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मानव जाति के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए भोजन मूलभूत आवश्यकता है जो हमें फसलों से प्राप्त होता है। इन्हीं फसलों का धन्यवाद देने के लिए विश्वभर में भिन्न भिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। फसलों की पैदावार का मौसम जलवायु, क्षेत्र और फसल के आधार पर वर्ष के अलग-अलग समय में आता है और दुनिया भर में अलग-अलग त्योहारों के रूप में इसके आगमन का जश्न मनाया जाता है। कुछ शुरूआती त्योहार फलों के त्योहार होते हैं जो मौसम की शुरुआत और पहली फसलों को समर्पित होते हैं, जबकि अन्य फसल त्योहारों को भरपूर फसल की पैदावार होने पर धन्यवाद देने और इसी प्रक्रिया की पुनरावृत्ति को चिह्नित करने या सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है। दुनिया के कुछ हिस्सों में, फसल त्योहारों को किसी धर्म विशेष से ना जोड़ते हुए सामान्य अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, थैंक्सगिविंग (Thanksgiving) का शरदोत्सव को कनाडा (Canada) में अक्टूबर के दूसरे सोमवार को और अमेरिका (America) में नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है, काफी हद तक यह विश्राम का राष्ट्रीय दिवस है। इसकी शुरुआत 1621 में हुई थी, जब तीर्थयात्रियों ने अपनी अच्छी गेंहु की पैदावार के लिए तीन दिन का जश्न मनाया, यहां इन्होंने अमेरिका की स्थानीय जनजातियों के साथ पेट्रिज (Partridge), जंगली टर्की (wild turkey) और मछली का भोजन साझा किया।
विश्वभर में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख फसल त्योहार:
राइस हार्वेस्ट फेस्टिवल (Rice Harvest Festival ) या चावल की कटाई का त्योहार (मई 1– जून 30)
चावलों की भूमि इंडोनेशिया (Indonesia) के बाली (Bali) में आयोजित होने वाला राइस हार्वेस्ट फेस्टिवल द्वीप की हिंदू संस्कृति की एक विशेषता है। यहां फसल की कटाई का समय नए साल के बाद आता है, लगभग एक महीने तक चलने वाले इस समारोह का आयोजन भूमि से बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह फ़सल उत्सव चावल की देवी को समर्पित है और आनंद का उत्सव है। माता का धन्यवाद करने के लिए उनकी प्रतिमा को खेतों में रखा जाता है और अन्य उत्सवों में विशेष बैल दौड़ आयोजित की जाती है।
मध्य शरदऋतोत्सव या चन्द्रोत्सव (सितंबर-अक्टूबर)
चीन (China), ताइवान (Taiwan) और वियतनाम (Vietnam) में सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक छुट्टियों में से एक फसलोत्सव है। इसे चंद्रमा महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह चीनी चंद्र कैलेंडर के आठवें चंद्र महीने के 15 वें दिन पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार चावल और गेहूं की फसलों की कटाई के सम्मान में मनाया जाता है। समारोह के दौरान, परिवार एक साथ पूर्णिमा को देखने के लिए एकत्र होते हैं, जिसे सद्भाव, भाग्य और बहुतायत का प्रतीक माना जाता है। यह पारिवारिक समारोहों, मंगनी और सार्वजनिक समारोहों का समय भी होता है।
याम महोत्सव (Yam Festival ) (अगस्त या सितंबर)
घाना (Ghana ) के ईवे (Ewe ) लोग बारिश के मौसम के अंत और याम एक प्रमुख फसल, की पहली झलक पर मनाते हैं। उत्सव की अवधि और सही दिन जगह के अनुसार अलग-अलग होते हैं, यह त्योहार इस उम्मीद से भी आयोजित किया जाता है कि आने वाले वर्षों में सूखा ना पड़े। इस दिन विशाल दावतें और अन्य गतिविधियाँ जैसे नृत्य और परेड आयोजित की जाती हैं। इसी तरह के त्योहार पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) और नाइजीरिया (Nigeria) में भी आयोजित किए जाते हैं।
सुक्कोत (Sukkot) (सितंबर-अक्टूबर)
