प्राचीन काल से की जा रही है, खजूर की खेती

रामपुर

 11-12-2020 10:00 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

हमारी धरती पेड़-पौधों की विविधता से परिपूर्ण है, तथा इस विविधता में खजूर का पेड़ भी शामिल है। यह पेड़ जहां मुख्य रूप से अपने फल और अन्य भागों के लिए जाना जाता है, वहीं विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यूं तो, इस पेड़ की खेती की सटीक उत्पत्ति अभी स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं हो पायी है, लेकिन यह निश्चित है कि, इसकी खेती 4000 ईसा पूर्व (BC) से की जा रही है। इस पेड़ की खेती की पुरातनता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि, दक्षिणी इराक (Iraq) – मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में उर (Ur) के निकट चंद्रमा देवता के मंदिर के निर्माण में इस पेड़ का इस्तेमाल किया गया था। खजूर की प्राचीनता का अन्य प्रमाण मिस्र (Egypt's) की नाइल (Nile) घाटी में है, जहां इसका उपयोग मिस्र की हाइरोग्लाइफ़िक्स (Hieroglyphics) (- प्राचीन मिस्र के स्मारकों पर इस्तेमाल की गयी चित्रलेखन प्रणाली) में प्रतीक के रूप में किया गया था। हालाँकि, मिस्र से खजूर की संस्कृति के महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त होते हैं, लेकिन खजूर की खेती मिस्र से पहले ईराक (Iraq) में महत्वपूर्ण हो चुकी थी। इन सभी बातों की पुष्टि सुमेरियों (Sumerians), अकाडियनों (Akadians) और बेबीलोनियन (Babylonians) के प्राचीन ऐतिहासिक अवशेषों के पुरातात्विक शोधों से हुई है। इन प्राचीन लोगों ने अपने घरों की छतें खजूर के पेड़ के तनों और पत्तियों से निर्मित की थी। इस प्रकार खजूर का पेड़ दुनिया में शायद सबसे प्राचीन समय से उगाया जाने वाला पेड़ है। यहूदी (Jewish), ईसाई (Christian) और इस्लामी (Islamic) धर्मों में खजूर के फल को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। यहूदी धर्म में खजूर सात पवित्र फलों में से एक है, तथा यहां पाम संडे (Palm Sunday) भी आयोजित किया जाता है। पवित्र कुरान में भी खजूर के फल का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि, खजूर पेड़ के पूर्वज उष्णकटिबंधीय अफ्रीका (Africa) से फीनिक्स रिकलिन्टा जैक (Phoenix Reclinata Jacq), या भारत से फीनिक्स सिल्वेस्ट्रिस (एल) रोक्स्ब (Phoenix sylvestris (L) Roxb) या इन दोनों प्रजातियों के संकर हैं।
खजूर रेगिस्तान में उगने वाली कुछ फसलों में से एक है, जिसे ‘जीवन का वृक्ष’ भी कहा गया है। ये पेड़ बहुत लंबे समय तक उगते हैं और लंबे समय तक फल भी उत्पादित करते हैं। इसके अलावा लंबी अवधि के सूखे और बेहद उच्च तापमान में भी ये पेड़ जीवित रह सकते हैं। मिस्र की एक पुरानी कहावत के अनुसार ‘खजूर एकमात्र ऐसी रचना है, जो मानव के समान दिखती है। अन्य पेड़ों के विपरीत, खजूर जितना पुराना होता जाता है, इसकी उत्पादकता उतनी अधिक बढ़ती जाती है। भारत दुनिया में खजूर के फलों का सबसे बड़ा आयातक है, जबकि ईरान (Iran) इसका सबसे बड़ा निर्यातक। भारत में, इसकी खेती 12493 हेक्टेयर (Hectare) में की जाती है और उत्पादन 85000 टन (Ton) से भी अधिक होता है। खजूर की विभिन्न प्रजातियां हैं, जिनमें से फीनिक्स सिल्वेस्ट्रिस (Phoenix