोग करना चाहते हैं। सिर्फ इतना जानना काफी नहीं है कि इन्हें इसकी जरूरत है। ऐसा करने से शिक्षकों को हर छात्र के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने, उसकी जरूरत समझने और उसके विकास के लिए जरूरी पाठ तय करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार हासिल की गई शिक्षा से छात्र के भविष्य में अपने व्यवसाय चुनने का कौशल भी मिल जाता है।
छात्रों को कक्षा में तकनीकी जरूरत क्यों?
• इससे पाठ सामग्री को समझना आसान होता है।
• इससे याद करने की शक्ति में सुधार होता है।
• छात्र अपनी गति से पढ़ाई कर सकते हैं
• छात्रों को भावी व्यवसायों के लिए तैयारी में मदद करते हैं ।
• छात्र इसलिए भी मांग करते हैं क्योंकि कम उम्र से ही आज उनके चारों ओर तकनीक का प्रसार हो चुका है।
• छात्र की जरूरत के हिसाब से तकनीक उसकी पढ़ाई को उस हिसाब से विकास में उसकी मदद करती है।
• छात्र स्कूल से बाहर तकनीक का प्रयोग करते हैं, इसलिए उसका उपयोग कक्षा की पढ़ाई में भी करना उनके लिए बहुत सुविधाजनक होता है।
• ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध मुक्त शिक्षा संबंधी साधन/ उपकरण संसार भर में शिक्षा के प्रसार में बहुत मददगार हैं।
पुरानी तकनीक के कारण वापस लौटती पारंपरिक शिक्षा प्रणाली: आठ कारण
1. कंप्यूटर कक्ष आउटडेटेड (outdated) हो गया है। घर पर हर बच्चे के पास अपनी नई तकनीक का कंप्यूटर है यही वह स्कूल में चाहते हैं। लेकिन स्कूल में पुराना चलन जारी है।
2. इंटरनेट की उपलब्धता न होना- हर कक्षा को स्कूल के इंटरनेट से ही जोड़ा गया है जो ना काफी होता है नई वायरलेस तकनीक की सुविधा कक्षा में उपलब्ध नहीं होती।
3. कक्षा पर छात्र निर्भर नहीं होते- वे व्यक्तिगत इंटरनेट संपर्क से अपनी पढ़ाई स्वयं कर लेते हैं
4. स्मार्टफोन को कक्षा में ले जाने का प्रतिबंध भी इन में बाधा डालता है।
5. नयी तकनीक में पूरे पाठ पहले से विद्यार्थियों को इंटरनेट पर दे दिए जाते हैं। पहले से पढ़कर सब छात्र कक्षा में उन पर बात करते हैं, लेकिन तकनीक के बिना यह सुविधा संभव नहीं है।
6. पुराने समय में हर अध्यापक अपनी कक्षा की पढ़ाई के लिए जिम्मेदार होता था, आज अध्यापक अपने नोट दूसरे अध्यापकों से साझा कर रहे हैं।
7. कोर्स (course) की किताबे पुरानी हो जाने पर भी, उन्हें दोबारा ना छपवाने के कारण पुरानी पड़ चुकी किताबें ही पढ़ाई जाती हैं।
8. इंटरनेट ने शोध के तरीके बदल दिए हैं। अब स्कूल लाइब्रेरी जाने के बजाय छात्र इंटरनेट पर जरूरी चीजें ढूंढते हैं।
अंत में निष्कर्ष यही है कि कोई भी तकनीक शिक्षा व्यवस्था में लागू करने से पहले उसके परिणामों की पूरी पड़ताल ठीक से करनी चाहिए। जितना जरूरी नए माहौल से शिक्षा का जोड़ना है, उतना ही जरूरी उसका आधुनिकता से जुड़ना भी है।