सुक्कोत, "फिस्ट ऑफ बूथ" (Feast of Booths,) , यहूदी चंद्र कैलेंडर में तिशरी के 15 वें दिन आयोजित किया जाता है। मिष्ठान के देश इज़राइल (Israel) में अभी भी अपनी प्राचीन जीवनशैली का जश्न मनाया जाता है। इज़राइली अपनी भरपूर फसल की पैदावार का जश्न मनाते हुए, इस दिन उस समय को भी याद करते हैं जब यह अस्थायी आश्रयों में रहने वाले रेगिस्तान में भटक रहे थे। इस दिन विशेष प्रकार के बूथ या झोपड़ियां भी बनाई जाती हैं।
पोंगल (Pongal) (जनवरी)
पोंगल का चार दिवसीय त्योहार चावल की फसल की कटाई की अवधि का उत्सव है। सर्दियों के संक्रांति के बाद, इस दिन जीवनदायिनी धूप के लंबे दिनों की वापसी का जश्न मनाया जाता है। यह दक्षिण (South) और दक्षिण पूर्व एशिया (Southeast Asia) में आयोजित अन्य त्योहारों के समान ही है, लेकिन पोंगल (जिसे थाई पोंगल भी कहा जाता है, थाई तमिल कैलेंडर में जनवरी का नाम है) मुख्य रूप से तमिल भाषी लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसका नाम एक तमिल शब्द से आया है जिसका अर्थ है "उबालना" और यह चावल के पकवान का भी नाम है जो इस दौरान तैयार किया जाता है।
लम्मा का त्यौहार (Lammas Festival)
यह त्योहार यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom ) में मनाया जाता है और इसे फसलों के प्रचुर उत्पादन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन रोटी पकाकर चर्च (Church) में अर्पित की जाती हैं इनका मानना है कि ऐसा करने से गेंहु की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।
मदीरा फूलोत्सव (Madeira Flower Festival)
यह अन्य फसल त्योहारों से थोड़ा अलग है। पुर्तगाल (Portugal) में खूबसूरत सुगंधित हवा और वसंत के आगमन का जश्न मनाने के लिए इस को त्योहार को मनाया जाता है। चारों तरफ फैले खूबसूरत फूलों से सड़कें मनमोहक लगती हैं।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti)
मकर संक्रांति या माघी या केवल संक्रांति, सूर्य देवता को समर्पित हिंदूओं का त्योहार है। यह त्योहार हर साल हिंदू कलेण्डर के माघ के चंद्र महीने में मनाया जाता है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अनुसार जनवरी के महीने में आता है और इस दिन भारत और नेपाल के लोग फसल की पैदावार का जश्न मनाते हैं। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति से जुड़े त्योहारों को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे नेपाल में माघ संक्रांति, असम में माघ बिहू, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में माघी (पूर्व में लोहड़ी), तमिलनाडु में थाई पोंगल, उत्तराखंड में घुघुती, उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी संक्रांति भी कहा जाता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में संक्रांति के रूप में जाना जाता है। भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूरी पर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें लम्बी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अत: इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है।
मकर संक्रांति एक सामाजिक उत्सव है इस दिन रंग-बिरंगी सजावट की जाती है, ग्रामीण बच्चे हर्षोल्लास के साथ गाते बजाते हुए लोगों के घर-घर नेक मांगने जाते हैं, कुछ क्षेत्रों में मेलों, नृत्यों, पतंगबाजी, और दावतों का आयोजन किया जाता है। कई श्रद्धालु पवित्र नदियों या झीलों में स्नान करने जाते हैं। प्रत्येक बारह वर्ष में लगने वाले भारत के सबसे विशाल कुंभ के मेले का आयोजन भी मकर संक्रांति के दिन किया जाता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है। जिसमें लगभग 100 मिलियन लोग शामिल होते हैं।
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।
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