sylvestris) प्रजाति भारतीय मूल की है। यह भारत के अलावा दक्षिणी पाकिस्तान (Pakistan), श्रीलंका (Sri Lanka), नेपाल (Nepal), भूटान (Bhutan), म्यांमार (Myanmar) और बांग्लादेश (Bangladesh) में भी मूल रूप से उगायी जाती है। समुद्र तल से 1300 मीटर (meter) की ऊँचाई तक मैदानी और झाड़ी वाले वनस्पति क्षेत्रों में यह प्रजाति आसानी से वृद्धि करती है। इस पेड़ की ऊंचाई 4 से 15 मीटर (meter), जबकि व्यास 40 सेंटीमीटर (centimeter) तक होता है। पत्तियां प्रायः 3 मीटर लंबी तथा संरचना में थोड़ी सी मुड़ी हुई होती हैं। पेड़ का पत्तियों से युक्त शीर्ष भाग, जिसे लिफ क्राउन (Leaf crown) कहा जाता है, 10 मीटर चौड़ा और 7.5-10 मीटर लंबा होता है। पुष्पक्रम सफेद उभयलिंगी फूलों के साथ लगभग 1 मीटर तक वृद्धि करता है। खजूर का फल बहुत ही पौष्टिक, आत्मसात और ऊर्जा देने वाला होता है। इनमें पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर होती है, और इसलिए आहार संबंधी मूल्यों के कारण इसे लोगों द्वारा हमेशा उच्च श्रेणी में रखा जाता है। अन्य फलों और खाद्य पदार्थों की तुलना में खजूर प्रति किलोग्राम (kg) में 3,000 से अधिक कैलोरी (Calories) देते हैं। इसके अलावा, खजूर प्रति हेक्टेयर भोजन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैं तथा विश्व स्तर पर इनका उत्पादन 30 लाख टन से अधिक होता है। खजूर के फल में 70% कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) होता है, जो इसे मनुष्य को उपलब्ध सबसे पौष्टिक प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में से एक बनाता है। खजूर के फल का उपयोग वाइन (Wine) और जेली (Jelly) बनाने के लिए भी किया जाता है।
खजूर की खेती के सफल होने के लिए बहुत ही विशिष्ट परिस्थितियों जैसे – शुष्क गर्मी, मध्यम सर्दी और फलों के पकने के लिए वर्षा से मुक्त अवधि, की आवश्यकता होती है। भारतीय रेगिस्तान इस आवश्यकता को पूरा करते हैं। खजूर के इन लाभकारी उपयोगों को देखते हुए तथा इसकी व्यापक रूप से खेती करने के लिए, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (The Central Arid Zone Research Institute - CAZRI) जोधपुर में खजूर की कई पादप किस्में पेश की गयी। लेकिन, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की कमी, जुलाई-अगस्त के दौरान बारिश से फलों का खराब होना, पक्षियों द्वारा फलों की भारी क्षति और धूल भरी आंधी से फलों की गुणवत्ता में गिरावट आदि कारकों ने खजूर के बड़े पैमाने पर उत्पादन को बाधित किया। यदि खजूर को बड़े पैमाने पर उत्पादित करना है, तो इन समस्याओं को दूर करना आवश्यक है।

संदर्भ:
http://www.journalijcar.org/issues/importance-date-palm-cultivation-india
https://en.wikipedia.org/wiki/Phoenix_sylvestris
https://www.researchgate.net/publication/266676946_Date_palm_Production_in_India-_Prospects_and_Problems
http://www.fao.org/3/Y4360E/y4360e06.htm
चित्र संदर्भ :-
मुख्य तस्वीर रेगिस्तान में खजूर के पेड़ों को दिखाती है। (Pixabay)
दूसरी तस्वीर में रेगिस्तान में ऊंट और खजूर को दिखाया गया है। (Unsplash)
आखिरी तस्वीर खजूर के पेड़ों पर लगे फलों को दिखाती है। (Wikimedia)


RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id